मौजूदा परिप्रेक्ष्य में सत्ता को एक नियत वैरिएबुल मान लेते हैं, जिसके केंद्र में हिंदुत्व है और वह हर हाल में अपनी सत्ता को बरकरार रखने के लिए प्रतिबद्ध है। वह इतना प्रतिबद्ध है कि वह सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को राज्यसभा भेजने की रिश्वत दे सकता है और मुख्य न्यायाधीश भी सत्ता के हितों का ख्याल रखते हुए फैसला सुना सकता है। उदाहरण के लिए हम चाहें तो रंजन गोगोई का नाम ले ही सकते हैं। बाबरी विध्वंस मामले में उनकी अध्यक्षता वाली खंडपीठ का फैसला एक नजीर है।
कल न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला की खंडपीठ ने यह टिप्पणी की कि उनके विवादित बयान से देश में आग लग गयी और उदयपुर की घटना के लिए भी वही जिम्मेदार हैं। खंडपीठ ने दिल्ली पुलिस को भी डांट लगायी कि उसने नुपूर शर्मा को गिरफ्तार क्यों नहीं किया और उनके लिए रेड कारपेट क्यों बिछाया।

[…] न्याय और अन्याय इस गणितीय प्रमेय से सम… […]
[…] न्याय और अन्याय इस गणितीय प्रमेय से सम… […]