Friday, November 22, 2024
Friday, November 22, 2024




Basic Horizontal Scrolling



पूर्वांचल का चेहरा - पूर्वांचल की आवाज़

होमराष्ट्रीयरिहाई मंच ने पूर्व विधायक मुख्तार अंसारी की जेल में मृत्यु को...

इधर बीच

ग्राउंड रिपोर्ट

रिहाई मंच ने पूर्व विधायक मुख्तार अंसारी की जेल में मृत्यु को मानवाधिकार का गंभीर मामला बताते हुए सीबीआई जांच की मांग की

रिहाई मंच ने पूर्व विधायक मुख्तार अंसारी की जेल में हुई मौत की सीबीआई जांच की मांग करते हुए कहा कि उनकी मौत मानवाधिकार उल्लंघन का गंभीर मामला है।

लखनऊ।  रिहाई मंच महासचिव राजीव यादव ने पूर्व विधायक मुख्तार अंसारी की जेल में मृत्यु को मानवाधिकार का गंभीर मामला बताया है। मुख़्तार अंसारी के परिजन और कोर्ट में दिए गए उनके प्रार्थना पत्र में उनको खाने में ज़हर दिए जाने की साज़िश, कैद में हत्या की तरफ़ इशारा करती है। इस पूरे प्रकरण की सीबीआई जांच कराई जाए। गौरतलब है कि अंसारी के परिजन उनके खाने में ज़हर देने से उनकी तबियत बिगड़ने के बाद उनकी चिकित्सा और सुरक्षा की मांग की जिसको समयनुसार न दिया जाना भी अंसारी के परिजनों के दावे कि ज़हर देकर उनकी हत्या की गई, इसकी जांच करवाई जाए को पुख्ता करता है। वहीं यह मामला और गंभीर हो जाता है, जब मुख्तार अंसारी के बेटे ने पिछले साल सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर कहा था कि राज्य सरकार बांदा जेल में अंसारी की हत्या करने की योजना बना रही है।  जिस पर सरकार ने शीर्ष अदालत को आश्वासन दिया था कि आवश्यकतानुसार सुरक्षा में वृद्धि की जाएगी ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि हिरासत के दौरान अंसारी को कोई नुकसान ना हो। ऐसे में कोर्ट की अवमानना का भी सवाल है। इस याचिका में अंसारी को यूपी से बाहर दूसरी किसी जेल में स्थानांतरित करने की मांग की गई थी। यहां ग़ौरतलब है कि मुख्तार अंसारी को जब पंजाब की जेल से यूपी लाया जा रहा था तब भी उनके परिजनों ने उनकी सुरक्षा और उत्तर प्रदेश सरकार को लेकर सवाल उठाए थे। मौजूदा भाजपा सरकार के दौरान जेल में उनकी सुरक्षा को लेकर परिजनों ने जो संदेह जाहिर किए उन सभी पहलुओं को जांच के दायरे में लाया जाए।

मुख्तार अंसारी को जेल में धीमा जहर दिए जाने और पूर्व में उनकी सुरक्षा को लेकर किए गए सभी सवालों को जांच के दायरे में लाना होगा। यह एक पूर्व विधायक जिनकी कैद के दौरान मृत्यु हुई, से सत्ताधारी राजनीतिक पार्टी के राजनीतिक विद्वेष का भी मामला है, यह आरोप लगते रहे हैं। पिछले दिनों मुख्तार अंसारी की तबियत बिगड़ने के बाद उनके भाई सांसद अफ़ज़ाल अंसारी ने उनसे मुलाकात के बाद बताया था कि उनके खाने में ज़हर मिलाने से उनकी तबियत बिगड़ी और वे बांदा में हो रहे उनके इलाज से संतुष्ट नही थे, इसके बावजूद भी जेल प्रशासन या सरकार द्वारा उनकी इलाज को लेकर कोई विशेष व्यवस्था न करना सवाल उठाता है कि एक पूर्व विधायक जिनका आरोप है कि उनको खाने में जहर दिया जा रहा है और उनका जीवन संकट में है, लेकिन उनके जीवन को बचाने के लिए सरकार तत्पर नहीं दिखी। मुख्तार की स्थिति इतनी गंभीर थी तो आखिर किसके दबाव में उनको चिकित्सा का समुचित प्रबंध नहीं किया गया? क्या कोई राजनीतिक दबाव था? क्योंकि मुख्तार अंसारी पूर्व विधायक और राजनीतिक व्यक्ति थे।

