आज दिनांक 09 अक्टूबर 2022 को नदेसर स्थित विश्व ज्योति जनसंचार केंद्र स्थित साझा संस्कृति मंच कार्यालय में सम्पूर्णानन्द संस्कृत विवि के प्रोफेसर प्रख्यात समाजवादी स्व. सोमनाथ त्रिपाठी की पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि सभा आयोजित किया गया। साझा संस्कृति मंच ने राजनीति में प्रतिरोध का धर्म  विषयक व्याख्यान आयोजित करके सोमनाथ जी के पुरे जीवन दर्शन पर चर्चा के बहाने से श्रद्धांजलि अर्पित किया।
मुख्य वक्ता वरिष्ठ पत्रकार योगेंद्र नारायण ने कहा कि प्रतिरोध की राजनीति को अपना जीवन समर्पित करने वाले सोमनाथ जी का कर्मक्षेत्र तो बहुत व्यापक हो गया था लेकिन उनकी राजनीतिक सक्रियता बनारस से ही शुरू हुई और फैली। पूरे देश के सहमना कार्यकर्ताओं के लिये वह जीवन पर्यन्त ठेठ बनारसी ही रहे। आज की परिस्थितियों में प्रतिरोध की राजनीति पर चर्चा सोमनाथ जी की स्मृति के साथ न्याय करती है।
हम सब को प्रतिरोध की राजनीति की राह दिखाने वालों ने हमें जेल फावड़ा संगठन के बारे में बताया है, निराशा के कर्तव्य समझाए हैं और ज़िन्दा कौमों के गुणधर्म सिखाये हैं। लेकिन मुख्यधारा की विपक्षी राजनीति एक चुनाव के बाद अगले चुनाव का इन्तजार करने तक सीमित होकर रह गई दिखती है।
राधेश्याम सिंह ने कहा की प्रतिरोध की राजनीति पर बात तब सार्थक होगी जब परमिशन की राजनीति को उपेक्षित किया जाएगा। बनारस में गाँधी जयंती कार्यक्रम को पुलिस ने परमिशन न होने का हवाला देकर रोक दिया। और ये बेहद गलत बात शहर में हो रही है। समाजवादी आंदोलन समाजवादी विचार से ये लगातार शहर में 144 लगे रहना बात बात में अशांति भंग में प्रतिनिधियों का चालान करना, ये सब निंदनीय है।
तुलसीदास ने कहा की आज की सत्ताधारी सरकार प्रतिरोध की राजनीति तो दूर मतभेद की सार्वजनिक अभिव्यक्ति के लिये भी कोई जमीन छोड़ने के लिये भी तैयार नहीं है। ऐसे में प्रतिरोध की राजनीति केवल खानापूर्ति या रस्म अदायगी बन कर न रह जाये, इसके लिये हमे प्रतिरोध को प्रभावी ढंग से आगे बढ़ाने के लिये नये रास्ते खोजने होंगे। आशा है आज की चर्चा मे हम इस दिशा में एक कदम आगे बढ़ सकेंगे।
सोमनाथ जी के सहकर्मी सहयोगी प्रो. राकेश कुमार सिन्हा ने अपने सन्देश में कहा की भारत जोड़ो यात्रा से एक माहौल बनना शुरू हुआ लगता है लेकिन नीतियों, खासतौर पर अर्द्धनीति पर स्पष्टता के अभाव में इस प्रयास से प्रतिरोध की राजनीति को बल मिलने की संभावना क्षीण प्रतीत होती है।

   

