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पूर्वांचल का चेहरा - पूर्वांचल की आवाज़

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ग्राउंड रिपोर्ट

समाज मेरा चेहरा नहीं बल्कि काम देख कर इकट्ठा हो रहा है

पिछले कई वर्षों से उत्तर प्रदेश में अति पिछड़ी जाति में आने वाले कुम्हार समाज के ऊपर लगातार सामंतों और अपराधियों के हमले हो रहें हैं। अनवरत फर्जी एनकाउंटर और उत्पीड़न की घटनाएँ इस समाज के सचेत लोगों को बेचैन करने के लिए काफी है। बनारस में सामाजिक कार्यों में वर्षों से बढ़-चढ़ कर हिस्सेदारी […]

पिछले कई वर्षों से उत्तर प्रदेश में अति पिछड़ी जाति में आने वाले कुम्हार समाज के ऊपर लगातार सामंतों और अपराधियों के हमले हो रहें हैं। अनवरत फर्जी एनकाउंटर और उत्पीड़न की घटनाएँ इस समाज के सचेत लोगों को बेचैन करने के लिए काफी है। बनारस में सामाजिक कार्यों में वर्षों से बढ़-चढ़ कर हिस्सेदारी कर रहे छेदी लाल निराला और उनके साथियों ने मिलकर पीएस-4 अर्थात प्रजापति शोषित समाज संघर्ष समिति का गठन किया और विगत 15 सितंबर को कोल्हापुर के  पूर्व सांसद, समाजसेवी और संविधान सभा के सदस्य रत्नप्पा भरमप्पा कुम्हार की जयंती के अवसर पर एक बड़ी सभा का आयोजन किया जिसमें पांच हजार से अधिक लोगों ने हिस्सेदारी की। छेदी लाल निराला कुम्हार समाज को आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक पिछड़ेपन से ऊपर उठाकर मुख्यधारा में लाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। वे लगातार सामाजिक-सांस्कृतिक गतिविधियों में शामिल होने के अलावा समाज के हर दुख-सुख में आगे बढ़कर शामिल होते रहे हैं । पिछले दिनों गांव के लोग कार्यालय में आने पर उनसे एक लंबी बातचीत की गई । प्रस्तुत है बातचीत का प्रमुख अंश।

पीएस-4 संगठन बनाने के पीछे आपका क्या उद्देश्य है, किन कारणों को ध्यान में रखकर आपने इस संगठन का निर्माण किया?

मैंने करीब दस सालों से आकलन किया है कि, प्रजापति समाज की महिलाओं, बच्चों और लड़कियों का उत्पीड़न हो रहा है। लेकिन जमीनी स्तर पर किसी ने हमारे लिए कुछ भी नहीं किया। साथ ही उत्तर प्रदेश में जब से (2014) भाजपा की सरकार आई है, प्रजापति समाज के साथ अन्याय बढ़ा है। अब तक 49 प्रमुख घटनाएं प्रजापति समाज के साथ हुए हैं। जिसमें महिलाएं, बच्चियां और युवक सभी उत्पीड़न का शिकार हुए हैं। इसी को देखते हुए मैंने इस संगठन का निर्माण किया है।

आपका ये संगठन केवल प्रजापति समाज के लिए काम करता है या सभी शोषित वर्ग को इसका लाभ मिलेगा?

नहीं, ऐसा नहीं है, हमारा संगठन सिर्फ कुम्हार समाज के लिए ही नहीं बल्कि सभी एससी, एसटी और पिछड़े समाज के लिए काम करता है। जब भी हमें कहीं से किसी घटना की सूचना मिलती है, चाहे वह किसी भी समाज से हो, हम तुरंत उनकी मदद के लिए पहुंचते हैं। चाहे वो जिला मुख्यालय हो या फिर बीएचयू गेट पर हो, हम अपनी टीम के साथ पीड़ित पक्ष को न्याय दिलाने के लिए प्रोटेस्ट करते हैं। उनकी आवाज बनते हैं।

[bs-quote quote=”पीएस-4 हमेशा स्वतंत्र रहेगा। इसकी किसी भी राजनीतिक पार्टी से कोई लेना-देना नहीं है। अभी हाल ही में मैंने 15 सितंबर को कुम्हार अधिकार शौर्य महासम्मेलन का आयोजन किया था। जिसमें लगभग 4-5 हजार सिर्फ कुम्हार जाति के लोगों ने हिस्सा लिया था। उसके बाद से सभी राजनीतिक दलों ने हमसे संपर्क बनाने की कोशिश की। मैंने सभी को यही कहा है कि अभी मैं मिलने की स्थिति में नहीं हूं। इस कार्यक्रम पर मैं डेढ़ महीने से काम कर रहा था। अभी मैं बिल्कुल थका-हारा हूं, कुछ दिनों के बाद मैं मिलूंगा, ऐसा कहकर मैंने सबको टाल दिया।” style=”style-2″ align=”center” color=”” author_name=”” author_job=”” author_avatar=”” author_link=””][/bs-quote]

 

क्या आप अपने संगठन पीएस-4 को आगमी विधानसभा चुनाव में दबाव की राजनीति की तरह इस्तेमाल करना चाहेंगे?

