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किसान आंदोलन : संयुक्त किसान मोर्चा ने पीएम मोदी को लिखा पत्र

चिट्ठी में एसकेएम ने सी2+50 (पूंजी की इनपुट लागत+50%) के स्वामीनाथन फार्मूले के आधार पर सभी फसलों के लिए एमएसपी, खरीद की कानूनी गारंटी, कर्ज माफी, बिजली दरों में कोई बढ़ोतरी नहीं और स्मार्ट मीटर नहीं लगाने सहित अपनी मांगों का जिक्र किया है।

एमएसपी समेत कई अन्य मांगों को लेकर किसान आंदोलन के बीच संयुक्त किसान मोर्चा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक चिट्ठी लिखी है। चिट्ठी में फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की मांग को दोहराया गया है और किसानों के ‘दिल्ली चलो’ मार्च पर कार्रवाई की कड़ी निंदा की गई है। एसकेएम ने सरकार पर किसान संगठनों के बीच फूट डालने की कोशिश करने का आरोप लगाया है।

एसकेएम ने सभी किसान संगठनों से एकजुट होने और 16 फरवरी को ग्रामीण भारत बंद में भाग लेने का अनुरोध किया है। केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने शुक्रवार को बंद का आह्वाहन किया है।

एसकेएम ने यह चिट्ठी तब लिखी जब एसकेएम से अलग हुए समूह संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा के नेतृत्व में ‘दिल्ली चलो’ मार्च पर अंबाला और जींद के पास पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े। प्रदर्शनकारी किसानों के रास्ते में बड़ी संख्या में पुलिस बैरिकेड लगाये गए थे जिसे किसानों ने तोड़ने की कोशिश की। हरियाणा पुलिस ने उन्हें दिल्ली की ओर जाने से रोका।

चिट्ठी में एसकेएम ने कहा, ‘आपकी सरकार और भाजपा के नेतृत्व वाली हरियाणा और उत्तर प्रदेश की सरकार ने किसानों के शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन पर दमनकारी कदम उठाया है। पुलिस ने किसानों पर लाठीचार्ज किया, रबर की गोलियां और आंसू गैस के गोले छोड़े, जिससे कई लोग घायल हो गए हैं और आम किसानों के बीच आतंक का माहौल पैदा हो गया है।’

चिट्ठी में एसकेएम ने सी2+50 (पूंजी की इनपुट लागत+50%) के स्वामीनाथन फार्मूले के आधार पर सभी फसलों के लिए एमएसपी, खरीद की कानूनी गारंटी, कर्ज माफी, बिजली दरों में कोई बढ़ोतरी नहीं और स्मार्ट मीटर नहीं लगाने सहित अपनी मांगों का जिक्र किया है। उन्होंने खेती, घरेलू उपयोग और दुकानों के लिए 300 यूनिट फ्री बिजली, व्यापक फसल बीमा और पेंशन में 10,000 रुपये प्रति माह की बढ़ोतरी की भी मांग की।

चिट्ठी में एसकेएम ने पीएम मोदी से कहा कि ‘आपके मंत्री एसकेएम के साथ तो बात करने में झिझक रहे हैं लेकिन किसानों के बीच फूट दिखाने के लिए अन्य प्लेटफार्मों के साथ बात करने में अधिक रुचि रखते हैं।’

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चिट्ठी में किसान आंदोलन में बाधा डालने और किसानों पर सरकार की दमनकारी नीति की निंदा की गई है।

एसकेएम ने कहा कि ‘प्रशासन ने पंजाब सीमा में राजमार्गों पर कंक्रीट के बैरिकेड, लोहे की कीलें, कंटीले तार लगाकर सीमाओं को बंद कर दिया है। उसने इंटरनेट पर भी रोक लगा दिया, धारा 144 लगा दी और आतंक का माहौल बना दिया है। प्रदर्शनकारियों के साथ देश के दुश्मनों जैसा व्यवहार किया जा रहा है।’

उन्होंने कहा ‘भारत के प्रधानमंत्री के रूप में हम आपसे केंद्रीय बजट और विभागीय कार्रवाइयों द्वारा सक्रिय रूप से समर्थित कृषि में कॉर्पोरेट हस्तक्षेप के गंभीर हमले के सामने किसानों की दुर्दशा पर सहानुभूति दिखाने का अनुरोध करते हैं।’

उन्होंने कहा, ‘हम आपसे अपनी मांगों को तुरंत संबोधित करने और देश के किसानों की मांगों का हल करने के लिए बातचीत शुरू करने का अनुरोध करते हैं।’

अपने एक अन्य बयान में एसकेएम ने सभी ‘समान विचारधारा वाले किसान संगठनों’ से इन मुद्दों पर एकजुट होकर संघर्ष करने का आह्वान किया है।

एसकेएम ने कहा कि 16 फरवरी की औद्योगिक हड़ताल और ग्रामीण भारत बंद को लेकर छात्रों, युवाओं, महिलाओं और कृषि श्रमिकों, शिक्षकों, छोटे व्यापारियों, परिवहन ऑपरेटरों, पेशेवरों, पत्रकारों सहित अन्य सभी वर्गों के जन संगठनों ने एकजुटता और समर्थन बढ़ाया है।

उन्होंने कहा, ‘एसकेएम मानता है कि विभिन्न किसान संगठन और मंच भी समान मांगों पर लड़ रहे हैं, इसलिए समान विचारधारा वाले सभी किसान संगठनों को इन मुद्दों पर एक हो जाना चाहिए।’

एसकेएम ने उनसे 16 फरवरी के विरोध प्रदर्शन में अपना समर्थन देने और सक्रिय रूप से भाग लेने का अनुरोध  किया।

(‘द हिंदू’ में प्रकाशित खबर पर आधारित।)

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