असुर जनजाति के लोग डोल जतरा मनाते हैं। अमूमन यह आयोजन फागुन के महीने में होता है। इसमें युवक-युवती मिलते हैं। गीत गाते हैं और नृत्य करते हैं। इस दौरान यदि कोई दूसरे के साथ जीना चाहता है तो वह चुनाव कर सकता है। लेकिन ऐसा करने से पहले दोनों को अपने परिजनों को सूचित करना होता है। फिर वहां मौजूद बैगा (धर्म प्रमुख) उनके परिजनों की सहमति से उन्हें ऐसा करने की अनुमति देता है। दोनों साथ रह सकते हैं और साथ रहते हुए यदि उन्हें ऐसा लगता है कि वे एक-दूसरे को संतुष्ट नहीं कर पा रहे या फिर दोनों के बीच समन्वय की कमी है तो वे अलग हो सकते हैं।
असुर जनजाति में ही एक और प्रथा है। इसमें महिला खुद से अपने लिए वर चुनती है और अपनी पसंद के बारे में अपने परिजनों को बताती है। इसे 'घर ढुकू' प्रथा कहते हैं। इसके तहत वह अपने इच्छित युवक के घर में घुस जाती है और रहने लगती है। असुर जनजाति समाज युवक को भी आजादी देता है।


[…] सीता, द्रौपदी और जोधा बाई, डायरी (25 मई, 2022)… […]
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