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हिट एंड रन मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को दिए निर्देश और पुलिस को हिदायत

नई दिल्ली। हिट एंड रन सड़क दुर्घटना में जान गंवाने वालों और घायलों को मुआवजा सुनिश्चित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला सुनाया है। इसके लिए पुलिस को हिदायत और सरकार को दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। देशभर में हिट एंड रन की बहुत अधिक दुर्घटनाएँ दर्ज होने और बहुत कम संख्या में […]

नई दिल्ली। हिट एंड रन सड़क दुर्घटना में जान गंवाने वालों और घायलों को मुआवजा सुनिश्चित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला सुनाया है। इसके लिए पुलिस को हिदायत और सरकार को दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं।

देशभर में हिट एंड रन की बहुत अधिक दुर्घटनाएँ दर्ज होने और बहुत कम संख्या में पीड़ितों को मुआवजा मिलने के आँकड़ों को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि दुर्घटना के जिन मामलों में टक्कर मारकर भागने वाले वाहन का पता नहीं चलता है, तो पुलिस दुर्घटना में मारे गए व्यक्ति के परिजनों को या दुर्घटना में घायल व्यक्ति को मुआवजा योजना के बारे में बताएगी। साथ ही मुआवजा दावा करने की जानकारी देगी।

कोर्ट ने सरकार से भी कहा है कि यह मुआवजा बढ़ाने पर विचार करे। यह आदेश जस्टिस अभय एस. ओका और पंकज मित्तल की पीठ ने हिट एंड रन सड़क दुर्घटनाओं के पीड़ितों को मुआवजे के बारे में उचित निर्देश माँगने वाली याचिका पर दिया है। कोर्ट ने इस मामले में सरकार की योजना और सुनवाई मे मदद कर रहे न्यायमित्र वकील गौरव अग्रवाल व अन्य पक्षों के सुझाव देखने के बाद विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए।

वहीं, यह भी आदेश दिया गया है कि पुलिस पीड़ित को उस क्षेत्राधिकार में आने वाले क्लेम इन्क्वायरी आफिसर का ब्योरा, सम्पर्क नम्बर, ई-मेल आइडी और कार्योलयों का पता भी बताएगी।

कोर्ट ने पुलिस थाना इंचार्ज को आदेश दिया है कि वह एक महीने में कानूनी योजना के मुताबिक क्लेम इन्क्वायरी आफिसर को एफएआर भेजेगा। एफएआर भेजते समय उसमें पीड़ित या घायल का नाम बताया जाएगा और मौत के मामले में कानूनी वारिसों का नाम भी बताया जाएगा। अपने रजिस्टर में भी ब्योरा दर्ज करेगा।

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कोर्ट ने यह कहा कि क्लेम इन्क्वायरी आफिसर को अगर एफएआर प्राप्त होने के बाद भी एक महीने के भीतर मुआवजा दावा नहीं प्राप्त होता है तो वह जिला विधिक सेवा प्राधिकरण से अनुरोध करेगी कि वह पीड़ित से सम्पर्क करे और उसे मुआवजा दावा अर्जी दाखिल करने में मदद करे।

कोर्ट ने आदेश में निगरानी समिति गठित करने का भी निर्देश दिया और कहा कि निगरानी समिति हर दो महीने में बैठक करेगी और योजना व इस आदेश के अनुपालन की निगरानी करेगी।

आँकड़ों पर भी कोर्ट ने दिए निर्देश

उल्लेखनीय है कि सड़क एवं परिवहन मंत्रालय के दस्तावेजों के मुताबिक, पिछले पांच वर्षों में हिट एंड रन केस में 660 मौतें दर्ज हुई है। 113 लोग घायल हुए हैं, जिसमें 184.60 लाख रुपये मुआवजा दिया गया।

कोर्ट ने कहा कि हिट एंड रन दुर्घटनाओं के प्रस्तुत आँकड़े देखने से पता चलता है कि 2022 में 67,387 सड़क दुर्घटनाएँ दर्ज हुर्इं हैं। फैसले में पाँच वर्षों की दुर्घटनाओं के आँकड़े दिए गए हैं।

आदेश में यह भी दर्ज किया कि हिट एंड रन मामले में वित्त वर्ष 2022-2023 में केवल 205 मुआवजा दावे प्राप्त हुए, जिसमें से सिर्फ 95 मामलों में क्लेम सेटल हुआ।

कोर्ट ने आदेश में दर्ज किया कि मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा-161 के तहत केंद्र सरकार ने हिट एंड रन मामलों में मुआवजा योजना बनाई है और यह योजना एक अप्रैल, 2022 से लागू है।

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