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ग्राउंड रिपोर्ट

गाजीपुर : पानी की टंकी का कागज नहीं मिलने पर मेदनीपुर में पानी की सप्लाई की ज़िम्मेदारी नहीं लेते यहाँ के प्रधान

केंद्र सरकार का सबको घर तक पानी पहुँचने के दावे खोखले साबित हो रहे हैं। ग्रामीण पानी के लिए परेशान हैं। टंकी है तो पानी नहीं, पानी है तो पाइप से सप्लाई नहीं। गर्मी के दिन आ गए पाने के अभाव में हर व्यक्ति परेशान है।

एक तरफ देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी देश से भ्रष्टाचार के खात्मे की बात करते हैं तो वहीं दूसरी ओर भाजपा शासित उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले के रेवतीपुर ब्लॉक के मेदनीपुर गांव में छः करोड़ की लागत से बनी पानी की टंकी भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गयी। जल निगम विभाग द्वारा बनवाई गयी यह पानी टंकी आए दिन खराब रहती है। दाद में खाज वाली बात तो यह है कि इस टंकी का पानी गाँवों तक पहुंचाने के लिए डाली गई पाइप महज चार साल में ही जगह-जगह से फटनी शुरू हो गई है जिससे गाँवों तक टंकी का पानी नहीं पहुंच पा रहा है और लोग गर्मी में अपनी प्यास बुझाने के लिए बेहाल नजर आए। पानी की टंकी 6 करोड़, लाख 75 हजार की लागत से बनी हुई है। टंकी की क्षमता 15 लाख लीटर पानी की है।

टंकी है तो पानी नहीं, पानी है तो पाइप से सप्लाई नहीं। 

 ‘गांव के लोग’ की टीम पीने के पानी की समस्या से जूझते रेवतीपुर ब्लॉक के गांवों का हाल जानने के लिए मेदनीपुर गांव पहुंची तो गांव के तिराहे वाली सड़क के पास गुमटी की दुकान में बैठे फेकूराम पानी के सवाल पर बोले, ‘इससे तो अच्छी पुरानी वाली टंकी ही थी। कम से कम उससे फोर्स से पानी तो आता था। नयी वाली टंकी गांव के लोगों के लिए सिरदर्द बन चुकी है।’ कारण पूछने पर फेकूराम आगे बोले, ‘नयी वाली टंकी से फोर्स के साथ पानी नहीं आता। हमेशा कहीं न कहीं पाइप फटी ही रहती है। जब फाइप फट जाएगी तो पानी का फोर्स तो अपने आप कमजोर हो ही जाएगा।’ फेकूराम नाराजगी भरे स्वर में आगे बोले, ‘पाइप जब कमजोर डाली जाएगी तो फटेगी ही। पाइप फटने की शिकायत जब ग्राम प्रधान गुलाबचन्द से करिए तो वे बोलते हैं, खुद से ही बनवा लो, हम कितना बनवाएंगे। गांव का प्रधान होने के नाते उनकी जिम्मेदारी है कि जितनी बार पाइप फटेगी, उन्हें बनवाना होगा। क्योंकि टंकी को चलाने की जिम्मेदारी उन्हीं को अधिकारियों ने दे रखी है।’ फेकूराम आज पीने के पानी के लिए सड़क पर लगे हैंडपम्प पर पूरी तरह से निर्भर हैं।

पनि की टंकी

गांवों में पानी की टंकी के संचालन की जिम्मेदारी सरकार द्वारा गांव के प्रधान को दी गई है। पानी की टंकी के रखरखाव और पाइप के टूटने-फूटने की स्थिति में उसके मरम्मत की जिम्मेदारी भी उन्हीं की है। इसके लिए उन्हें एक-दो आदमी रखने की छूट भी है। यह व्यवस्था पूरी तरह से ठेके वाली पद्धति पर आधारित है। यानि प्रधान अपना आदमी रखकर पानी की टंकी का संचालन करवाए। बदले में प्रधान गांव के लोगों से प्रति कनेक्शन 50 रूपए की वसूली भी कर रहे हैं। पाइप के फटने या पानी की टंकी में कोई दिक्कत आने की स्थिति में उसे पानी से हुई वसूली के पैसे से बनवाने और उसी पैसे से रखे गए मजदूरों को सेलरी भी देने की जिम्मेदारी प्रधान के जिम्मे है।

