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पश्चिम बंगाल : केंद्र और राज्य सरकार के टकराव में मनरेगा मजदूरों की फजीहत

केंद्र सरकार द्वारा पश्चिम बंगाल को मनरेगा का बजट नहीं दिये जाने पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने नाराजगी जाहिर करते हुए 21 लाख मनरेगा मजदूरों को भुगतान करने की प्रक्रिया शुरू कर दे है।

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने केंद्र सरकार से 27 जनवरी को मनरेगा के तहत काम करने वालों की बकाया राशि की मांग की थी। लेकिनममता बनर्जी ने कहा है कि केंद्र सरकार ने पश्चिम बंगाल की बकाया राशि का अब तक भुगतान नहीं किया। इसके बाद बंगाल सरकार ने 21 लाख मनरेगा मजदूरों को उनके खाते में मजदूरी की बकाया राशि हस्तांतरित करने का काम शुरू कर दिया है।

ममता बनर्जी ने बताया कि मनरेगा के तहत 100 दिन की का रोजगार मजदूरों को दिया गया। लेकिन केंद्र सरकार से बंगाल को आबंटित राशि का भुगतान नहीं किया गया। केंद्र सरकार पर मनरेगा के करीब 6,900 करोड़ रुपये के बकाया के साथ प्रधानमंत्री आवास योजना समेत विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं का हजारों करोड़ रुपये बकाया है।

इसके पहले मुख्यमंत्री ने 75वें गणतंत्र दिवस के उपलक्ष्य में राजभवन में एक कार्यक्रम के दौरान केंद सरकार से बकाया राशि की मांग की थी। मुख्यमंत्री ने कहा, ‘अगर केंद्र सरकार ने निधि जारी नहीं की तो हम (टीएमसी) बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन शुरू करेंगे।

बकाया राशि 

पश्चिम बंगाल सरकार के आंकड़ों के मुताबिक, केंद्र पर राज्य का पीएमएवाई के तहत 9,330 करोड़ रुपये, मनरेगा के तहत 6,900 करोड़ रुपये, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत 830 करोड़ रुपये, पीएम ग्राम सड़क योजना के तहत 770 करोड़ रुपये, स्वच्छ भारत मिशन के तहत 350 करोड़ रुपये बकाया है। मध्याह्न भोजन के तहत 175 करोड़ रुपये के साथ ही अन्य योजनाओं का भी बकाया है। इन्हीं बकाया को लेकर ममता बनर्जी ने केंद्र सरकार को अल्टिमेटम दिया था।

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी तीन फरवरी से विभिन्न सामाजिक कल्याण योजनाओं के लिए केंद्र से पश्चिम बंगाल के बकाया की मांग को लेकर का ठंड के बीच रात भर धरना जारी रखा।

बनर्जी ने अपनी पार्टी तृणमूल कांग्रेस के नेताओं के साथ कोलकाता के मैदान क्षेत्र में भीमराव आंबेडकर की मूर्ति के सामने प्रदर्शन शुरू किया था।

केंद्र सरकार द्वारा घटाया जा रहा मनरेगा का बजट 

हर वर्ष के बजट में मनरेगा के लिए बजट तय होता है। वर्ष 2022-23 में 89400 करोड़ रु था। वहीं वर्ष 2023-24 के लिए मनरेगा के लिए 60000 करोड़ रुपया का प्रावधान था, जो पिछले वर्ष से बहुत कम था। 2023-24 में बजट का वर्ष 2022-23 की तुलना में 18 प्रतिशत कम था।

वर्ष 2024-25 में इसका बजट बढ़ाकर 86000 करोड़ रुपया कर दिया गया है। वह पिछले वर्ष से ज्यादा है लेकिन आनुपातिक रूप से बहुत कम है।

लोकसभा में ग्रामीण केंद्रीय मंत्रालय बताया कि 2022-23 में  मजदूरों की मौत और फर्जी जॉब कार्ड के कारण मनरेगा सूची से 5.19 करोड़ पंजीकृत मजदूरों  के नाम हटा दिये गए थे।

केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय ने मंगलवार को लोकसभा को सूचित किया कि 2022-23 में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (एमजीएनआरईजीएस) सूची से 5.18 करोड़ श्रमिकों के नाम हटा दिए गए, जबकि पिछले साल 2021-22 में 1.49 करोड़ श्रमिकों के नाम हटाए गए थे.

जबकि महात्मा गांधी ग्रामीण रोजगार अधिनियम का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में अकुशल श्रमिकों को 100 दिन आजीविका की गारंटी उपलब्ध कराना है। रोजगार की गारंटी देने वाली यह दुनिया की सबसे बड़ी कल्याणकारी  योजना है। लेकिन केंद्र सरकार की जो नीतियाँ मजदूरों और किसानों को लेकर है उससे यह तो साफ समझ आता है कि कल्याणकारी राज्य की अकल्याणकारी राज्य में बदल चुका है।

आजीविका की सुरक्षा प्रदान करने वाली यह योजना अब अपनी नीतियों के कारण सफलतापूर्वक संचालित नहीं हो पा रही है।

मनरेगा में जॉब कार्ड को लेकर लगातार भ्रष्टाचार की खबरें आती रहीं हैं, जिनमें फर्जी उपस्थिति और मजदूरी के भुगतान के साथ ही समय पर मनरेगा की राशि का आबंटन नहीं होना भी शामिल है। इसके कारण 78 प्रतिशत भुगतान समय पर नहीं हो पाता है। इससे मनरेगा के मजदूरों काम की गुणवत्ता पर प्रभाव पड़ता है।

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इससे पहले 20 दिसम्बर को प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात की थी। मुलाकात के बाद उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी से केंद्र की तरफ से देय पश्चिम बंगाल को एक लाख सोलह हजार करोड़ रुपये देने की बात कही थी। प्रधानमंत्री ने बताया था कि इस मुद्दे पर केंद्र और पश्चिम बंगाल के अधिकारियों के बीच संयुक्त बैठक में दोनों पक्ष के लोग आपस में मीटिंग करेंगे। उसके बाद ही तय होगा कि बकाया पैसे का भुगतान कैसे किया जाए।

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