जी नहीं, पीएस-4 हमेशा स्वतंत्र रहेगा। इसकी किसी भी राजनीतिक पार्टी से कोई लेना-देना नहीं है। अभी हाल ही में मैंने 15 सितंबर को कुम्हार अधिकार शौर्य महासम्मेलन का आयोजन किया था। जिसमें लगभग 4-5 हजार सिर्फ कुम्हार जाति के लोगों ने हिस्सा लिया था। उसके बाद से सभी राजनीतिक दलों ने हमसे संपर्क बनाने की कोशिश की। मैंने सभी को यही कहा है कि अभी मैं मिलने की स्थिति में नहीं हूं। इस कार्यक्रम पर मैं डेढ़ महीने से काम कर रहा था। अभी मैं बिल्कुल थका-हारा हूं, कुछ दिनों के बाद मैं मिलूंगा, ऐसा कहकर मैंने सबको टाल दिया।

रत्नप्पा कुंभार को लेकर आपका क्या दृष्टिकोण है, क्या उन्हें आप प्रजापति समाज के आइकॉन के रूप में देख पा रहे हैं?

उनके बारे में मैं यही कहना चाहूंगा कि, रत्नप्पा कुंभार 1952 में कांग्रेस की ओर से सांसद थे और भारतीय विधानसभा के सदस्य भी रहे। इसके बावजूद कांग्रेस ने आजतक न ही उनकी प्रतिमा बनवाई, ना ही उनके कार्यों के बारे में समाज को बताया। इतना ही नहीं 1962 से लेकर 1982 तक वे विधायक भी रहे, फिर भी इन्हें कोई नहीं जानता। मेरा सीधे-सीधे सभी राजनीतिक दलों पर आरोप है कि ना इन्होंने रत्नप्पा जी की प्रतिमा बनाने का काम किया। और न इनकी सच्चाई को लोगों तक लाया कि प्रजापति समाज में ऐसे महान व्यक्ति भी थे। इनका मानना है कि जिस समाज को खत्म करना है उसके महापुरुषों को खत्म कर दो। तो इन्होंने प्रजापति समाज को खत्म करने के उद्देश्य से ऐसा किया है। रही बात आइकॉन की, तो फिलहाल तो मैं रत्नप्पा जी को इस रूप में नहीं देख पा रहा हूं। लेकिन मैं अभी प्रयास कर रहा हूं कि जिस तरीके से हर समुदाय के लोग अपने महापुरुषों की पूजा करते हैं। मैं भी पीएस-4 की सहायता से अपने समाज के महापुरुषों को फ्रंट पर लाने का काम कर रहा हूं। उनके किए गए कार्यों को जनता तक पहुंचा रहा हूं।

रत्नप्पा कुंभार राजीव गाँधी के साथ

संतराम बी.ए. के बारे में क्या कहना चाहेंगे आप?

संत राम बी.ए. ने जातिवाद तोड़ने का जब आंदोलन शुरू किया। जिसके बाद डॉ. भीमराव अम्बेडकर जी भी उनसे जुड़े। उनका आंदोलन आज सभी शोषित वर्ग तक पहुंच चुका है। संतराम जी ने समाज के उत्थान के लिए बहुत काम किया है। संतराम जी ने सिर्फ बी.ए. किया था लेकिन इसके साथ उन्होंने कई किताबें भी लिखी हैं। लेकिन आज सभी राजनीतिक दलों ने उन्हें कुचलने का प्रयास किया है। संत राम जी ने प्रजापति समाज के लिए जो भी काम किया है, उसके चलते मैं उन्हें कुम्हार समाज के आइकॉन के रूप में देखता हूं।

आपके अनुसार योगी सरकार में पिछड़ी जातियों के साथ-साथ कुम्हार जाति पर ज्यादा अत्याचार हो रहा है, तो इसको लेकर पीएस-4 की क्या योजना है?

