शरद पवार क्या समन्दर की तरह शांत रह जायेंगे या अभी और भी हैं बवंडर की गुंजाइशें
गाँव के लोग डॉट कॉम डेस्क
महाराष्ट्र की राजनीति में रविवार के बाद से कुछ भी सामान्य नहीं चल रहा है। अजित पवार की बगावत ने प्रदेश में न सिर्फ नए राजनीतिक हालात को जन्म दे दिया है बल्कि सियासी बिसात पर एक नई अस्थिरता भी ला दी है। यह अस्थिरता सिर्फ एनसीपी के लिए नहीं है बल्कि महाराष्ट्र के राजनीतिक गलियारे में जिस तरह की चर्चा का बाजार गर्म है उससे यह अस्थिरता मुख्यमंत्री एक नाथ शिंदे को भी डरा सकती है। फिलहाल आज का दिन एनसीपी के तख़्त पर कब्जा करने की जोर आजमाइश के नाम रहा और पूरे दिन के हालात को देखते हुए कहा जा सकता है की शरद पवार के राजनीतिक जीवन में यह पहली बार है जब वह गैर चुनावी बिसात पर बाजी हारते हुए दिख रहे हैं। शारद पवार और अजीत पवार दोनों ही आज अपनी ताकत के प्रदर्शन का पूरा प्रयास किया था पर बाजी अजीत के हाँथ में जाती हुई दिख रही है। फिलहाल आगे की रणनीति के तहत शरद पवार अब पार्टी पर अपना कब्जा बरकरार रखने के लिए कानूनी सलाह ले रहे हैं। जिसे तरह से एक नाथ शिंदे ने उद्धव ठाकरे से शिवसेना हथिया ली थी कुछ उसी तरह का कदम अब अजित पवार ने बढ़ा दिया है।
आज अपनी-अपनी ताकत दिखाने के लिए शरद पवार और अजित पवार ने अलग-अलग बैठकें बुलाई थी। दोनों नेताओं अपने समर्थक विधायकों के अपने साथ खड़ा दिखाकर अपनी ताकत दिखाना चाहते थे। बैठक के दौरान अजित पवार ने शरद पवार पर जमकर निशाना साधा। अजित ने कहा कि अब उन्हें रुक जाना चाहिए, हर चीज की अपनी एक उम्र होती है। अजित ने अपनी महत्वाकांक्षा स्पष्ट करते हुए यहाँ तक कहा कि वह किसी के पेट से जन्म नहीं ले सके तो उसमें उनकी क्या गलती है। उन्होंने कहा कि यह सब जो भी हो रहा हैंयह उनकी अति महत्वाकांक्षा की वजह से हो रहा है, जबकि अब उन्हें संन्यास ले लेना चाहिए था। अजीत पवार ने समर्थन में उपस्थित सभी 32 विधायकों को मुंबई के ताज होटल में ले जाकर बाड़ा बंदी कर दी है।
दूसरी तरफ अजित शरद पवार ने वाईबी चव्हाण सेंटर में मौजूद तमाम समर्थकों को संबोधित किया। शरद पवार ने कहा महाराष्ट्र में फ़िलहाल जो कुछ भी हो रहा है। उसे पूरा देश देख रहा है। शरद पवार ने कहा कि आज की बैठक एक प्रकार से ऐतिहासिक बैठक है। जिसकी चर्चा पूरे देश में है। शरद पवार ने कहा कि 23 साल बनाई पार्टी आज राज्य के कोने कोने तक पहुंच चुकी है। शरद पवार ने कहा कि नए नेता तैयार करते हुए मन में यही था कि महाराष्ट्र के हालत कैसे सुधारें और राज्य का विकास कैसे हो। इसके हित के लिए कभी सत्ता के वास्ते सिद्धांत से समझौता नहीं किया।
शरद पवार के बेहद करीबी और पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष प्रफुल्ल पटेल ने भी बीजेपी के साथ जाने पर स्पष्टीकरण दिया है। पटेल ने कहा है कि अगर हम बीजेपी के साथ गए तो वह भी हमारे साथ आई है। आज की परिस्थिति में जो फैसला लिया गया है, वह महाराष्ट्र की भलाई के लिए है। पार्टी के विधायकों का समर्थन अजित पवार के साथ है। वहीं सुप्रिया सुले से मतभेद के सवाल पर उन्होंने कहा कि उनके विचार अलग हैं। मगर पार्टी में फैसला होता है, उसका पालन सभी करते हैं।
एनसीपी चीफ शरद पवार ने भतीजे अजित पवार को इस पूरे मुद्दे पर बातचीत पर बैठने के लिए भी कहा है। यह तो वक्त ही बतायेगा की क्या अजित पवार वापस तमाम मुद्दों पर बात करने के लिए शरद के सामने बैठेंगे?