 गांव में गुलाबचन्द भारती ने पानी टंकी के संचालन के लिए अशोक यादव समेत तीन लोगों को रखा है। पाइप फटने या किसी भी दूसरी प्रकार की समस्या आने पर उसे दूर करने की जिम्मेदारी इन्हीं लोगों के कंधों पर है।

गार्ड अशोक की अनुपस्थिति में सूर्यनाथ यादव ड्यूटी करते हुए

 पानी की टंकी देखने पहुंची। पानी की टंकी मेदनीपुर तिराहे से 2-3 सौ मीटर की दूरी पर ओवरब्रिज के पास स्थित है। पानी टंकी को देखने के लिए जब हम के परिसर के अन्दर पहुंचे, वहाँ परिसर में पीपल का पुराना पेड़ है। पीपल से थोड़ी दुरी पर ही पानी की दोनों टंकियां (नई और पुरानी) दिखाई दे रही थी। उसी के बगल में गार्ड का रूम था। अन्दर जाने पर गार्ड रूम में एक बुजुर्ग व्यक्ति सूर्यनाथ यादव मिले। क्या आप यहां के गार्ड हैं? सवाल पर सूर्यनाथ बोले ‘मैं यहां का गार्ड नहीं हूं। मेरा भतीजा अशोक पानी की टंकी की देख-रेख करता है। आज वह कुछ काम से बाहर गया है, इसलिए उसकी जगह पर मैं ही यहां परिसर की देखरेख कर रहा हूं।’

पानी की टंकी कब से खराब है? इस सवाल पर सूर्यनाथ बोले ‘एक दिन पहले खराब हुई थी। आज बनकर तैयार है। लाइट आते ही मशीन चला दी जाएगी।’ पानी की टंकी से बार-बार सप्लाई बंद क्यों हो जा रही है? सवाल पर सूर्यनाथ बोले ‘जैसा इसमें सामान लगा है, वैसे ही न वह काम करेगा।’

अपने मन की पीड़ा को व्यक्त करते हुए सूर्यभान आगे बोले ‘तीन महीना हो गया भतीजे को सेलरी मिले। अब तो सरकार ने पहले वाली व्यवस्था खत्म कर दी। अब पानी की टंकी का जिम्मा गांव में प्रधान को दे दिया जा रहा है। गांव के प्रधान चाहें तो खुद चलाएं या किसी से चलवाएं। पहले सब कुछ सरकार के जिम्मे था। सरकारी आदमी रखा जाता था, मशीन को चलाने और बंद करने के लिए। महीने में समय से तनख्वाह आती थी। पानी के बदले यहाँ लोगों से प्रति कनेक्शन 50 रूपया महीने का लेने की बात है लेकिन देता कोई नही है। पहले लोग पानी का बिल भरने में कोताही करते थे लेकिन पानी की सप्लाई बंद हो जाने के डर से 50/- चुकाने लगे। पानी सप्लाई का काम आज ग्राम पंचायत के हाथ में आ जाने से प्रधान अपनी मनमानी करता है। इस कारण सरकारी नौकरी गायब हो गयी। उपस्थित गार्ड ने बताया कि इकट्ठे हुए 50/- वसूलने के लिए मशक्कत करना पड़ती है।’

