Tuesday, October 15, 2024
Tuesday, October 15, 2024




Basic Horizontal Scrolling



पूर्वांचल का चेहरा - पूर्वांचल की आवाज़

होमसंस्कृतिसफ़ेद पंख : शांति की एक उड़ान

इधर बीच

ग्राउंड रिपोर्ट

सफ़ेद पंख : शांति की एक उड़ान

जुलाई के शेष सप्ताह में प्रायः डेढ़ साल बाद अपने गाँव गया था. सप्ताह भर बाद गाँव से लौटते समय मैने टाइम पास के लिए गोरखपुर में एक अख़बार ख़रीदा. अख़बार के पन्ने उलटते–पलटते अचानक अयोध्या वाले पेज पर एक व्यक्ति की तस्वीर देखकर मेरी दृष्टि अटक गयी. ब्लैक एंड वाइट उस तस्वीर को देखकर […]

जुलाई के शेष सप्ताह में प्रायः डेढ़ साल बाद अपने गाँव गया था. सप्ताह भर बाद गाँव से लौटते समय मैने टाइम पास के लिए गोरखपुर में एक अख़बार ख़रीदा. अख़बार के पन्ने उलटते–पलटते अचानक अयोध्या वाले पेज पर एक व्यक्ति की तस्वीर देखकर मेरी दृष्टि अटक गयी. ब्लैक एंड वाइट उस तस्वीर को देखकर लगा वह दिल्ली के मेरे परिचित फिल्मकार धनंजय पासवान की है. फिर जब तस्वीर के ऊपर यह शीर्षक देखा ’ अयोध्या ने देश को दिया शान्ति का सन्देश : धनजय’ तब बिल्कुल ही कन्फर्म हो गया कि तस्वीर उन्हीं है . क्योंकि मुझे पता था वह विश्व शान्ति पर कोई महत्वाकांक्षी फिल्म बना रहे है. फिर तो मैं एक सांस में पूरी खबर पढ़ लिया. खबर यह थी.

श्रीरामजन्मभूमि पर सुप्रीमकोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के बाद भव्य मंदिर निर्माण शुरू होने के साथ वहां बड़े-बड़े लोगों का पहुंचना शुरू हो गया है. चाहे वह बड़ा उद्योगपति हो या राजनैतिक व्यक्ति या फ़िल्मी दुनिया से जुड़ा कोई शख्स सभी रामलला के दरबार में पहुंचकर हाजिरी लगा रहे हैं. इसी क्रम में सफ़ेद पंख: शांति की एक उड़ान के डायरेक्टर/प्रोड्यूसर धनंजय पासवान दिल्ली से अयोध्या पहुचे थे. उन्होंने परमहंस आश्रम , वासुदेवघाट में हमारे संवाददाता को एक अनौपचारिक बातचीत में कहा कि यह फिल्म एक ग्लोबल प्रोजेक्ट है, पूरी तरह विश्व शान्ति पर आधारित है. यह हॉलीवुड टाइप की फिल्म दो भाषाओं अंग्रेजी और हिंदी में बनेगी, जिसकी शूटिंग अयोध्या के अलावा नागासाकी- हिरोशिमा व अन्य कई जगहों पर होगी. इसके कलाकार देश- विदेश से रहेंगे.फिल्म की शूटिंग अगले तीन महीने के अन्दर शुरू हो जाएगी और लगभग एक साल के भीतर बनकर तैयार हो जाएगी और विभिन्न सिनेमा घरों में चलने लगेगी. इस फिल्म की शूटिंग में 50 करोड़ का खर्च आ रहा है. मैं इस फिल्म के सिलसिले में ही अयोध्या आया हूँ.’ खबर पढने के बाद मैंने संग- संग उन्हें फोन लगाया. संयोग से संग-संग संपर्क भी हो गया. मैंने उन्हें बधाई देते हुए बताया कि आपके महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट सफ़ेद पंख की खबर गोरखपुर के संस्करण में छपी है. उन्होंने सूचना देने के लिए धन्यवाद देते हुए बताया कि अयोध्या के कई अख़बारों में भी यह खबर छपी है. उनका हालचाल पूछने के बाद मैंने कहा कि क्या लखनऊ में भी इसके लिए लोकेशन देखना है? अगर ऐसा है तो मेरे आवास पर भी आयें. उन्होंने  कहा ,’ सर ! लखनऊ जैसे ऐतिहासिक शहर को कोई कैसे इन्ग्नोर कर सकता है. अभी तो अयोध्या में लोकेशन देखने के लिए बीजी हूँ. यहाँ से फारिग होते ही लखनऊ आऊंगा और आपके ही घर पर ठहरूंगा.’ और अपने वादे के मुताबिक वह लखनऊ आये और मेरे घर पर ही ठहरे.

