आजमगढ़ के मन्दुरी गाँव के खिरिया बाग़ में पिछले बहत्तर दिनों से अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के निर्माण के लिए यहाँ के आठ गांवों की 670 एकड़ जमीन सरकार द्वारा अधिग्रहण किए जाने विरोध हो रहा है। इसके लिए 12-13 अक्टूबर को पुलिस प्रशासन बिना किसी पूर्व अधिसूचना के गाँव में पहुंचकर नाप-जोख करने लगे। जिसका गाँव वालों ने तुरंत ही विरोध किया और जमीन की नपाई के लिए मना किया। जिसके बाद पुलिस ने महिलाओं से हाथापाई कर डंडे से मारते हुए जातिसूचक गालियां दी और अपमानित किया। इसके लिए आठ गांवों की महिलाओं ने तुरंत धरना-प्रदर्शन कर उन पुलिस वाले और प्रशासन के आदमियों के खिलाफ कानूनी कार्यवाही करने की मांग रखी। धीरे-धीरे इस आन्दोलन ने स्वत:स्फूर्त तरीके से एक वृहद् रूप ले लिया। आज इस आन्दोलन को 73 दिन हो चुके हैं। सबसे महत्त्वपूर्ण बात कि इस आन्दोलन का नेतृत्व और संचालन गाँव की महिलायें कर रही हैं, जो पेशे से किसानिन और मजदूर हैं। 2 बजे से 5 बजे तक चलने वाले इस धरना-आन्दोलन के समर्थन में देश के अनेक किसान नेता, सामाजिक कार्यकर्ताओं ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है।
पुलिस लाइन्स गेस्ट हाउस में संदीप पाण्डेय से बातचीत का एक वीडियो (जिसे बनाने पर पुलिस अधिकारी ने मझे फटकार लगाई)
आज 73वें दिन खिरिया बाग़ आन्दोलन के समर्थन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी से आजमगढ़ तक पदयात्रा निकाले जाना तय था। संदीप पाण्डेय पर निगरानी लखनऊ से ही शुरू कर दी गई थी क्योंकि उन्हें लखनऊ में ट्रेन में चढ़ने के बाद ही एक पुलिस वाले ने आकर उनसे बातचीत की और फोटो खींचकर भेजी। इस पदयात्रा में शामिल होने के लिए मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित संदीप पाण्डेय और उनके साथियों को कैंट वाराणसी रेलवे स्टेशन पर सिगरा पुलिस ने लखनऊ छपरा एक्सप्रेस ट्रेन से उतरने के बाद सुबह छ: बजे हिरासत में लेकर पुलिस लाइन्स के गेस्ट हाउस में नज़र बंद कर दिया। कारण पूछने पर पुलिसवालों ने कहा कि ऊपर से आर्डर आया है, लॉ एंड ऑर्डर बिगड़ जाएगा। उनका फ़ोन छीनने के कोशिश की गई और मोबाइल पर बात नहीं करने का आदेश दिया गया। हमने प्रतिरोध में पुलिस गेस्ट हाउस में सोफे से उतरकर नीचे बैठ गए और विरोधस्वरूप धरना शुरू किया। यह पदयात्रा डॉ. अम्बेडकर प्रतिमा कचहरी से प्रारंभ होकर आजमगढ़ में प्रस्तावित एयरपोर्ट तक जाने वाली थी। आजमगढ़ में प्रस्तावित अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट के भूमिग्रहण के खिलाफ चल रहे आंदोलन के समर्थन में पदयात्रा का आयोजन विभिन्न जन संगठनों द्वारा किया गया था।
पुलिस लाइन्स गेस्ट हाउस में संदीप पाण्डेय से बातचीत का एक वीडियो (जिसे बनाने पर पुलिस अधिकारी ने मझे फटकार लगाई)