2014 से लेकर अभी तक जितनी भी घटनाएं हुई हैं चाहे वो मैनपुरी की बड़ी घटना हो या बागपत की घटना को देखें, या बनारस की प्रीति प्रजापति के साथ जो वारदात हुई उसको देखें। इसी तरह कन्हैया लाल प्रजापति की घटना, साथ ही 10 सितंबर को गोरखपुर में विजय कुमार प्रजापति का फर्जी एनकाउंटर, उसके बाद 30 सितंबर को मनीष प्रजापति का भी मनगढ़ंत कहानी बनाकर एनकाउंटर कर दिया गया। इन सभी घटनाओं को लेकर मैंने प्रोटेस्ट किया है। साथ ही मुख्यमंत्री जी को ज्ञापन भी सौंपा है। इसके अलावा हम सभी फिर से धरना देंगे कि सरकार खास तौर पर कुम्हारों पर होने वाले हमले को बंद करवाए।

आपको ऐसा क्यों लगता है कि सरकार प्रजापति समाज का दमन करने पर तुली हुई है?

वर्तमान सरकार को लगता है कि कुम्हार समाज काफी दबा-कुचला है, छोटी जाति में आता है। आपको बता दे कि हमारी स्थिति एससी से भी गिरी हुई है। आज भी हमारे समाज के लोग मिट्टी का बर्तन बना कर जीविका चलाते हैं। ना तो उनके पास कोई व्यवसाय है और ना ही कोई ढंग का रोजगार, इसलिए आय का कोई साधन नहीं है।

 कुम्हार समाज को ऊंचा उठाने को लेकर आपकी जो भी मांगे हैं, अगर बीजेपी सरकार आपकी सभी मांगों को मान लेती है, तो क्या आप सरकार के सहयोगी के रूप में काम करना चाहेंगे?

जी नहीं, बिल्कुल भी नहीं, पहली बात मुझे पूरा विश्वास है कि सरकार हमारी मांगे कभी नहीं मानेगी अगर सरकार को हमारी मांगे माननी होती, तो मैं 2014 से अभी तक हुए सभी उत्पीड़न के मामलों को लेकर सरकार को ज्ञापन सौंपा है, धरना-प्रदर्शन किया है। उन मामलों में सिर्फ एफआईआर दर्ज हुआ है, किसी की भी गिरफ्तारी नहीं हुई है। तो हम कैसे उम्मीद करें कि सरकार हमारी मांगे मान लेगी। अभी जो मैनपुरी में घटना हुई है उसमें प्रजापति समाज के पांच लोगों को जिंदा जला दिया गया। पीड़िता ने ठाकुर समाज के कुछ लोगों को नाम भी लिया, लेकिन एफआईर तक नहीं हुई, सारे आरोपी बाहर हैं। तो हम कैसे उम्मीद रखेंगे कि बीजेपी सरकार कुम्हारों के हित की बात करेगी। सरकार तो यह चाहती है कि कुम्हार समुदाय के लोग अपने पारंपरिक पेशे पर निरंतर काम करते रहें और कभी ऊंचा न उठे।

पूरे उत्तर प्रदेश में प्रजापति समाज के लोगों की संख्या कितनी होगी और इनकी शैक्षणिक स्थिति पर आप क्या कहना चाहेंगे?

प्रदेश में प्रजापति की संख्या लगभग दो करोड़ से ज्यादा है। शैक्षणिक स्थिति तो बहुत अच्छी नहीं है। लोग अभी भी छोटे-मोटे कामों में लगे हुये हैं। समाज का अधिसंख्य हिस्सा अभी भी गरीबी में जी रहा है। इनके हिस्से में जो आरक्षित सीटें हैं वे भी बैकलॉग में हैं। जब से बीजेपी की सरकार आई है तो हम रोस्टर की बात कर लें या उसमें एससी, एसटी और ओबीसी की शिक्षा की बात कर लें, तो काफी हमले हैं इनके। इन्होंने जो दो करोड़ रोजगार देने की बात कही थी, सीधे-सीधे यह जुमलेबाजी है इनकी।

[bs-quote quote=”वर्तमान सरकार को लगता है कि कुम्हार समाज काफी दबा-कुचला है, छोटी जाति में आता है। आपको बता दे कि हमारी स्थिति एससी से भी गिरी हुई है। आज भी हमारे समाज के लोग मिट्टी का बर्तन बना कर जीविका चलाते हैं। ना तो उनके पास कोई व्यवसाय है और ना ही कोई ढंग का रोजगार, इसलिए आय का कोई साधन नहीं है।” style=”style-2″ align=”center” color=”” author_name=”” author_job=”” author_avatar=”” author_link=””][/bs-quote]

 

आपके हिसाब से प्रजापति समाज के सामने अभी क्या-क्या चुनौतियां हैं?

