बलिया। जिले के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) सोनबरसा पर नसबंदी कराने आईं कई महिलाएँ घंटों इंतज़ार के बाद वापस लौट गईं। इसका कारण, बिजली का अभाव और चिकित्सकों का न होना बताया जा रहा है। नसबंदी नहीं हो पाने पर महिलाओं ने स्वास्थ्य के प्रति खुद को गम्भीर और संवेदनशील बताने वाली सरकार पर असंतोष जताया है।
सीएचसी सोनबरसा पर बीते मंगलवार को महिलाओं के लिए नसबंदी शिविर का आयोजन किया गया था। इस दौरान कुल 14 महिलाओं ने पंजीकरण भी कराया था। नसबंदी का चिकित्सकीय कार्य जैसे ही शुरू हुआ, उसी दौरान केंद्र की बत्ती गुल हो गई। यहाँ लगा इन्वर्टर भी खराब ही चल रहा है, जो कुछ घंटे का ही बैकअप दे पाया। जनरेटर में तेल भी खत्म हो गया था, जिससे अधिकतर महिलाओं की नसबंदी नहीं हो सकी।
केंद्र से निराश होकर लौटने वाली महिलाओं (पूनम, सुमन, रेखा, पुष्पा आदि) ने बताया कि हम अपने घर का काम अधूरा छोड़कर आए थे। हमें शिविर में बुलाया गया तो कम से कम चिकित्सकीय व्यवस्थाएँ तो कायदे से दुरुस्त रखना चाहिए था। महिलाओं के अनुसार, ‘चिकित्सकों ने ही इनवर्टर खराब हो जाने और जनरेटर में तेल न होने की बात बताई थी।’
चिकित्सक डॉ. रोहन गुप्त ने बताया कि ‘सीएचसी के चिकित्साधिक्षक मौके पर नहीं थे। इस कारण असुविधा हो गई है। महिलाओं को दो दिन बाद बुलाकर उनकी नसबंदी कर दी जाएगी।’
अवकाश लेने के लिए चिकित्सक करते हैं ‘चालाकी’
बैरिया स्थित सीएचसी सोनबरसा पर आने वाले मरीज यहाँ की दुर्व्यवस्थाओं के कारण पहले से ही परेशान होते चले आ रहे हैं। सीएचसी और निर्माणाधीन संयुक्त चिकित्सालय में नौ से अधिक चिकित्सक तैनात हैं। मरीजों का आरोप है कि ‘मुख्य चिकित्साधिकारी के आदेश के बावजूद अस्पताल में प्रतिदिन सिर्फ दो या तीन चिकित्सक ही मौजूद रहते हैं। यह लोग आपस में तय करके छुट्टियाँ लेकर दो से तीन दिन तक गायब रहत हैं।’ मजे की बात यह है कि छुट्टी पर रहने के बावजूद उपस्थिति पंजिका में चिकित्सकों के हस्ताक्षर भी हो जाते हैं।
मरीजों को होती हैं समस्याएँ
स्वास्थ्य केंद्र पर चिकित्सकों के इसी अभाव का खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ता है। इस कारण आर्थिक रूप से मजबूत लोग अपने मरीजों को लेकर प्राइवेट अस्पतालों में चले जाते हैं, लेकिन गरीब तबके के लोग चिकित्सकों की राह देखते रहते हैं या भीड़ में अपनी बारी का इंतज़ार करते हैं।
सीएचसी सोनबरसा पर इलाज कराने आईं बुजुर्ग मालती बताती हैं कि ‘दो घंटे इंतज़ार के बाद मेरा नम्बर आया। पिछले सप्ताह जब मैं आई थीं तो डॉक्टर ने जो दवाइयाँ लिखीं थीं, उसे खाकर फिर से केंद्र में दिखाना था। बुधवार को दूसरे डॉक्टर साहब ने देखा तो उन्होंने दवाइयाँ बदल दीं। मजबूरन दोबारा दवा खरीदनी पड़ी।’
टेंगरहीं निवासी सीमा पेट में दर्द के कारण दो-ढाई घंटे से दर्द से छटपटा रही थीं। वह बताती हैं कि ‘त्वरित तौर पर मुझे चिकित्सकीय सेवा नहीं दी गई। ढाई घंटे बाद नम्बर आने पर ही मुझे दवा दी गई।’ इसी तरह की शिकायत धतुरी टोला के गणेश यादव, फकरू टोला के पवन सिंह व शोभा, छपरा निवासी संगीता देवी की भी रही। मरीजों के अनुसार, उन्हें दो से ढाई घंटे तक इंतज़ार करना पड़ा।
ओपीडी के समय कर रहे ऑपरेशन
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सोनबरसा पर कई चिकित्सक ओपीडी के समय हार्निया और हाइड्रोसिल का इलाज भी करते हैं। अपनी बारी का इंतज़ार कर रहे मरीजों का आरोप है कि इस इलाज में चिकित्सकों को ‘ऊपरी’ फायदा होता है। ऐसे ऑपरेशन के समय चिकित्सक भी उपलब्ध हो जाते हैं। उसके बाद ओपीडी में एक या दो मरीजों को देखकर निकल जाते हैं।
बलिया के मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. विजयपति द्विवेदी ने इन समस्याओं पर बताया कि सीएचसी के सभी चिकित्सकों को दुर्दशा सुधारने का निर्देश दे दिया गया है। ओपीडी के समय डॉक्टरों को रोगियों को देखना है न कि ऑपरेशन कक्ष में जाकर ऑपरेशन करना है। सभी चिकित्सक प्रतिदिन सीएचसी पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हुए मरीजों का परीक्षण करें, अन्यथा की दृष्टि में सख्त कार्रवाई की जाएगी।