किसी से भी मिलने की मनाही कर दी गई। उनसे मिलने जब लोग पहुंचे रहे थे तो कहा गया कि संदीप पाण्डेय यहाँ नहीं हैं। जबकि पदयात्रा के लिए आजमगढ़ के साथ अन्य जिलों से अनेक लोग इकट्ठे हुए थे। वरिष्ठ पुलिस अधिकारी एसीपी अतुल अंजान त्रिपाठी और और एडिशनल सीपी राजेश कुमार पाण्डेय आये और उन्होंने पूछा कि क्या आपको आजमगढ़ छोड़ दें लेकिन हम लोगों ने कहा कि आजमगढ़ से आये राजीव यादव और अन्य साथियों से मिलने के बाद ही हम आपको बताएँगे। उनसे बात होने के बाद यह तय हुआ कि आज की पदयात्रा स्थगित कर एक बड़ा जुटान 26 दिसम्बर को खिरिया बाग में किया जाए। 26 दिसम्बर को इस आन्दोलन के 75 दिन पूरे हो रहे हैं।
वापस लखनऊ जाते हुए संदीप पाण्डेय ने रास्ते से वीडियो बनाकर भेजा
उनसे इस यात्रा रोकने के लिए कहा गया। इस पदयात्रा में शामिल होने के लिए उत्तर प्रदेश के अनेक जिलों के लोगों के अलावा महाराष्ट्र से भी लोग यहाँ पहुंचे हुए थे। वहां पहुँचने पर गेस्ट हाउस के एक कमरे में बैठकर सामाजिक संगठनों के कार्यकर्ताओं से बतिया रहे थे। साथ ही पुलिस उपायुक्त अतुल त्रिपाठी भी साथ बैठे हुए थे। बातचीत में पदयात्रा की मनाही के बाद उन्हें वापस लखनऊ जाने को कहा गया। पुलिस अधिकारी ने वहां फोटो लेने, वीडियो बनाने और मीडिया से बातचीत करने की पूरी तरह मना कर दिया गया। मेरे द्वारा वीडियो बनाए जाने पर मुझ पर पुलिस अधिकारी ने नाराजगी जाहिर की, जिस पर संदीप पाण्डेय उन्हें कहा कि मीडिया का अपना काम है, उन्हें तो बातचीत करने की स्वतंत्रता है। लेकिन इसके बाद भी मुझे कहा कि आप इनसे बातचीत या विडियो यहाँ से निकलने के बाद पुलिस कैंपस के बाहर करें। बहुत से लोग पुलिस अधिकारी की बात मान बाहर बात करने का मन बनाया था वे बाहर भी बात नहीं कर पाए क्योंकि छोड़े जाने पर जिस गाड़ी में वे सवार हुए उसे सीधे लखनऊ में रोकने का का आदेश दिया गया। यह पुलिस-प्रशासन सरकार के हाथ की कठपुतली हैं। सरकार इनकी बातचीत मीडिया या अखबार में न आये इसके लिए हर संभव कोशिश में लगी हुई है।
वापस लखनऊ जाते हुए संदीप पाण्डेय ने रास्ते से वीडियो बनाकर भेजा
जब इन्हें छोड़ा गया तो संदीप पाण्डेय ने सार्वजानिक वाहन से जाने की मंशा जाहिर की लेकिन पुलिस उपायुक्त ने उनसे कहा कि आपको मैग्सेसे अवार्ड मिला हुआ है, आपको ऐसे नहीं बल्कि सम्मान से अपनी गाड़ी में पहुंचाएंगे। दो घंटे बाद गाड़ी आई और संदीप पाण्डेय व उनके सात साथियों को उस गाड़ी से पौने एक बजे करीब पुलिस लाइन्स से लखनऊ के लिए रवाना किया गया, इस आदेश के साथ कि गाड़ी कहीं रोकी न जाए। 26 दिसम्बर को इस आन्दोलन के 75वें दिन आजमगढ़ में मिलने के वादे के साथ।