चुनौतियों की बात की जाय तो, मैंने पूरे पूर्वांचल का दौरा किया है। कहीं बच्चे स्नातक कर के बैठे हैं तो कोई एमए। कहीं-कहीं तो शोध करके भी खाली बैठे हैं। हमसे कहते हैं साहब, कहीं नौकरी नहीं मिली इसलिए बेकार बैठे हैं। अगर हम पीएस-4 से जुड़ते हैं तो आप हमारा क्या सहयोग कर पाएंगे। मैंने कहा-जितना भी होगा मैं सहयोग करूंगा। एक प्रयास तो मैं कर ही सकता हूं। हम कोई नेता या सरकार तो हैं नहीं। हम तो एक सामाजिक संगठन चलाते हैं जिसके मुखिया हैं। अभी मैं लोगों को गोलबंद कर रहा हूं ताकि वो अपनी आवाज उठा सकें। यहां तो ऐसी स्थिति है कि प्रजापति समाज पर बड़े-बड़े हमले हो जाते हैं और लोग बाहर तक नहीं निकलते। डरते हैं कि कहीं पुलिस हमपर लाठीचार्ज न कर दे, कहीं हमें किसी फर्जी मुकदमे में न फंसा दे।

लोग इतने कुंठित हैं, डरे हुए हैं, तो आपको क्या लगता है कि आप उन्हें कब तक जागरूक कर पाएंगे, जिससे वो अपने हक के लिए आवाज उठा सके?

अभी मैं तो पूरा प्रयास कर रहा हूं कि पहले जो महिलाएं, बच्चियां और युवक हैं उनको जागरूक किया जाय। युवाओं पर मैं ज्यादा काम कर रहा हूं। जो भी युवा पढ़े-लिखे हैं, वो इस बात को समझे कि अगर मैंने शिक्षा लिया है तो मुझे इसके साथ रोजगार क्यों नहीं मिला। रोजगार कैसे मिलेगा? इसको लेकर मैं उन लोगों को मोटिवेट कर रहा हूं कि रोजगार आपको प्रेम से नहीं मिलेगा, आपको छीनना पड़ेगा।

2014 से अबतक 59 घटनाएं हुई हैं, जिनमे से 4-5 का मैं आपसे जिक्र करना चाहूंगा। पहली घटना 18 जून 2020 को जिस तरह से मैनपूरी घटना में एक ही प्रजापति परिवार के पाँच लोगों को जिंदा जलाया गया जिसमें दो साल की बच्ची भी मछली की तरह से भूजी गयी। और आज वहीं घटना यदि किसी सवर्ण के साथ होती है तो उसे 50 लाख रुपया मिलता है, उसको सरकारी नौकरी मिलती है, उसके बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा मिलती है। लेकिन हम कुम्भार हैं। हम दबे- कुचले हैं, हमारी आवाज वहां तक नहीं पहुंच पा रही है। आज तक उस परिवार की मदद तो छोड़ दीजिए, सभी राजनीतिक पार्टियां( सपा, बसपा, बीजेपी) संवेदना के तौर पर भी दुख प्रकट करने भी नहीं गईं। दूसरी घटना वाराणसी में हुई। प्रीति प्रजापति कोचिंग से निकली। उस दौरान दो–तीन मनचले लड़के सात बजे के आस-पास उठाकर ले गए। चौबेपुर थाना गढ़वा में उसकी लाश बरामद हुई। लाश चीरघर बीएचयू आने के बाद तेलियाबाग पर हम लोगों ने प्रोटेस्ट किया। जिसमें हमारी मांग थी कि जिला अधिकारी, वरिष्ठ पुलिस अधिकारी आएं और हमारी मांग को सुनें। जिला अधिकारी तो नहीं आए लेकिन वरिष्ठ पुलिस अधिकारी आए। हमारी बातचीत सुनी। हमने प्रस्ताव रखा की इस पीड़िता के परिवार को 50 लाख रुपया मिले, नौकरी मिले लेकिन आजतक कहीं कुछ नहीं मिला। उस मामले को बल्कि दबा दिया गया। क्योंकि इस मामले में भाजपा के मंत्री जायसवाल जी थे, इसलिए मामला दबा दिया गया।

[bs-quote quote=”अभी मैं तो पूरा प्रयास कर रहा हूं कि पहले जो महिलाएं, बच्चियां और युवक हैं उनको जागरूक किया जाय। युवाओं पर मैं ज्यादा काम कर रहा हूं। जो भी युवा पढ़े-लिखे हैं, वो इस बात को समझे कि अगर मैंने शिक्षा लिया है तो मुझे इसके साथ रोजगार क्यों नहीं मिला। रोजगार कैसे मिलेगा? इसको लेकर मैं उन लोगों को मोटिवेट कर रहा हूं कि रोजगार आपको प्रेम से नहीं मिलेगा, आपको छीनना पड़ेगा।” style=”style-2″ align=”center” color=”” author_name=”” author_job=”” author_avatar=”” author_link=””][/bs-quote]

 

हर समाज की देश के अर्थव्यवस्था में एक भागीदारी होती है, आपको क्या लगता है कि आपके समाज की उत्तर प्रदेश के हर क्षेत्र में भगीदारी कितनी है?

