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पूर्वांचल का चेहरा - पूर्वांचल की आवाज़

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नीतीश कुमार

और अब भाड़े की फौज (डायरी 15 जून, 2022) 

 शासक और व्यापारी में अंतर होता है। कहने का मतलब यह कि शासक का काम व्यापार करना नहीं है और कोई भी देश कोई...

राजनीतिक झुनझुना और बिहार डायरी (24 जनवरी, 2022)

 बाजदफा बचपन बहुत याद आता है। इस वजह से नहीं कि मेरा बचपन बहुत सुख में बीता अथवा दुख में। याद आने की वजह...

कथनी और करनी में फर्क (डायरी 17 जनवरी, 2022) 

बचपन से सुनता आया हूं कि कथनी और करनी में बहुत फर्क होता है। हालांकि बचपन में यह महसूस नहीं होता था। इसकी वजह...

अदालतों में भ्रष्टाचार (डायरी 9 जनवरी, 2022)

राष्ट्रवाद और राज्य अस्मिता दो ऐसे शब्द हैं, जिन्होंने क्रमश: भारत और बिहार के स्तर पर मुझे लिखने को बाध्य किया है। राष्ट्रवाद तो...

बिहार का अंधा हुक्मरान, बेजुबान अखबार (डायरी 4 नवंबर, 2021) 

बचपन में यह नाटक पढ़ा था– अंधेर नगरी, चौपट राजा। यह कमाल का नाटक है। कमाल इसलिए कि यह हर समय प्रासंगिक है। आज...

पटना के एम्स में चाहिए इलाज तो देना होगा वीवीआईपी होने का प्रमाण (डायरी 3 नवंबर, 2021) 

यह एक मजदूर की दास्तान है और वह भी असंगठित क्षेत्र के मजदूर की जो रिश्ते में मेरा चचेरा भाई भी है। उम्र में...

लखीमपुर खीरी नरसंहार के मामले में सियासत के इस पेंच को आप समझते हैं?(डायरी 9 अक्टूबर 2021)

राजनीति की खासियत यह है कि इसकी दिशा एकदम से सीधी नहीं होती है। ऐसा इसलिए भी होता है क्योंकि राजनीति का संबंध सत्ता...

सियासत और समाज  ( डायरी 6 अक्टूबर, 2021)  

सियासत यानी राजनीति की कोई एक परिभाषा नहीं हो सकती है। साथ ही यह कि सत्ता पाने का मतलब केवल प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री बनना...

विज्ञापनों के बारे में कभी ऐसे भी सोचिए डायरी (29 सितंबर, 2021)

अखबारों का संबंध राजनीति से बहुत सीधा है। इसे स्थापित करने के लिए प्रमाणों की कोई कमी नहीं है। अखबारों में विज्ञापनों का प्रकाशन...

बातें नौकरशाहों की डायरी (21 सितंबर, 2021)

 स्मार्टफोन हमेशा स्मार्ट नहीं होते। कल यह नई जानकारी मिली। यह इसके बावजूद कि आजकल के स्मार्टफोन में एंड्रायड जैसा आपरेटिंग सिस्टम होता है...

नायकों के लिए मानदंड डायरी (18 सितंबर, 2021)

पटना स्थित घर के बाहर बथानी का छप्पर गिर जाने और उसके नीचे मेरी मोटरसाइकिल के दब जाने की सूचना मिली। यह बथानी 1980...

पंचायतों से विधानसभा और लोकसभा, केवल मौजां ही मौजां नहीं, अनाथ होते बच्चे और विधवा होती महिलाएं भी हैं (डायरी- 23 अगस्त, 2021)

बिहार में पंचायती राज निकायों के चुनावों को वहां की सरकार ने सहमति दे दी है। बीते दिनों राज्य मंत्रिपरिषद ने भी इस फैसले...

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