बिहार के नालंदा जिले के  धनंजय पासवान से कुछ वर्ष पूर्व मेरा परिचय जेएनयू परिसर में में हुआ था. मैं वहां एक प्रोफ़ेसर से मिलने गया था, जहाँ वह भी संयोग से आ गए थे. मुझे देखते ही गर्मजोशी से मेरा हाथ अपने हाथों में लेते हुए हुए कहा था,’ अरे सर ! आप शायद मुझे नहीं जानते होंगे, लेकिन मैं आपको बहुत पहले से जानता हूँ. मैंने इसी जेएनयू से फिल्म मेकिंग, अभिनय और डायरेक्शन का कोर्स किया हूँ, इसलिए फिल्मों पर आम लोगों से बेहतर समझ रखता हूँ. इस कारण ही फिल्मों पर आपके लेख पढ़-पढ़ कर आपका फैन बन गया हूँ. बॉलीवुड से लेकर हॉलीवुड तक की जैसी जानकारी आपके लेखों से मिलती है, उसका कोई मुकाबला नहीं.’ कभी फिल्म – और टीवी से कुछ-कुछ जुड़े होने के कारण, फिल्म वाले मुझे अलग से आकर्षित करते रहे. चूँकि धनंजय जेएनयू जैसे प्रतिष्ठित संस्थान से सिनेमा कोर्स किये थेइसलिए मुझे खासतौर से आकर्षित किये. उस पहली मुलाकात के बाद हमारा जो उनसे जुड़ाव हुआ, वह बढ़ता ही गया. किन्तु जुड़ाव के बावजूद कभी एक-दो दिन लगातार साथ रहने का मौका नहीं मिला. अक्सर उनसे दिल्ली में आयोजित होने वाली संगोष्ठियों में मुलाकात होती. एक बेहतरीन मंच संचालक धनंजय पासवान ने एकाधिक बार डाइवर्सिटी पर आयोजित होने वाली मेरी संगोष्ठियों को सफल बनाने में प्रभावी योगदान किया. इन मुलाकातों में इतना समय नहीं मिलता कि सिनेमा को लेकर उनकी योजनाओं पर विस्तार से चर्चा कर सकूँ. सिनेमा पर उनकी परिकल्पना को विस्तार से समझने का अवसर तब मिला जब वह लखनऊ के आदिल नगर अवस्थित मेरे आवास पर आये.

मेरे आवास पर वह दो दिन ठहरे . इस दौरान उनके साथ शूटिंग का लोकेशन देखने के लिए ऐसे – ऐसे  नए जगहों पर गया, जहाँ पिछले 20 साल से लखनऊ में रहने के बावजूद नहीं पहुँच पाया था. इन दो दिनों के दरम्यान मैंने पाया कि फिल्म विधा पर उनकी पकड़ मेरी सोच से कहीं ज्यादा है. कई ख्यातिप्राप्त राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय फिल्म निर्माता और निदेशकों से फिल्म निर्माण और निर्देशन का गुर सीखने वाले धनंजय पासवान औसत से बहुत ऊपर स्तर के सिनेमा के विद्यार्थी हैं, जिनमें नया कुछ देने की तीव्र ललक है. किताबों के समंदर में तैरते रहने वाला सिनेमा का यह विरल विद्यार्थी ‘सफ़ेद पंख : शांति की एक नयी उड़ान’ के

जरिये फिल्म वर्ल्ड में एक काबिले मिसाल आगाज कर सकता है, ऐसा मुझे लगा. सफ़ेद पंख पर बात करते हुए उन्होंने कहा,’ सर , आज सारे विश्व में अशांति है. जहाँ एक ओर तकनीकि में नए-नए आविष्कार हो रहे हैं , वहीँ दूसरी ओर मानव जाति पर खतरे बढ़ते जा रहे हैं. आज संसार में असहिष्णुता बढ़ रही है तथा मनुष्यता की भावना कम हो रही है. इसलिए हमें आज सारे विश्व में शान्ति की जरुरत है और आपको यकीन दिलाता हूँ कि मेरी आने वाली फिल्म इसका समाधान देगी.’ उनके सक्षिप्त लखनऊ प्रवास के दौरान  मैंने उनके महत्वकांक्षी फिल्म की जो स्टोरी सुनी : प्री-प्रोडक्शन की उनकी तैयारियों का जितना जायजा ले पाया, उसके आधार पर कह सकता हूँ सफ़ेद पंख के विषय में उनके दावे में दम है.

लेखक डाइवर्सिटी मैन ऑफ़ इंडिया ऑफ़ इंडिया के रूप जाने जाते हैं.

गाँव के लोग
गाँव के लोग
पत्रकारिता में जनसरोकारों और सामाजिक न्याय के विज़न के साथ काम कर रही वेबसाइट। इसकी ग्राउंड रिपोर्टिंग और कहानियाँ देश की सच्ची तस्वीर दिखाती हैं। प्रतिदिन पढ़ें देश की हलचलों के बारे में । वेबसाइट को सब्सक्राइब और फॉरवर्ड करें।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here