उत्तर प्रदेश की बात करूं तो, लगभग 65 से 70 प्रतिशत जो लोग आज भी मिट्टी के काम से ही जुड़े हैं। लेकिन सरकार की तरफ से इलेक्ट्रॉनिक चॉक मिला है। हमने कुछ गांवों का दौरा किया तो लोग बोलते हैं कि साहब मैं 500 का पुरवा बनाता हूं और बिजली बिल बहुत अधिक आता है। तो हमने यह सवाल भी सरकार से उठाया कि आप जैसे बुनकर को सब्सिडी दे रहे हैं तो कुम्हार भाई को भी बिजली में सब्सिडी दो। अभी जैसे सपा के शासन में माननीय मुलायम सिंह द्वारा कुम्हारों के लिए मिट्टी की जो व्यवस्था की गई थी, हमने उस समय कहा कि आप इस समय सत्ता में हैं। आप जितने भी कुम्हार गड्ढे हैं उनकों सुरक्षित करें। क्या है कि सरकार की तरफ से कुम्हार गड्ढे की अनुमति तो मिल गयी है, लेकिन भूमाफियाओं का वहां कब्जा हो रखा है। मतलब भूमि से मिट्टी निकालने के लिए व्यवस्था ही नहीं है।

 प्रजापति समाज को मुख्य धारा से जोड़ने के लिए आप क्या- क्या प्रयास कर रहें है?

जो हमारे युवा हैं, पहले तो मैं उनको मिट्टी के काम में नहीं लाना चाहूंगा। इसलिए, क्योंकि 50 के ऊपर के जो लोग मिट्टी का काम कर रहें हैं हम उनकों कहें कि मिट्टी का काम छोड़ दीजिए तो वो भी नहीं कर सकते क्योंकि हम उन्हें और कोई रोजगार दे नहीं सकते। तो जो 50 के ऊपर हैं, मिट्टी का काम कर रहें हैं, करें। लेकिन युवा के लिए मेरा यह सुझाव है कि आप लोग नौकरी के लिए प्रयास करिए। सरकारी नहीं तो प्राइवेट के लिए ही प्रयास करिए। और मिट्टी से हट करके कोई नया व्यवसाय करिए। ऐसा इसलिए मैं कहता हूं कि मिट्टी के व्यवसाय में अगर आपके घर में 10 लोग हैं तो 10 लोग लगे रहते हैं लेकिन उस तरह से आमदानी मिल नहीं पाती। बल्कि वह कोई अन्य व्यवसाय कर लेगा तो बल्कि अच्छा कमा सकता है। यह मेरा मानना है।

आपके समाज की जो महिलाएं हैं उनकी क्या स्थिति है? वे अपने अधिकार को लेकर कितनी जागरूक हैं?

लगभग 2016 से मैं महिलाओं के बीच में काम कर रहा हूं। महिलाओं के बीच में अभी एक भ्रांति है, पहली बात तो रोजगार नहीं है। अगर मैं जाता हूं किसी गांव में तो सीधे- सीधे कहती हैं कि हमारे आदमी तो लेबर का काम करते हैं। वो चले गए तो मैं बैठी हूं। हमारे पास कोई काम नहीं होता तो मैं किसी घर में मजदूरी (बर्तन, झाड़ू) कर लेती हूं। या गेहूं, धान की कटाई होती है तो उसमें काम कर लेती हूं। चूंकि बच्चों को बढ़ाना है तो कोई चुनाव नहीं है। तो वह चूल्हा-बर्तन और मजदूरी भी कर रहीं हैं।

पूजा-पाठ को लेकर के महिलाओं में बहुत अंधविश्वास होता है, जागरूक भी नहीं होती हैं, शिक्षा का भी काफी अभाव नजर आता है, तो आप इन सभी को लेकर के क्या काम कर रहें हैं?