विरोध होने की बात को लेकर बताया कि किसान पूछ रहे हैं कि लखनऊ में 80 एकड़ में एअरपोर्ट बना हुआ है तब यहाँ 670 एकड़ क्यों चाहिए? उनका सवाल वाजिब है लेकिन जवाब नहीं सरकार के पास। सबके दिमाग में एक ही बात है कि यह जमीन किसानों से लेकर पूंजीपति अडानी को देने की तैयारी है। उन्होंने यह भी कहा कि आजमगढ़ के सगड़ी तहसील के आठ गांवों की यह जमीन बेहद उपजाऊ है और लोगों के रोजगार का मजबूत आधार स्तम्भ भी। उन्होंने मुआवजे की बात पर कहा कि जब किसान जमीन ही नहीं देना चाहते तो मुआवजे का प्रश्न ही नहीं खड़ा होता। कृषि भूमि का कोई विकल्प नहीं है। सारा व्यवसाय बंद हो सकता है लेकिन खेती नहीं। कोरोना के समय सभी काम-धंधे बंद थे लेकिन खेती-किसानी का काम चल रहा था। इसिलिये खेती की जमीन वह भी उपजाऊ जमीन पर हवाई अड्डा बनाने की बात समझ से परे है। उन्होंने स्पष्ट कहा कि लोग मुआवजे की लड़ाई नहीं लड़ रहे हैं, लोग अपनी जमीन बचाने की लड़ाई लड़ रहे हैं।
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उनके जाने के बाद आजमगढ़ के 9 साथी पुलिस लाइन्स वाराणसी से अपनी गाड़ी पर रवाना होने के बाद मात्र 28-29 किलोमीटर की दूरी पर थाना चोलापुर में उनकी गाड़ी UP50AB8001 को ओवेरटेक करती हुई बिना नंबर की एक मार्शल उनकी गाड़ी के सामने खड़ी हुई और बहुत ही हड़बड़ाते हुए दरवाजा खुलवाते हुए खुद को एटीएस या एसटीएफ का आदमी बताया। वे लोग सादी वर्दी में थे।
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राजीव यादव और उनके भाई विनोद यादव, जो गाड़ी चला रह थे, को मारते हुए अपनी गाड़ी में बिठाकर ले गए। साथ में गाड़ी की चाबी भी ले गए। गाड़ी के साथी कुछ समझ पाते तब तक गाड़ी निकल गई। बिना किसी सूचना या वारंट के इस तरह ले जाना एक तरह से पुलिस द्वारा अपहरण है, जो बहुत ही गंभीर मामला है। देश की सरकार किसी भी आन्दोलन का हल बातचीत से नहीं बल्कि आंतक से दमन कर करना चाहती है। आये दिन हम इस तरह के अपहरण और थाने में मारपीट की घटनाएं सुनने-देखने को मिल रही है।
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उनके साथी प्रवेश निषाद ने फ़ोन पर मुझे तीन बजकर पांच मिनट पर सूचना दी. मैंने और लोगों को फोन के मार्फ़त सूचित किया। अभी साढ़े चार फिर से प्रवेश निषाद ने बतया कि उन लोगों ने 112 पर फ़ोन कर राजीव यादव और विनोद यादव को उठा लेने की सूचना दी। उस घटना स्थल पर दानगंज पुलिस आई और उन्होंने बताया कि दूँ दोनों को आजमगढ़ क्राइम ब्रांच वाले पकड़कर ले गए हैं। फिलहाल दानगंज थाने ने राजीव यादव के साथ साथियों को कहा कि वे दानगंज थाना आ जाये जहाँ उन्हें गाड़ी की चाबी मिल जायेगी और इसके बाद वे वापस जा सकते हैं। सवाल यह उठाता है कि किसी भी व्यक्ति को को बिना किसी कारन बताये इस तरह अपहरण करने के तरीके से पुलिस ले जा सकती है?
पुलिस हिरासत से शाम को छूटने के बाद अपनी बात रखते हुए राजीव यादव(वीडिओ -1)
पुलिस हिरासत से शाम को छूटने के बाद अपनी बात रखते हुए राजीव यादव(वीडिओ -2 )
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