बहलोल निवासी फणिंदर यादव

मेदनीपुर की पानी टंकी से मेदनीपुर, ताड़ीघाट, सुजानपुर, बवाड़ा, गंग बरार बवाड़ा, भिख्खिचौरा, रमवल, मिर्जापुर नामक आठ गाँवों को पानी पहुंचाने के लिए पाइप तो बिछा दी गई है, लेकिन अधिकांश गांव के लोगों की शिकायत है कि उनके यहां पाइप से पानी आता ही नहीं।

मेदनीपुर पानी की टंकी से डेढ़ से दो किलोमीटर की दूरी पर स्थित बहलोलपुर, ताड़ीघाट पहुंचने पर गांव के निवासी फणिंदर यादव पानी के सवाल पर बोले ‘हमारे गांव में भी मेदनीपुर वाली पानी टंकी का पानी कनेक्शन है। शुरू–शुरू  में तो कुछ दिनों तक पानी ठीक-ठाक ढंग से आया लेकिन उसके बाद अब तो कभी-कभी ही पानी आता है। कई बार पानी न आने की शिकायत हम लोग जलकल विभाग के लोगों से भी किए, लेकिन उसका कोई फायदा नहीं हुआ। स्थिति जस की तस बनी हुई है।

गाँव में पानी की समस्या को बताता अरूण कुमार

पानी न आने या धीमा आने के सवाल पर इसी गांव के अरूण कुमार नामक युवा बोला ‘सरकार में कहने के लिए सब कुछ अच्छा चल रहा है लेकिन इस सरकार में जितना भ्रष्टाचार है उतना शायद ही किसी सरकार में रहा हो। पानी का यह पाइप भी भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया। पाइप हमेशा कहीं न कहीं से फटी ही रहती है। जब पाइप फटी रहेगी तो आगे पानी कहां से जाएगा?’ सवाल पूछने वाले अंदाज में अरूण आगे बोले ‘अगर पाइप अच्छी क्वालिटी की पड़ी होती तो 2020 में चालू टंकी की पाइपें इतनी जल्दी खराब न होती। यही नहीं टंकी का ही हाल देख लीजिए हमेशा खराब ही रहती है। जब उसमें अच्छी क्वालिटी का सामान लगा होता तो इतनी जल्दी यह कैसे खराब होती?

अरूण के बगल मे ही खड़े राकेश ने बीच में सबको रोकते हुए कहा ‘इस सरकार में भ्रष्टाचार का एक नमूना आइए आपको दिखाता हूं। राकेश ने सड़क पर लगी रोडलाइट की ओर इशारा करते हुए कहा यह देखिए यह इसी सरकार के शासन काल में लगा। लगने के एक हफ्ते के बाद से ही यह बंद हो गई और आज तक यूं ही बंद है। कई बार इसकी शिकायत की गई लेकिन आज तक इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। गांव में जो लोग पैसे वाले हैं वे लोग तो पानी की अपनी व्यवस्था कर ले रहे हैं, सबमर्सिबल लगवा ले रहे हैं और जो लोग गरीब हैं वे घर से दूर हैंडपम्प से पानी लाकर अपना जीवन निर्वाह कर रहे हैं। इस सरकार के भरोसे रहें तो ये लोग पानी के लिए मर जाएंगे।

गाँव की समस्या बताता अरुण

राकेश ने अपनी बात को जारी रखते हुए आगे कहा ‘यह सरकार केवल चारों तरफ विकास का ढिंढोरा पीट रही है लेकिन वास्तव में कर कुछ नहीं रही है। सड़क के दोनों तरफ लोगों के घरों में बरसात के दिनों में पानी भर जाता है। पानी निकलने का कोई साधन नहीं होता। शाम होते ही मच्छरों का प्रकोप शुरू हो जाता है। सरकार की ओर से मार्केट में फॉगिंग नहीं की जाती। जब इस बात की शिकायत अधिकारियों से करिए तो बोलेंगे चलो देखते हैं। देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी देश से भ्रष्टाचार के खात्मे की बात करते हैं। वहीं दूसरी तरफ उन्हीं की सरकार में आया हुआ करोड़ों रूपए लगाकर जो पाइप गांव के लोगों के प्यास बुझाने के लिए लगी, आज उससे पानी ही नहीं आ रहा है। वह पाइप बीच में बार-बार फट जा रही है। यह कितना बड़ा भ्रष्टाचार है? कहा गए मोदी सरकार के बड़े-बड़े दावे?