महिलाएं अगर हमारे सामने इस तरह की बात करती हैं कि भगवान ही हमारे लिए सब कुछ है तो, उदाहरण के लिए मैं उनको बताता हूं कि कर्म ही सबसे बड़ा भगवान होता है। आप कर्म करिए। बिना काम किए आप अगर भगवान को मान लेते हैं। मान लीजिए कि आप बीमार हो गयीं और ये कहें कि नहीं- नहीं भगवान ही हमको ठीक कर देंगे और आप दवा नहीं करेंगी तो क्या ठीक हों जाएंगी नहीं ना। आप डॉक्टर के पास जाकर दवा लेंगी तभी ठीक होएंगी न। तो मैं इस तरह से उन्हें मोटिवेट करता हूं, कि आप भगवान को न मान करके ज्यादा शिक्षा पर जोर दीजिए। आपका परिवार जब शिक्षित होगा तो अपने हक के बारे में जानेगा। शिक्षा एक ऐसा अधिकार जो अच्छे और बुरे की समझ को विकसित करता है।

आपके समाज में नौकरी पेशे से भी लोग होंगे बहुत सारे ऐसा बिलकुल नहीं है कि सभी मिट्टी का काम कर रहें हैं समाज में कई वर्ग है जैसे की एक तबका ऐसा होता है कि समाज में पुस्तैनी व्यवसाय या खेती करके जीवन यापन करता है । एक तबका है जो नौकरी पेशा वर्ग है उनकी सोच क्या है

उनकी सोच अच्छी है। जो नौकरी पेशे में जो लोग है उसमें 1-2 प्रतिशत छोड़करके बाकी लोग प्रोत्साहन करते हैं कि पीएसफोर अच्छा काम कर रहा है। बाकी लोग सहयोग भी करते हैं। और लोग कहते हैं कि डॉ. साहब हम आपको मनी और माइंड दे सकते हैं लेकिन टाइम नही दे सकते हैं। चूंकि मैं समझ पा रहा हूं कि 10 से 5 बंधने वाले व्यक्ति हैं इसलिए मैं उनको रोड पर उतार नहीं पाऊँगा। रविवार को मीटिंग में उनकी भागीदारी होती है उनके सुझाव भी मिलते हैं।

[bs-quote quote=”लगभग 2016 से मैं महिलाओं के बीच में काम कर रहा हूं। महिलाओं के बीच में अभी एक भ्रांति है, पहली बात तो रोजगार नहीं है। अगर मैं जाता हूं किसी गांव में तो सीधे- सीधे कहती हैं कि हमारे आदमी तो लेबर का काम करते हैं। वो चले गए तो मैं बैठी हूं। हमारे पास कोई काम नहीं होता तो मैं किसी घर में मजदूरी (बर्तन, झाड़ू) कर लेती हूं। या गेहूं, धान की कटाई होती है तो उसमें काम कर लेती हूं। चूंकि बच्चों को बढ़ाना है तो कोई चुनाव नहीं है। तो वह चूल्हा-बर्तन और मजदूरी भी कर रहीं हैं।” style=”style-2″ align=”center” color=”” author_name=”” author_job=”” author_avatar=”” author_link=””][/bs-quote]

 

नौकरी और कारोबार दोनों में प्रजापति समाज की क्या स्थिति है?

अभी 65 से 70 प्रतिशत लोग मिट्टी के काम से ही जुड़े हुए हैं। अगर हम 35 प्रतिशत की बात करें तो नौकरी भी है, व्यवसाय भी है जैसे बहुत सो लोग सगड़ी चलाते हैं, पंचूरन की दुकान भी करते हैं तो बहुत से लोग रिक्शा आदि भी चलाते हैं। महिलाएं चूल्हा-बर्तन करती हैं।

आपने मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपा तो उसका कोई जवाब आया?

नहीं, हमने सभी जगह पता किया।  न एसडीएम, न कोर्ट,  कहीं कोई जवाब नहीं आया है। अभी तक इस पर कोई सुनवाई नहीं हुई है।

अपनी संस्था और अपने बारे में कुछ बताएं? 

