पापा ने अचानक मुझसे पूछा कि तुमने छुरी खरीदी है? मैं सकपका गया। वजह यह कि मेरे पास छुरी है, यह बात तो मैंने किसी से कहा ही नहीं है, फिर पापा को यह जानकारी कैसे मिल गयी। मेरे पास तब झूठ बोलने का कोई विकल्प नहीं था। चुपचाप छुरी उनके सामने रख दिया। उन्होंने बताया कि बेटा, तुम्हारे हाथ में कलम अच्छी लगती है। हथियार चाहे कोई भी हो, उसके अपने पास रखने से ही आदमी हिंसक हो जाता है और हिंसक आदमी पशु के सामान होता है।
लालू प्रसाद मेरे सामने थे तब मैंने यह पांचवां सवाल किया। आपने बिहार के दलितों-पिछड़ों को बंदूक रखने का लाइसेंस देने की बात कही थी। लेकिन आपने इसे पूरा क्यों नहीं किया? तब लालू प्रसाद ने कहा कि उनका यह ऐलान सामंती ताकतों को चेतावनी देना था कि अब दलित और पिछड़े चुप नहीं बैठेंगे। वहीं दलितों और पिछड़ों को यह संदेश देना था कि यह सरकार उनकी है और उनके साथ खड़ी है। लेकिन हथियार का लाइसेंस देने का मतलब था बिहार को गृहयुद्ध में झोंक देना। तो जो काम नक्सली कर रहे थे, वह हर दलित-पिछड़ा करने लगता। एक मुख्यमंत्री का काम राज्य में अमन कायम रखना है।
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