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दो मित्रों का जंगलराज (डायरी 16 नवंबर, 2021) 

सरकारें जब कुछ नहीं करती हैं तो ढोल बजाती हैं। कल केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने भी एक बार फिर ढोल बजाया। ट्वीटर...

सरकार द्वारा तोड़ी गयी मुसहर बस्ती की ‘अपनी पाठशाला’

सरकार द्वारा करसड़ा गांव की उजाड़ी हुई मुसहर बस्ती और तोड़ी गयी अपनी पाठशाला के बच्चों की शिक्षा-दीक्षा का काम कई दिनों से बंद...

पीएम के संसदीय क्षेत्र में सरकारी दावे महज काग़ज़ी, मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं गरीब

आज़ादी के सात दशक बीत जाने के बाद भी इन गाँवों के ज़रूरतमंद व वंचित समाज के लोगों को मूलभूत सुविधाओं से रुबरू होने का अवसर ही नहीं मिला है। उपर्युक्त आरोप दलित फ़ाउंडेशन से जुड़े सामाजिक कार्यकर्ता राजकुमार गुप्ता का है, जो गुरुवार को उक्त गाँवों का दौरा कर दलित, वंचित व जरुरतमंदों की सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक स्थितियों का जायजा ले रहे थे।

बढ़ती हुई मंहगाई के कारण सरकार के खिलाफ जनता का विरोध-प्रदर्शन

वाराणसी के शास्त्री घाट, कचहरी पर भी पेट्रोल, डीजल, रसोई गैस, खाद्य-पदार्थों, दवाई, फलों सहित कई चीजें की दामों हो रही बेतहाशा वृद्धि के खिलाफ भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) और उत्तर प्रदेश किसान सभा वाराणसी के बैनर तले विरोध-प्रदर्शन व सभा का आयोजन किया गया था। यहां पर भी राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा गया। शास्त्री घाट पर हुए सरकार के खिलाफ अपना आक्रोश दिखाते हुए वक्ताओं ने कहा कि सरकार जनता को मंहगाई से राहत दिलाने की बजाय केवल रोज-रोज नयी-नयी योजनाओं की शुरुआत कर सब्जबाग दिखाने में लगी है। हम सब इसका जवाब भविष्य के चुनावों में देंगे।

बातें कहानियों की, खिस्से भारत के मोदी की (डायरी 29 अक्टूबर, 2021)  

कहानी शब्द अपने आप में बहुत खास है। इस शब्द का निर्माण ‘कहना’ से हुआ है। मुझे लगता है कि इसका विकास नवपाषाण युग...

छात्रों से किये वादे से मुकरा बीएचयू प्रशासन

 माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के वाराणसी दौरा के अगले ही दिन मंगलवार यानी 26/10/2021 निम्नलिखित मांगों को लेकर काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के छात्र एकत्रित...

सुप्रीम कोर्ट का साहस, नरेंद्र मोदी की नैतिकता (डायरी 28 अक्टूबर, 2021)  

कल से एक शब्द दिमाग में धमाचौकड़ी मचा रहा है। यह शब्द है– नैतिकता। इसकी परिभाषा क्या हो सकती है? मुझे लगता है कि...

पाकिस्तान के नाम से आरएसएस के भड़कने का निहितार्थ (डायरी 27 अक्टूबर, 2021)

सियासत की एक खासियत रही है कि इसने अपने मकसद में कभी बदलाव नहीं किया है। हालांकि सियासत ने अपने रूप जरूर बदले हैं।...

आधुनिक भारत में ब्राह्मणों और राजपूतों के बीच ऐसे हो रही लड़ाई  (डायरी 14 अक्टूबर, 2021)  

भारत के शासकों ने देश के अखबारों के जैसे अपनी परिभाषा बदल ली है। यह बिल्कुल वैसा ही है जैसे इस देश के पुलिस...

सत्ता और जनसत्ता (डायरी, 13 अक्टूबर 2021)

जीवन को लेकर मेरी एक मान्यता है। यह मान्यता विज्ञान पर आधारित है। मेरी मान्यता है कि ब्रह्मांड में कुछ भी स्वतंत्र  नहीं है।...

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