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सरकार द्वारा तोड़ी गयी मुसहर बस्ती की ‘अपनी पाठशाला’

सरकार द्वारा करसड़ा गांव की उजाड़ी हुई मुसहर बस्ती और तोड़ी गयी अपनी पाठशाला के बच्चों की शिक्षा-दीक्षा का काम कई दिनों से बंद है। फिर भी वहां नि:स्वार्थ से सेवा देने वाले अध्यापकों और बच्चों की अदम्य इच्छाशक्ति के आगे सत्ता का रौब बौना साबित हुआ। पाठशाला के बच्चों ने रविवार को बाल दिवस […]

सरकार द्वारा करसड़ा गांव की उजाड़ी हुई मुसहर बस्ती और तोड़ी गयी अपनी पाठशाला के बच्चों की शिक्षा-दीक्षा का काम कई दिनों से बंद है। फिर भी वहां नि:स्वार्थ से सेवा देने वाले अध्यापकों और बच्चों की अदम्य इच्छाशक्ति के आगे सत्ता का रौब बौना साबित हुआ। पाठशाला के बच्चों ने रविवार को बाल दिवस के अवसर पर टूटी हुई पाठशाला में ही खुले आसमान के नीचे बाल संसद लगा दी। सभी बाल सदस्यों ने संसद में अपनी हाजिरी लगायी और उसके संसद की कार्यवाही शुरू हुई। बाल सांसदों यानी मुसहर बस्ती के बच्चों ने संसद में अपनी पाठशाला और बस्ती बचाने के संदर्भ में अध्यक्ष के समक्ष एक प्रस्ताव रखे। अध्यक्ष ने प्रस्ताव को मंजूरी देते हुए बहश शुरू करवा दी। सभी सदस्यों ने एक स्वर में इसके लिए पीएम मोदी के नाम पत्र लिखने की बात स्वीकार कर ली।

पाठशाला और बस्ती उजड़ने के कारण बच्चे खेलकूद कर अपना समय व्यतीत कर रहे है। खुले आसमान के नीचे बच्चे किसी तरह ठंड बर्दाश्त कर अपनी पढ़ाई जारी रखे थे। किंतु एक दिन सत्ता के नुमाइंदों ने बाहर से पढ़ाने आने वाले शिक्षकों को बस्ती में आने से रोक दिया था।

[bs-quote quote=”बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर का रूप धारण किये एक धर्मू नाम का छात्र ने बताया कि शिक्षा और आवास हमारे संवैधानिक मूल्यों से जुड़ा है। हमारी पाठशाला में लगभग तीस-पैंतीस छात्र-छात्राएं नामांकित थे। अब उनकी शिक्षा चौपट हो गयी है। आज हम सब किसी तरह हिम्मत करके बाल संसद का आयोजन किया है और अपनी मांगों को लेकर देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नाम सामूहिक रूप से पत्र लिखा है।” style=”style-2″ align=”center” color=”” author_name=”” author_job=”” author_avatar=”” author_link=””][/bs-quote]

बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर का रूप धारण किये एक धर्मू नाम का छात्र ने बताया कि शिक्षा और आवास हमारे संवैधानिक मूल्यों से जुड़ा है। हमारी पाठशाला में लगभग तीस-पैंतीस छात्र-छात्राएं नामांकित थे। अब उनकी शिक्षा चौपट हो गयी है। आज हम सब किसी तरह हिम्मत करके बाल संसद का आयोजन किया है और अपनी मांगों को लेकर देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नाम सामूहिक रूप से पत्र लिखा है। पत्र के जरिए हम सब ने प्रधानमंत्री से यह मांग किया है कि दिवि वेलफ़ेयर सोसायटी द्वारा प्रदत्त अपनी पाठशाला और मुसहर बिरादरी पीड़ित परिवारों के घरों को पुनः बसाया जाए। पीड़ित परिवारों को उचित सम्मान, न्याय और मुआवजा भी दी जाए। इस पत्र के संबंध में लाये गये प्रस्ताव को सभी ने सर्वसम्मति से पारित किया। हम बच्चों द्वारा लिखें पत्र को पीएम को भेजा जाएगा।

बाल संसद के आयोजन के पहले शिक्षकों ने देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के जीवन वृतांत पर प्रकाश डालकर कार्यक्रम की शुरुआत किया। आज के बाल दिवस और बाल संसद के आयोजन के अवसर पर दलित फ़ाउंडेशन से जुड़े सामाजिक कार्यकर्ता राजकुमार गुप्ता, अनिल कुमार, पायल रतन, दिवि वेलफ़ेयर सोसायटी से जुड़े वीरभद्र सिंह, विनीत सिंह, धीरेंद्र गिरी, भास्कर पटेल, रश्मि सिंह, राकेश सिंह, अनुराधा गुप्ता सहित राजेश कुमार, राहुल, बुद्धुराम, सदानंद, विजय, शंकर आदि लोग उपस्थित थे।

गाँव के लोग
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