
तो ऐसे में जबकि यह सभी जानते हैं कि कट्टर हिंदुत्व का मुकाबला नरम हिंदुत्व से नहीं किया जा सकता है, कांग्रेस नरम हिंदुत्व का अनुपालन कर रही है और नतीजा यह कि कांग्रेस को पराजय मिल रही है। ममता बनर्जी ने जो कांग्रेस नेतृत्व की आलोचना की है, उसके पीछे वजह यही है।
मसलन, यह कि अयोध्या में राम मंदिर के नाम पर आज जो राजनीति भाजपा कर रही है, उसकी शुरूआत राजीव गांधी ने की थी। तब राजीव गांधी प्रधानमंत्री थे और शहबानो मामले में पूरी तरह उलझ गए थे। उन्होंने अयोध्या में रामलला नामक भूत को जिंदा किया। इसके अलावा भी कई ऐसे उदाहरण हैं, जिनके आधार पर कहा जा सकता है कि कांग्रेस भाजपा से अधिक हिंदूवादी पार्टी रही है। हालांकि उग्रता के मामले में वह भाजपा से उन्नीस अवश्य ही है।
नवल किशोर कुमार फॉरवर्ड प्रेस में संपादक हैं।
अडानी से गलबहियां का क्या मतलब है, लेखक जी? ममता जी अचानक अडानी के साथ क्यों खड़ी हो गईं। मोइत्रा के ट्वीट और भाषण किधर गए?
आपने बिल्कुल सही विश्लेषण किया है तथा यह बात भी सही है कि ममता बनर्जी राष्ट्रीय स्तर पर अपना पंचम लहराने के योग्य हैं।
स्त्री पर आधारित कविता ने एक नए तथ्य को उजागर किया है।