Thursday, November 21, 2024
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उत्तराखंड : लड़कियों को आत्मनिर्भर होने के लिए तकनीकी शिक्षा एक महत्त्वपूर्ण माध्यम है

एक समय था जब डिग्रीधारी को नौकरी मिल जाया करती थी लेकिन आज के समय में डिग्री मात्र से कहीं काम मिलना असंभव है, डिग्री के साथ कोई तकनीकी ज्ञान होना बहुत जरूरी है। आज हर कोई कंप्यूटर सीखकर आगे बढ़ सकता है, बेशक उसके सीखने की ललक कितनी हैबहुत। लड़कियां आत्मनिर्भर हो जाएं, इसके लिए यह अच्छा साधन है। 

उत्तराखंड : बिजली कटौती के कारण ग्रामीणों का दैनिक जीवन हो रहा प्रभावित

देश में कोयला का बेतहाशा खनन और उपयोग बिजली बनाने के लिए किया जा रहा है। आज भी देश के कई ऐसे ग्रामीण क्षेत्र ऐसे हैं जहां लोगों को या तो आज भी बिजली की सुविधा उपलब्ध नहीं है या फिर नाममात्र की बिजली सप्लाई मिलती है। सरकार का दावा कि बिजली का सरप्लस उत्पादन हो रहा है, झूठा साबित होता दिखता है।

उत्तराखण्ड : सरकार का नशा मुक्ति अभियान तभी सफल होगा, जब नशे की चीजों पर बिकने से रोक लगे

पढ़ने -लिखने की उम्र में आज बच्चे और युवा नशे की आदत के शिकार हो रहे हैं। यह अच्छा संकेत नहीं है। खासकर गांव में नशे का बढ़ता चलन बढ़ गया है। पूरे देश में डेढ़ करोड़ बच्चे नशे का सेवन करते हैं। इसमें से कुछ नशा तो ऐसा है जो सर्व सुलभ नहीं है। सरकार नशा मुक्ति अभियान तो चलाती है लेकिन शराब और नशे की अन्य चीजों पर रोक नहीं लगाती क्योंकि यह अच्छे राजस्व मिलने का साधन होते हैं, सवाल यह है कि ऐसे में नशा मुक्ति अभियान कितना सफल हो पाएगा?

Lok Sabha Election : उत्तराखंड में 5 बजे तक 53.65 फीसदी मतदान, राज्य के कई जिलों में ग्रामीणों ने किया चुनाव बहिष्कार

उत्तराखंड के पर्वतीय ग्रामीण इलाकों के लोग पेयजल, सड़कों, स्वास्थ्य एवं शिक्षा से जुड़ी सुविधाओं के गांवों में न पहुँचने से नाराज हैं।

Lok Sabha election : क्या उत्तराखंड के पहाड़ भाजपा से मांगेंगे अपनी अस्मिता का जवाब? इस बार चौंका सकते हैं पहाड़ी राज्य के नतीजे

टिहरी सीट इस समय देश भर में चर्चा का विषय बन चुकी है क्योंकि युवा प्रत्याशी बॉबी पँवार ने भाजपा के लिए सिरदर्द पैदा कर दिया है। पिछले कुछ वर्षों में वह उत्तराखंड के युवाओं की आवाज बनकर उभरे हैं। उन्होंने पेपर लीक के खिलाफ पूरे प्रदेश के युवाओ के साथ आंदोलन किया जिसके चलते उन पर कई फर्जी मुकदमे दर्ज किये गए। बॉबी पँवार उत्तराखंड में चल रही बदलाव की आहट का प्रतीक हैं।

उत्तराखंड : पिंगलो गांव में हरियाली के बीच बढ़ती गन्दगी से लोग परेशान

उत्तराखंड के बागेश्वर के पिंगलो गांव में तो हरियाली की कमी नहीं है लेकिन स्थानीय स्तर पर जागरूकता की कमी के कारण लोग अपने आसपास के स्थानों को ही गंदा कर रहे हैं।

उत्तराखंड : पिंगलों गांव में बंदरों के आतंक से कृषि हो रही चौपट

पिंगलों गांव के लोग बंदरों के आतंक से परेशान हैं। यहाँ बन्दर न सिर्फ फसलों को नष्ट कर दे रहे हैं बल्कि लोगों के ऊपर झपट्टा मारकर घायल भी कर दे रहे हैं।

उत्तराखंड : पिंगलों गांव के लोग बेरोजगारी के कारण अभाव में जी रहे हैं

उत्तराखंड के पिंगलों ‘गाँव में रोजगार का कोई साधन नहीं होने की वजह से लोग पलायन कर रहे हैं। नौजवान दिल्ली, मुंबई, सूरत, अमृतसर और अन्य शहरों के होटलों और ढाबों में काम करने को मजबूर हैं।

क्या है उत्तराखंड का यूसीसी बिल?

यूसीसी विधेयक आदिवासी समुदाय को छोड़कर राज्य के सभी निवासियों पर लागू होता है। राज्य में आदिवासी पूरी आबादी का 2.9% हैं और शुरू से ही यूसीसी के ख़िलाफ़ रहे हैं।

हल्द्वानी में मदरसे और मस्जिद को ढहाए जाने पर हिंसा भड़कने के बाद कर्फ्यू, 60 लोग घायल

उत्तराखंड (भाषा) नैनीताल जिले के हल्द्वानी के बनभूलपुरा क्षेत्र में स्थित एक मदरसा एवं मस्जिद को जेसीबी से ढहा दिया। जिसके बाद क्षेत्र में पैदा...