मैं छेदी लाल निराला प्रजापति नरायनपुर डाफी का रहने वाला हूं, और मैं पेशे से एलआईसी का अभिकर्ता हूं। मैंने बायो ग्रुप से इंटर पास किया है। शुरू में मेडिकल की तैयारी में था। उस समय हमारे यहां सीपीएमटी और पीएमटी चल रहा था। मैंने सीपीएमटी उत्तीर्ण कर लिया था। लेकिन हमारे घर की आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण पढ़ नहीं पाया। समाज के लिए कुछ करने की भावना तो कक्षा 8 से ही थी। बच्चों को जब पढ़ा-लिखा के कुछ करने लायक बना दिया तब जाकर के मन में आया कि अब समाज के लिए भी कुछ करना चाहिए। समाज की स्थिति का अखबारों से पता चलता ही रहा। मुझे लगा कि मेरा समाज बहुत दबा-कुचला है। कई संगठन, कई राजनीतिक पार्टियां हैं। मैंने जहां तक आंकलन किया है कि जिस उद्देश्य से इनकी शुरुआत हुई थी उसको लेकर के काम नहीं किया जा रहा था। जब मैंने संगठन को बनाया। मैं गांव-गांव, गली-गली, खेत के पगडंडियों पर लोगों के बीच जाना शुरू किया। अभी हमने 15 सितंबर का कार्यक्रम शुरू किया, जिसमें लगभग 175 गांव का दौरा किया गया। राष्ट्रीय महासचिव राजेश प्रजापति जी, नवयुवक कृष्णा प्रजापति जी और अखिलेश प्रजापति ये सारे लोगों को लेकर के मैंने जब इतने गांवों का दौरा किया तो मुझे लगा कि भीड़ आएगी कि नहीं आएगी। लेकिन बारिश के दिन में भी 4-5 हजार लोगों की भीड़ इकट्ठा हुई तो मुझे लगा कि प्रजापति समाज मेरे संगठन के ऊपर विश्वास कर रहा है। मेरे ऊपर विश्वास कर रह है तो कई लोगों का सवाल आया कि आपके ऊपर कैसे विश्वास कर रहा है, तो हमने कहा कि देखिए जब बारिश हो रही थी, लोग भाग रहे थे, तो मैने सिर्फ ये कहा कि भई देखिए ये मेघनाथ जो हैं आप पर पानी का वर्षा कर रहें हैं और प्रजापति समाज का पानी से गहरा संबंध है। तब पूरी भीड़ भीगते हुए जमी रही। कोई कुर्सी तो कोई तम्बू तो कोई छाता लेकर के डेढ़ से दो घंटा भींग करके हमारी बात को सुनी तो इसलिए विश्वास हुआ और लगा कि समाज मेरा चेहरा नहीं बल्कि मेरे काम को देख कर इकट्ठा हुआ है।

अपने प्रजापति समाज के लिए आप सरकार से क्या अपील करना चाहेंगे?
पहली बात तो मैं सरकार का विरोध कर रहा हूं। एक तो उत्पीड़न के लेकर दूसरा भारत के संविधान के साथ छेड़-छाड़ किया गया है। उसके साथ खिलवड़ करने का काम किया गया है। यह सरकार मनुस्मृति से देश को चलाना चाहती है। तो मैं उनको बता देना चाहता हूं कि यह देश भारतीय संविधान से चलेगा ना कि मनुस्मृति से। मैं लोगों को यह संदेश भी दे रहा हूं कि इस सरकार को हमें किसी भी हाल में दोबारा सत्ता में नहीं लाना है।

तो किस पार्टी आप को सत्ता में देखना चाह रहें हैं ?

पहले से ही यह स्पष्ट कर दूं कि ये मैं किसी भी पार्टी के साथ नहीं हूं। 15 सितंबर को जो मैंने कार्यक्रम किया उसमें जितने लोग भी बीजेपी, सपा, कांग्रेस के रहे हों। सारे लोगों ने अप्रत्यक्ष रूप से हमसे सम्पर्क करने का प्रयास किया कि निराला जी हम आपसे मिलना चाहते हैं। तो हमने कहा क्यों? तो कहा अरे बहुत अच्छा कार्यक्रम रहा आपका। आपने बहुत मेहनत किया इसके लिए बधाई, शुभकानाएं। हमने कहा कि अगर आप समाज के व्यक्ति हैं तो आप मेरे घर पर आ सकते हैं। लेकिन मैं आपके किसी के ऑफिस में नहीं जाऊंगा। इसलिए, क्योंकि वर्तमान में होता क्या हैं कि, जिसके कार्यालय में जाओ लोग फोटो बना करके डाल देते हैं कि पीएस-4  के लोग जुड़ने जा रहें हैं। इस पार्टी से इन्होंने इतना डिमांड किया है। और इससे लोगों में बहुत गलत संदेश जाता है। हम तो समाजसेवी हैं। हम जमीन पर काम कर रहें हैं। जो हमारे समाज के लिए शैक्षणिक राजनीतिक आर्थिक मुद्दों पर विचार करेगा मैं उनके बारे में सोचूंगा लेकिन अभी फिलहाल तो ऐसा कुछ भी नहीं है।

[bs-quote quote=”अभी 23 दिंसबर को मैं एक कार्यक्रम करूंगा। हो सकता है कि बड़ा कार्यक्रम हो। उस दिन देशभक्त डॉ. रत्नप्पा कुम्भार की पुण्यतिथि है। फिर उसके बाद 14 फरवरी को संतराम बी.ए. जी की जंयती है। ये तीन कार्यक्रम लिस्टेड हैं। इस पर कार्य जारी है।” style=”style-2″ align=”center” color=”” author_name=”” author_job=”” author_avatar=”” author_link=””][/bs-quote]

 

आने वाले विधानसभा चुनाव में कुछ ही समय बाकी  है तो आपके अभी कौन- कौन से कार्यक्रम होने हैं?

