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राजनीति अजीब खेल है

राजनीति अजीब खेल है इसकी बानगी उत्तर प्रदेश विधानसभा के चुनाव में उस समय देखने को मिली, जब विपक्षी पार्टियों के नेताओं को भाजपा में शामिल करवाने वाले उत्तर प्रदेश के कद्दावर नेता दयाशंकर सिंह लखनऊ की सरोजिनी सीट से ना तो अपनी पत्नी उत्तर प्रदेश में मंत्री स्वाति सिंह को दूसरी बार टिकट नहीं […]

राजनीति अजीब खेल है इसकी बानगी उत्तर प्रदेश विधानसभा के चुनाव में उस समय देखने को मिली, जब विपक्षी पार्टियों के नेताओं को भाजपा में शामिल करवाने वाले उत्तर प्रदेश के कद्दावर नेता दयाशंकर सिंह लखनऊ की सरोजिनी सीट से ना तो अपनी पत्नी उत्तर प्रदेश में मंत्री स्वाति सिंह को दूसरी बार टिकट नहीं दिलवा पाए और ना ही वह स्वयं इसी सीट से टिकट ले पाए।
2017 के विधानसभा चुनाव से पहले उत्तर प्रदेश की राजनीति में चर्चा में आई स्वाति सिंह को भाजपा ने लखनऊ की सरोजनी नगर सीट से प्रत्याशी बनाया था। स्वाति सिंह ने इस सीट पर बड़ी जीत दर्ज की थी, भाजपा की सरकार बनने के बाद स्वाति सिंह राज्य मंत्री भी बनीं। उत्तर प्रदेश की राजनीति में दयाशंकर सिंह का बड़ा राजनीतिक कद है, 2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भाजपा की जीत में दयाशंकर सिंह की भी बड़ी भूमिका रही है। दूसरी पार्टियों के नेताओं को भाजपा में लाने और शामिल कराने के लिए भाजपा के अंदर जो कमेटी बनी हुई है, दयाशंकर सिंह उस कमेटी के भी सदस्य हैं। समझा जाता है कि कांग्रेस के कद्दावर नेता आरपीएन सिंह को भाजपा में शामिल कराने में दयाशंकर सिंह की बड़ी भूमिका थी।

[bs-quote quote=”उत्तर प्रदेश की राजनीति में दयाशंकर सिंह को टिकट नहीं मिलना और उनकी पत्नी स्वाति सिंह का टिकट कटना, बड़ी बात है क्योंकि दयाशंकर सिंह की गिनती उत्तर प्रदेश के कद्दावर और मजबूत नेताओं में होती है। यह भाजपा पर कितना भारी पड़ेगा और इससे भाजपा को कितना नुकसान होगा यह तो वक्त बताएगा। लेकिन राजनीतिक गलियारों में चर्चा यह भी सुनाई देने लगी है कि स्वाति सिंह समाजवादी पार्टी में शामिल हो सकती हैं!” style=”style-2″ align=”center” color=”” author_name=”” author_job=”” author_avatar=”” author_link=””][/bs-quote]

 

लेकिन इसके बावजूद भी दयाशंकर सिंह ना तो अपने लिए टिकट पा सके और ना ही पत्नी स्वाति सिंह का टिकट बचा पाए। लखनऊ की सरोजिनी सीट से दयाशंकर सिंह भी टिकट मांग रहे थे शायद दयाशंकर सिंह समझ रहे थे की पार्टी स्वाति सिंह को इस बार टिकट नहीं देगी और शायद इसीलिए दयाशंकर सिंह प्रयास में थे कि लखनऊ की सरोजनी नगर सीट से भाजपा स्वाति सिंह की जगह दयाशंकर सिंह को प्रत्याशी बनाए।
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उत्तर प्रदेश की राजनीति में दयाशंकर सिंह को टिकट नहीं मिलना और उनकी पत्नी स्वाति सिंह का टिकट कटना, बड़ी बात है क्योंकि दयाशंकर सिंह की गिनती उत्तर प्रदेश के कद्दावर और मजबूत नेताओं में होती है। यह भाजपा पर कितना भारी पड़ेगा और इससे भाजपा को कितना नुकसान होगा यह तो वक्त बताएगा। लेकिन राजनीतिक गलियारों में चर्चा यह भी सुनाई देने लगी है कि स्वाति सिंह समाजवादी पार्टी में शामिल हो सकती हैं!
यदि ऐसा होता है तो सरोजनी नगर सीट पर भाजपा फंस जाएगी, क्योंकि सरोजनी नगर सीट पर दयाशंकर सिंह का बड़ा प्रभाव है।
देवेंद्र यादव कोटा स्थित वरिष्ठ पत्रकार हैं।
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