उत्तराखंड समान नागरिक संहिता विधेयक को राज्य की महिला समूहों ने किया ख़ारिज

उत्तराखंड की महिला समूहों ने राज्य विधान सभा में हाल ही में पास हुए उत्तराखंड समान नागरिक संहिता; यूसीसी ड्राफ्ट बिल को पूरी तरह...

पढ़ी-लिखी महिलाएं ही भारत का भविष्य हैं

वर्ष 2023 राजनीतिक, आर्थिक, वैज्ञानिक और तकनीकी दृष्टिकोण से भारत के लिए ऐतिहासिक रहा है। धरती से लेकर अंतरिक्ष तक भारत ने अपनी प्रतिभा...

उत्तराखंड: सुरंग से 41 जानें बचाने वाले ‘रैटहोल’ मजदूरों को नहीं चाहिए मुख्यमंत्री का ‘मामूली’ ईनाम!

गुरुवार को पुष्कर सिंह धामी ने इस टीम को चेक वितरित किए थे, उस वक्त इन्होंने चेक लेने से इंकार कर दिया था लेकिन समझाने बुझाने के बाद आखिरकार इन्होंने पुरस्कार ले लिया, हालांकि चेक न भुनाने का सामूहिक फैसला भी लिया है

नेपाल में कर्णाली और भारत में घाघरा : हर कहीं नदियों के साथ हो रहा है दुर्व्यवहार

घाघरा उत्तर भारत में गंगा की सबसे बड़ी सहायक नदी है। भारत में यह नेपाल के चीसापानी से बहराइच जनपद में प्रवेश करती है। दरअसल, नेपाल में कैलाली प्रांत में तिब्बत के हिमनदों से निकलकर यह नदी बहुत बड़े हिस्से को प्रभावित करती है, जो वहाँ की जन संस्कृति और जैव विविधिता को जीवनदान देती है। तिब्बत में यह नदी मापचा चुँगो हिमनद पर समुद्र तल से 3962 मीटर ऊपर से निकलती है। फिर तिब्बत में यह मापचा सांपों के नाम से जानी जाती है। नेपाल में इसे कर्णाली नदी के नाम से जानते हैं। यह नेपाल की सबसे लंबी नदी है। इसकी लंबाई 507 किलोमीटर है। नेपाल में दो बड़ी नदियाँ कर्णाली में अपनी यात्रा समाप्त करती हैं। पहली है सेती नदी और दूसरी भेरी नदी। यह नेपालगंज के पास सुर्खेत में अपनी यात्रा समाप्त कर कर्णाली को और खूबसूरत बना देती है। चीन में कर्णाली नदी की अंदर कुल लंबाई 113 किलोमीटर है और नेपाल में यह 507 किलोमीटर लंबी है।

उत्तराखंड के मिकीला गाँव में आज तक सड़क नहीं पहुँची

अस्पताल की कमी और सड़क की खस्ताहाली का सबसे ज़्यादा बुरा प्रभाव गर्भवती महिलाओं पर पड़ता है। प्रसव के समय करीब में अस्पताल नहीं होने से जहां उन्हें परेशानी होती है तो वहीं जर्जर सड़क के कारण उनके प्रसव दर्द को और भी जटिल बना देता है।

श्रमिकों की सकुशल वापसी तो हो गई है पर अभी भी अनुत्तरित हैं बहुत से सवाल

उत्तराखंड में उत्तरकाशी के पास सिल्कयारा सुरंग में फंसे 41 श्रमिकों की सुरक्षित वापसी पूरे देश के लिए अत्यंत संतोष की बात है। पिछले...

सिलक्यारा सुरंग से बाहर आए श्रमिक ने कहा हमने कभी उम्मीद नहीं छोड़ी

उत्तरकाशी, (भाषा)। उत्तराखंड में निर्माणाधीन सुरंग में 16 दिन फंसे रहने के बाद बाहर निकले श्रमिक विशाल ने कहा कि उन्होंने कभी उम्मीद का...

सुरंग में सत्रह दिन से फंसे मजदूर सकुशल निकले बाहर, देश भर में जश्न का माहौल

उत्तरकाशी। उत्तराखंड में सिलक्यारा सुरंग में पिछले 17 दिन से फंसे 41 श्रमिकों को सकुशल  बाहर निकाल लिया गया है। श्रमिकों को एक-एक करके...

उत्तराखंड : नेटवर्क की सुविधा से आज भी वंचित हैं पहाड़ के गांव

विकास के असमान वितरण के कारण जगथाना जैसे देश के दूर दराज़ गांव पिछड़ते जा रहे हैं। अगर देश को विकसित बनाना है तो हमें विकास के सभी पहलुओं और दूर दराज़ के गांवों को साथ लेकर चलना होगा। ऐसे में ज़रूरी है कि जगथाना जैसे देश के दूर दराज़ गांव को नेटवर्क जैसी ज़रूरतों से पूर्ण किया जाए, ताकि सभी नागरिक संवाद के एक मज़बूत डोर में बंध सकें।

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