वयोवृद्ध समाजवादी विजय नारायण ने कहा की सोमनाथ ने अपनी तरुणाई से लेकर जीवन के अंतिम पहर तक समाज को बेहतर बनाने के लिए योगदान किया और विचार, संगठन और आंदोलन के संदर्भ में अनुकरणीय प्रतिबद्धता का जीवन जिया। सोमनाथ का जन्म 15 अगस्त 1947 को देवरिया में हुआ था। सम्पूर्णानन्द विवि में कर्मचारी और फिर अध्यापन का कार्य करते हुए उन्होंने पूरा जीवन समाजवादी आंदोलनों को दिया।  कोविड के दौरान 2020 में उनकी असमय मृत्यु हो गयी।
देश भर में जाने माने नाम प्रो आनंद कुमार ने अपने सन्देश में लिखकर भेजा की हम दोनों की राजनीतिक यात्रा का पहला पड़ाव समाजवादी युवजन सभा थी और अंतिम दौर में स्वराज अभियान ने हमें एकजुट रखा। मेरे मन में पांच दशकों के सक्रिय संबंध के  आधार पर उनकी एक हंसमुख छबि है – मददगार साथी, समर्पित समाजवादी और कर्तव्य निष्ठ नायक। युवावस्था के सबसे आत्मीय और निकटस्थ मित्रों में से एक थे सोमनाथ को मित्र कहने से बेहतर होगा कि मैं उन्हें भाई कहूँ।  सुख-दुख के साथी थे। वे सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय में सक्रिय थे और मैं बी. यच. यू. में।  इस फासले को दूर किया समाजवादी युवजन सभा ने, जिसका नेतृत्व उस समय किशन पटनायक कर रहे थे। लोहिया  और किशन जी के विचारों और उनके विचारोत्तेजक साहित्यों का आदान-प्रदान करते-करते हम दोनों के निजी रिश्ते कब प्रगाढ़ हो गए, बताना कठिन है लेकिन यह बेहिचक कह सकता हूँ कि भाई सोमनाथ  समाजवादी विचारधारा के प्रति जीवनपर्यंत समर्पित रहे। यह बात दीगर है कि संगठन टूटते-बिखरते गए और उसमें बदलाव आता गया।

उनके अनन्य मित्र और आपातकाल में जेल गए लोकतंत्र सेनानी अशोक मिश्र ने मोबाइल से सन्देश में कहा कि वर्तमान समय में जब उस साथी की सख्त जरूरत है, वे भौतिक संसार से अलग हो गए,यह अत्यंत दुखद है। हम दोनों एक साथ कोरोना के शिकार हुए।  मैं हूँ, वे नहीं है।  लेकिन आज हमारी स्थिति ऐसी है कि उनकी स्मृति में आयोजित आयोजन में भी हिस्सा लेने में असमर्थ हूँ।

अपने अध्यक्षीय सम्बोधन में सुनील सहस्त्रबुद्धे ने कहा की सोमनाथ की सबसे बड़ी विशेषता थी, साथियों से अनवरत सम्पर्क बनाए रखना, जो संगठन को मजबूत बनाने के लिए जरूरी होता है। मुझे याद नहीं कि जिस व्यक्ति से वे जुड़े, उससे उनका सम्बंध कभी टूटा हो।  विचारधारा से सोमनाथ ने कभी समझौता नहीं किया। स्वराज इंडिया में सक्रिय रहे हों या समता संगठन के लिए काम किया हो, चरित्र समाजवादी योद्धा का ही रहा।
कार्यक्रम का संचालन फादर आनंद ने किया। संगोष्ठी की अध्यक्षता सुनील सहस्त्रबुद्धे ने किया। धन्यवाद ज्ञापन रवि शेखर ने किया।

भविष्य के अंदेशों के बीच बम्बइया मिठाई

कार्यक्रम में मुख्य रूप से सुनील सहस्त्रबुद्धे , विजय नारायण, योगेंद्र नारायण, रविंद्र द्विवेदी, फादर आनंद, वल्लभ पांडेय, संजीव सिंह, नन्दलाल मास्टर, राधे श्याम सिंह,  प्रह्लाद तिवारी, अफलातून, प्रो महेश विक्रम सिंह, रामजनम, अशोक श्रीवास्तव, रंजू सिंह, सुरेंद्र सिंह, ऐड. राजेश यादव, एकता शेखर, डॉ इंदु पांडे, महेश, दीनदयाल,  वरुण, जसवीर सिंह, राजेंद्र चौधरी, विमल त्रिपाठी आदि प्रमुख से उपस्थित थे।