पानी टंकी के बार-बार खराब होने और पाइप के फटने बारे में जब ग्रामीण जल निगम के एक्सईएन हासिम से बात की गई तो उन्होंने  कहा ‘यह टंकी जब 2020 में ग्राम पंचायत को हैंडओवर की गयी थी तो उस समय सब कुछ ठीक था। ग्राम पंचायत को इस शर्त के साथ हमने हैंडओवर किया था कि अब जो कुछ भी खराब होगा उसे विभाग बनवाएगा।’ लेकिन पाइप चार साल में ही खराब हो गई, इतनी जल्दी तो पाइप खराब नहीं होनी चाहिए? पर हासिम बोले ‘अगर पाइप खराब हो रही है तो ग्राम पंचायत विभाग उसे ठीक कराए। हमारा जितना काम था हमने कर दिया। बाकी अब उनकी जिम्मेदारी है।’

‘मेदनीपुर की पानी टंकी से जिन आठ गाँवों को पानी जाता है उन आठ गाँवों की आबादी कुल मिलाकर देखा जाय तो 35 से 40 हजार के बीच है। इतनी बड़ी आबादी की प्यास को एक टंकी आसानी से बुझा देती यदि इसमें भ्रष्टाचार का खेल ना हुआ होता। अकेले टंकी का निर्माण ही छः करोड़ रूपए की लागत से हुआ है। इसके अलावा पाइप का पैसा अलग। लेकिन चार साल भी नहीं बीते और जगह-जगह से पाइप फटनी शुरू। क्या कहा जाए और किससे कहा जाए, हर जगह तो भ्रष्टाचार है’ कहते हैं बहलोलपुर निवासी कमला यादव।

मेदनीपुर गाँव के प्रधान ने क्या कहा 

मेदनीपुर के ग्राम प्रधान गुलाब चाँद भारती

मेदनीपुर के प्रधान से पानी सप्लाई को लेकर जब सवाल किया तो उन्होने अपनी जिम्मेदारी से बचते हुए कहा कि, ‘पानी डालने में गड़बड़ी की गई रही होगी, तभी न पाइप बार बार फट जा रही है। जिस समय टंकी बन रही थी उस समय गांव का प्रधान कोई और था। इससे क्या होता है, अब तो आप प्रधान हैं।  उन्होंने गोलमोल जवाब दिया कि पानी की टंकी बनने के बाद मुझसे पहले के प्रधान को हैंडओवर की गई। जब मैं प्रधान बना तो पानी की टंकी का सारा जिम्मा तो मुझे सौंप दिया गया लेकिन आज तक टंकी से सम्बन्धित कोई भी कागज मेरे पास नहीं हैं। सारे कागज मेरे से पहले वाले प्रधान लेकर बैठे हुए है।’

एक तरफ जल निगम टंकी को बनवाकर ग्राम पंचायत को सौंपने की बात कहकर अपना पल्ला झाड़ लिया तो दूसरी तरफ गांव के वर्तमान प्रधान गुलाब चन्द भारती यह कहकर अपना जी छुड़ाते हुए दिखे कि उन्हें तो अभी तक टंकी से संबंधित कागज भी नहीं सौंपे गए हैं। ऐसे में 35 से 40 हजार की आबादी वाले आठ गांवों के लोगों की समस्याओं का निदान कौन करेगा यह एक बड़ा सवाल है? लेकिन इससे भी बड़ा सवाल यह है कि इतनी बड़ी आबादी की प्यास आखिर कैसे बुझेगी?

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