[bs-quote quote=”ऐसा कौन सा वीडियो है, जिसे आप सब मिलकर देख रहे हैं। जवाब मिला कि कुछ खास नहीं है। फिर कुछ पलों के बाद कहने लगे कि हम मुसलमान अब इस मुल्क में सुरक्षित नहीं हैं। वे कल इलाहाबाद में योगी आदित्यनाथ की सरकार द्वारा एक मुसलमान का घर गिराए जाने के संबंध में बोल रहे थे। उनके चेहरे पर उदासी थी। उनमें से एक ने कहा कि आप ही देखिए कि हम जहां रहते हैं, वहां हमें मस्जिद नहीं बनाने दिया जाता है।” style=”style-2″ align=”center” color=”” author_name=”” author_job=”” author_avatar=”” author_link=””][/bs-quote]
मुझे उनका एकदम से शांत होना खल गया। एक, जिनसे मेरी लगभग रोज ही बात हो जाती है, से मैंने कहा कि ऐसा कौन सा वीडियो है, जिसे आप सब मिलकर देख रहे हैं। जवाब मिला कि कुछ खास नहीं है। फिर कुछ पलों के बाद कहने लगे कि हम मुसलमान अब इस मुल्क में सुरक्षित नहीं हैं। वे कल इलाहाबाद में योगी आदित्यनाथ की सरकार द्वारा एक मुसलमान का घर गिराए जाने के संबंध में बोल रहे थे। उनके चेहरे पर उदासी थी। उनमें से एक ने कहा कि आप ही देखिए कि हम जहां रहते हैं, वहां हमें मस्जिद नहीं बनाने दिया जाता है। हमें नमाज पढ़ने के लिए दो किलोमीटर दूर जाना पड़ता है। जबकि इस छोटी सी बस्ती में इनके दो मंदिर हैं। लेकिन हम कुछ नहीं कहते। हम कमाने-खानेवाले लोग हैं।
[bs-quote quote=”नासिर भाई इस मुहल्ले में मेरे पहले मुसलमान मित्र हैं। पहले उनके पास भंगार की दुकान के अलावा चिकेन और मटन की दुकान भी थी। हमारी दोस्ती वहीं शुरू हुई थी। बाद में तो मुहल्ले के ब्राह्मणों ने उनकी चिकेन और मटन की दुकान यह कहकर बंद करवा दी कि मंदिर के बगल में यह ठीक नहीं है।” style=”style-2″ align=”center” color=”” author_name=”” author_job=”” author_avatar=”” author_link=””][/bs-quote]
वे मुझसे ऐसी बातें कह पा रहे थे क्योंकि वे जानते हैं कि मैं पत्रकार हूं और नासिर भाई के कारण यह मुमकिन है कि मेरा स्वभाव भी जानते हैं। नासिर भाई इस मुहल्ले में मेरे पहले मुसलमान मित्र हैं। पहले उनके पास भंगार की दुकान के अलावा चिकेन और मटन की दुकान भी थी। हमारी दोस्ती वहीं शुरू हुई थी। बाद में तो मुहल्ले के ब्राह्मणों ने उनकी चिकेन और मटन की दुकान यह कहकर बंद करवा दी कि मंदिर के बगल में यह ठीक नहीं है। नासिर भाई ने तब उनकी बात मान ली थी। हालांकि वे चाहते तो विरोध कर सकते थे।
अगोरा प्रकाशन की किताबें अब किन्डल पर भी…
खैर, मैं यह सोच रहा हूं कि नासिर भाई और उनके साथियों के जैसे इस देश में करोड़ों मुसलमान होंगे जो कल की घटना के बारे में सोच रहे होंगे कि कैसे एक आदमी का घर तोड़ दिया गया। हालांकि योगी सरकार ने घर तोड़ने का कारण बताया है कि वह घर अवैध था क्योंकि उसके लिए नक्शा की अनुमति नहीं ली गई थी। साथ में यह भी बताया गया है कि 10 मई को ही स्थानीय प्रशासन ने जावेद को नोटिस भेजा था।

यदि मैं यह कहूं कि नरेंद्र मोदी या फिर योगी आदित्यनाथ की इस तरह की तानाशाही असल में नीतीश कुमार की नकल है तो गलत नहीं कहूंगा। जो आज ये लोग कर रहे हैं, उसी तरह का काम पूर्व बिहार में नीतीश कुमार कर चुके हैं। 2016 में बिहार में शराबबंदी के बाद हजारों लोगों के घर इसलिए ढाह दिये गये क्योंकि उनके उपर शराब रखने-बेचने का आरोप था। जिनके घर ढाहे गए वे सब गरीब और अधिकांश दलित थे। अधिकांश के घर ऐसे थे कि बुलडोजर को उन्हें ध्वस्त करने में पांच मिनट भी नहीं लगता था।
[bs-quote quote=”अदालतों के बदले खुद किसी आरोपी को दोषी करार देने और सजा देने का उदाहरण तो यही साबित करता है। और यह भी जगजाहिर है कि मुझ जैसे असंख्य लोग यही सोच रहे होंगे। इसके पहले मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान की सरकार ने किया और दिल्ली में नरेंद्र मोदी सरकार ने। अब योगी आदित्यनाथ की सरकार ने किया है। यह एक खास तरह की साजिश ही है।” style=”style-2″ align=”center” color=”” author_name=”” author_job=”” author_avatar=”” author_link=””][/bs-quote]

नवल किशोर कुमार फ़ॉरवर्ड प्रेस में संपादक हैं।
यह भी पढ़ें…
[…] मेरे मुल्क के हुक्मरान (डायरी 13 जून, 2022) […]
[…] मेरे मुल्क के हुक्मरान (डायरी 13 जून, 2022) […]