मीडिया में मुख़्तार अंसारी के बेटे ने कहा है कि दिन में उनके पिता का फोन आया कि वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग पर पेश होने आए थे लेकिन बेहोश हो गए उनकी तबियत बहुत खराब है। मिलने की बात पर उन्होंने कहा वह इस स्थिति में भी नहीं हैं कि अपनी बैरक से निकलकर आ पाएं। मुझे जहर दिया गया है और मुझे बहुत तकलीफ है। मेरी आँतें जल रही हैं और जैसे लग रहा है कि अंदर से सब कुछ काट रहा है।

गौरतलब है कि 21 मार्च को मुख्तार अंसारी की ओर से उनके अधिवक्ता रणवीर सिंह सुमन द्वारा बाराबंकी एमपी एमएलए कोर्ट में प्रार्थना पत्र देकर प्रार्थी को विषाक्त पदार्थ खिलाने की जांच व सुरक्षा हेतु मांग की गई थी। जिसमें कहा गया है कि 19 मार्च 2024 को रात्रि में प्रार्थी को जो भोजन उपलब्ध कराया गया, उसमें कोई विषाक्त पदार्थ मिलाकर खाने में दिया गया था जिस कारण प्रार्थी बहुत गंभीर रूप से बीमार हो गया तथा हाथ पैर की नसों में बहुत ज़्यादा दर्द होने लगा और फिर शरीर की संपूर्ण नसों में दर्द होता रहा, हाथ पैर ठंडा पड़ रहा है रहा है, ऐसा लगता है जैसे प्रार्थी की मृत्यु हो जाएगी घबराहट का एहसास हो रहा है। इसके पूर्व प्रार्थी लगभग स्वस्थ था। इसी में आगे कहा गया है कि लगभग 40 दिन पूर्व प्रार्थी के खाने में किसी प्रकार का कोई धीमा जहर दिया गया था, यह भी आरोप लगाया गया। बांदा कारागार में प्रार्थी को जान का खतरा बढ़ गया है, कभी भी प्रार्थी के साथ कोई अनहोनी घटना हो सकती है कि  भी आशंका जाहिर की थी। और कहा था कि 19 मार्च 2024 की रात खाने में ज़हर मिलाकर दिया जाना किसी बड़े षड्यंत्र का हिस्सा है।

गंभीर रूप से बीमार अंसारी ने समुचित इलाज की मांग की थी जो सही वक्त पर मिली होती तो उनकी जान बच सकती थी?  इस घटना में जेल प्रशासन की भूमिका भी सवालों को घेरे में है कि कैद में जहर दिए जाने के आरोप को छुपाने के लिए क्या उसने समुचित इलाज नहीं कराया।  अगर ऐसा नहीं था तो 19 तारीख को जब उनकी तबीयत खराब हुई तो उन्हें किसी बेहतर अस्पताल के लिए रेफर करवा देते। आखिर अंसारी ने जो जहर देने का आरोप लगाया उसका जेल प्रशासन के पास क्या जवाब है। यूपी में जेलों में बंद कैदियों की मौत की खबरें मौजूदा सरकार में आम हो गई है। जब पूर्व विधायक को चिकित्सा और सुरक्षा नहीं मिल पा रही है, तो सामान्य कैदियों के हालात का अंदाजा लगाया जा सकता है। माननीय उच्चतम न्यायालय से अनुरोध है कि इस मामले को संज्ञान में लेकर प्रदेश में संवैधानिक न्यायिक प्रक्रिया का पालन सुनिश्चित करें। (प्रेस विज्ञप्ति)

राजीव यादव (महासचिव, रिहाई मंच)

 

गाँव के लोग
गाँव के लोग
पत्रकारिता में जनसरोकारों और सामाजिक न्याय के विज़न के साथ काम कर रही वेबसाइट। इसकी ग्राउंड रिपोर्टिंग और कहानियाँ देश की सच्ची तस्वीर दिखाती हैं। प्रतिदिन पढ़ें देश की हलचलों के बारे में । वेबसाइट को सब्सक्राइब और फॉरवर्ड करें।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here