अभी चार तारीख को मैं एक प्रोटेस्ट करने जा रहा हूं। गोरखपुर विजय प्रजापति के साथ जो बहुत दर्दनाक घटना घटित हुई उसको लेकर के है। उनके माता- पिता एक ठाकुर के यहां मजदूरी करते थे। पैसा न मिलने का कारण वह दो दिन काम पर नहीं पहुंचे। ठाकुर समाज के लोग विजय प्रजापति के घर जाकर उनके पिता- पिता को मारने लगे। उनकी पत्नी को पता चला तो उनके हाथ में एक डंडा था।  उससे एकाक डंडा मार दिया। अब उनको यह लगा कि अरे ये तो नीच जाति, कुम्हार जाति की है, हमको कैसे ये मार दी। जब विजय को पता चला तो वो अपने साथी के साथ उनसे पूछने गए कि आपने पैसा नहीं दिया। आपने उनके ऊपर हाथ क्यों छोड़ा? ( ये सारी बातें विजय की बहन ने बताया) तब वो लोग उनके ऊपर फायर हो गए कि कुंभार जाति के हो। हम बड़ी जाति के लोग हैं। दोनों में हाथापाई हो गयी। ठाकुर की बेटी वीडियो बना रही थी।  विजय के साथ के लोगों ने गोली मार दिया कि, उसका फोन टूट गया ये स्पष्ट नहीं हुआ कि विजय प्रजापति ने गोली चलाई काजल सिंह पर या फिर उसके दोस्तों ने चलायी तो जब तक यह स्पष्ट हो पाता। तब तक विजय प्रजापति को लेकर के हवा उड़ गया कि उन्होंने काजल सिंह को गोली मार दी है। जबकि सच्चाई कुछ औऱ है। ठीक है कि विजय छोटी-मोटी चोरी-चकारी करता था लेकिन वह एक लाख का इनामी बदमाश नहीं था। उसकी पत्नी से जब हम मिले। हम और महासचिव राजेश प्रजापति मिले तो उनकी पत्नी यही बार-बार कह रही थी कि आप अगर पहले आ जाते तो हमारे पति की जान बच जाती। तो हमने कहा कि कैसे तो उसने कहा कि उनसे तो केवल वही बावूसाहब छोटी-मोटी चोरी-चकारी कराते थे वही मुकदमा देखते थे। इनको सिर्फ फंसाया गया है। जिससे इनको हमारे पिताजी की मजदूरी न देना पड़े। और जब इनको मार देंगे तो हमें मजदूरी नहीं देना पड़ेगी। अब जो सरकार है 5 दिन बाद 25 हजार का इनाम और 10 दिन बाद 50 हजार और फिर 15 दिन बाद एक लाख का इनाम घोषित करके 10 सितंबर को विजय प्रजापति का फर्जी इनकाउंटर कर देती है। चलिए मैं ये भी मान लेती हूं कि फर्जी नहीं, ये असली मुठभेड़ है। तो आप अगर पकड़ेंगे तो जेल में डालेंगे कि इनकाउंटर करेंगे? आपको इनकाउंटर का राइट नहीं है। चलिए भी मैं मान लेता हूं लेकिन माता-पिता भी जेल में, रिश्तेदार भी जेल में थे। अभी बाहर निकल गए हैं। भाजपा शासन में प्रजापति कुंभार समुदाय पर जबरदस्त हमला है। उस हमले को लेकर के मैं 4 तारीख को बड़ी संख्या में प्रोटेस्ट करूंगा। जिला अधिकारी मार्ग पर मुख्यमंत्री जी को ज्ञापन देने का कार्य करूंगा।

अभी 23 दिंसबर को मैं एक कार्यक्रम करूंगा। हो सकता है कि बड़ा कार्यक्रम हो। उस दिन देशभक्त डॉ. रत्नप्पा कुम्भार की पुण्यतिथि है। फिर उसके बाद 14 फरवरी को संतराम बी.ए. जी की जंयती है। ये तीन कार्यक्रम लिस्टेड हैं। इस पर कार्य जारी है।

अभी तक किसी संस्था की तरफ से आपको फडिंग की सुविधा दी जा रही है?

नहीं ऐसा कुछ नहीं है। मै गांव-गांव जाता हूं, तो जो लोग भी हैं नौकरी वाले, रोजगार वाले हैं उसमे से कई लोग 10, 100, 500 रुपया दे देते हैं। और लोग भी मदद करत रहते हैं। बाकी कुछ घटता-बढ़ता है तो जैसे महासचिव राजेश जी है औऱ रमेश प्रजापति,  डॉ. ज्योतिलाल प्रजापति हैं इनकी तरफ से मदद हो जाती है।

 बातचीत रिकॉर्ड करने में ऋतंभरा कुमारी ने सहयोग किया। 

गाँव के लोग
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