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एक तरफ चाँद पर, दूसरी तरफ जातीय उत्पीड़न

वाराणसी। भारत को आजाद हुए 76 साल हो गए पर आज भी देश का एक बड़ा हिस्सा वंचना, अस्पृश्यता और गैर बराबरी की समस्या...

नफ़रत की सियासत और विमर्श की चुनौतियाँ

हम सभी के पास कुछ धारणाएं हैं जिन्हें हमने मीडिया के सहयोग से विकसित किया है, इस लेख में ऐसे ही कुछ धारणाओं को...

अंबेडकरवादी विचार तो फैला है लेकिन दलितों का कोई बड़ा लीडर नहीं है

तीसरा और अंतिम भाग क्या आप बामसेफ जैसे सामाजिक संगठनों या कर्मचारी यूनियनों से भी जुड़े? यदि हाँ, तो वहाँ आपकी क्या-क्या गतिविधियां थीं?...

दलित, OBC, आदिवासी और मुसलमान इस देश के आर्मी चीफ क्यों नहीं बनाए जाते हैं? (डायरी : 19 अप्रैल, 2022)

बुद्ध और कबीर दोनों कमाल के योद्धा थे। मैं यह बात इसलिए कह रहा हूं कि दोनों ने लड़ाइयां लड़ी और दोनों ने दूरगामी...

योगी का ठाकुरवाद ब्राम्हणवाद की ओट भर है

2020 के चुनाव का क्रमिक विश्लेषण - भाग 2  योगी आदित्यनाथ पर ठाकुरों को तरजीह देने का आरोप लगाया जाता रहा है और यह दावा...

कांग्रेस ने फिर खुद को बहुजनों का वर्ग-मित्र साबित किया!

23 फ़रवरी को जब उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव 2022 के चौथे चरण का वोट चल रहा था, इसी दरम्यान एक ऐसी खबर राजस्थान...

पिछले पाँच साल में एक भी ठाकुर की हत्या हुई हो तो बता दीजिए?

उत्तर प्रदेश चुनाव में तरह तरह के नैरेटिव बन और बिगड़ रहे हैं और इसी के साथ जीत हार के दावे भी हवा में...

बचपन की दग्ध स्मृतियों के आईने से झाँकता एक कवि

अमित धर्मसिंह द्वारा रचित कविता संग्रह हमारे गाँव में हमारा क्या है! सन 2019 में 'बोधि प्रकाशन' जयपुर से प्रकाशित हुआ। संग्रह का आवरण...

बचाव के लिए रखा हथियार भी आदमी को हिंसक बनाती है ( डायरी 17 अक्टूबर, 2022)

हस्तीमल  हस्ती  का एक शेर है–बैठते जब हैं खिलौने वो बनाने के लिए, उन से बन जाते हैं हथियार ये किस्सा क्या है। यह...

स्त्री विमर्श का परचम लहराने वाली ज्यादातर स्त्रियाँ घरों में प्रताड़ना और उपेक्षा से जूझ रही हैं

बातचीत का चौथा और अंतिम हिस्सा  स्त्री मुक्ति की लड़ाई में आप भी लगातार हैं, विश्वास है कि किसी मंजिल तक पहुंचेंगी? बदलाव तो आ रहा...

भारत के ब्राह्मणों से कम नहीं हैं पश्चिम के श्वेत (डायरी  5 अक्टूबर, 2021)  

बीता हुआ कल सिर्फ मेरे लिए ही नहीं, दुनिया भर के लोगों के लिए महत्वपूर्ण रहा। देर शाम करीब सवा नौ बजे सोशल मीडिया...

काहे रे नलिनी तू कुम्हिलानी …

दुनिया के सबसे उपेक्षित कवियों में से एक और सबसे ताकतवर और प्रतिभाशाली कवियों में से भी एक रमाशंकर यादव ‘विद्रोही’ की कविताओं में...

चरणजीत सिंह चन्नी, लालू प्रसाद और जीतनराम मांझी  डायरी (1 अक्टूबर, 2021)

बदलाव की अनेक परिभाषाएं मुमकिन हैं। सबसे महत्वपूर्ण यह कि बदलाव अदिश नहीं होते। उनके साथ एक दिशा होती ही है। और फिर यह...

जातिगत जनगणना से ख़त्म होंगी जातियों की दीवारें

डॉ. ओमशंकर का नाम अब किसी परिचय का मोहताज नहीं है। वे फिलहाल सर सुंदरलाल चिकित्सालय के हृदयरोग विभाग के अध्यक्ष हैं और हृदयरोग...

गंदे नालों में होनेवाली मौतें इतिहास का हिस्सा नहीं डायरी (27 अगस्त, 2021)

देश में सरकारों का स्वरूप बदल रहा है। स्वरूप बदलने का मतलब यह कि अब इस देश में सरकारें लोककल्याण को तिलांजलि देने लगी...

विमल, कंवल और उर्मिलेश डायरी (11 अगस्त, 2021) (दूसरा भाग)

कल का दिन एक खास वजह से महत्वपूर्ण रहा। लोकसभा में केंद्र सरकार द्वारा लाया गया अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) से संबंधित 127वां संविधान...

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