देंवेंद्र फड़णवीस और अजित पवार की दोस्ती कहीं एकनाथ शिंदे का तख़्त जमीदोज न कर दे
महाराष्ट्र के राजनीतिक समन्दर की लहरें लगातार उफान मार रही हैं। इसमें इतनी अनिश्चितता की स्थिति बनी हुई है कि कब कौन सी लहर बवंडर में बदल जाए कुछ कहा नहीं जा सकता है। एनसीपी में दो फाड़ हो चुके हैं। एनसीपी नेता और शरद पवार के भतीजे अजित पवार महाराष्ट्र सरकार में शामिल हो गए हैं। उन्होंने रविवार को डिप्टी सीएम पद की शपथ ली है। अजित पवार की बगावत से शरद पवार को तो बड़ा झटका लगा ही है, पर कांग्रेस समेत सभी विपक्षी दल भी सन्न रह गए हैं। उधर महाराष्ट्र सरकार में अजित पवार की एंट्री के बाद सीएम एकनाथ शिंदे गुट भी टेंशन में दिख रहा है। राजनीति गलियारों में चर्चा हो रही है कि एकनाथ शिंदे के कामकाज से बीजेपी खुश नहीं है, ऐसे में अजित पवार की एंट्री के बाद एकनाथ शिंदे का मुख्यमंत्री पद पर बना रहना मुश्किल लग रहा है। वहीं कहा जा रहा है कि अजित पवार के सरकार में आने से शिवसेना (शिंदे गुट) नाराज है। ऐसे में अब शिवसेना यानी एकनाथ शिंदे गुट को मनाने की कवायद शुरू हो गई है। चर्चा चल रही है कि महाराष्ट्र में जल्द ही एक और कैबिनेट का विस्तार किया जाएगा।
महाराष्ट्र से एक और बड़ी खबर आई है। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने अपना नागपुर का दौरा रद्द कर दिया है। वह मंगलवार को राष्ट्रपति के स्वागत के लिए नागपुर पहुंचे थे लेकिन अचानक ही आगे का कार्यक्रम निरस्त करके वापस मुंबई आ गए। बताया जा रहा है कि अजित पवार प्रकरण के चलते उन्होंने अपना दौरा रद्द किया है। अब शिंदे के इस कार्यक्रम के कैंसल होने के बाद आज ही अजित पवार समेत सरकार में बनाए गए कैबिनेट और राज्य मंत्रियों को विभाग दिए जा सकते हैं। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू महाराष्ट्र की तीन दिवसीय यात्रा पर हैं। वह गडचिरोली में गोंडवाना विद्यापीठ के दीक्षांत समारोह को संबोधित करेंगी।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के स्वागत के लिए नागपुर आए मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे तुरंत मुंबई के लिए रवाना हो गए हैं। हालांकि उनकी वापसी का कारण अभी तक समझ नहीं आया है, लेकिन राज्य की राजनीति में एक और भूचाल आने की आशंका जताई जा रही है।
पिछले साल जुलाई में शीर्ष संवैधानिक पद संभालने के बाद मुर्मू की यह पहली महाराष्ट्र यात्रा है। शहर के हवाई अड्डे पहुंचने पर महाराष्ट्र के राज्यपाल रमेश बैस, मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने राष्ट्रपति का स्वागत किया। करेंगी। बाद में वह मुंबई के लिए रवाना होंगी, जहां वह राजभवन में महाराष्ट्र सरकार ने उनके सम्मान में आयोजन रखा है। वह एक नागरिक अभिनंदन समारोह में भाग लेंगी।
‘ट्रिपल इंजन’ सरकार में शिंदे का रोल लम्बा या गोल?
महाराष्ट्र में अब ‘ट्रिपल इंजन’ सरकार है। जिसमें शिवसेना (शिंदे गुट), बीजेपी और अजितपवार के नेतृत्व वाली एनसीपी शामिल है। इस नए गठबंधन वाली सरकार को ‘महायुति’ सरकार का नाम दिया गया है। इस नए गठबंधन के बनने के साथ ही एकनाथ शिंदे को लेकर तरह-तरह के सवाल खड़े किए जा रहे हैं। जैसे नया गठबंधन मुख्यमंत्री शिंदे को प्रभावित करेगा? अजित पवार की बगावत का महा विकास अघाड़ी (एमवीए) के लिए क्या मतलब है? क्या अजित पवार एकनाथ शिंदे के लिए खतरा हैं? एनसीपी के महाराष्ट्र प्रमुख जयंत पाटिल ने एनडीटीवी से बात करते हुए कहा है कि कि अजित पवार की एंट्री के बाद एकनाथ शिंदे की शक्ति कम हो जाएगी। उन्होंने दावा किया कि ‘कुछ लोगों को शिंदे के काम करने का तरीका पसंद नहीं आया। पाटिल ने कहा, ‘अब शिंदे के महत्व को कम करने के लिए अजीत पवार को सरकार में शामिल किया गया है जो पहले से ही बहुमत में है।’ इसी तरह का दावा शिव सेना (उद्धव ठाकरे) ने अपने मुखपत्र सामना के संपादकीय में किया। उसमे लिखा है कि ‘अजित पवार ने उपमुख्यमंत्री पद की शपथ लेने का रिकॉर्ड बनाया है। पर इस बार ‘सौदा’ मजबूत है। पवार वहां डिप्टी सीएम पद के लिए नहीं गए हैं।’
शरद पवार के बेहद करीबी और पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष प्रफुल्ल पटेल ने भी बीजेपी के साथ जाने पर स्पष्टीकरण दिया है। पटेल ने कहा है कि अगर हम बीजेपी के साथ गए तो वह भी हमारे साथ आई है। आज की परिस्थिति में जो फैसला लिया गया है, वह महाराष्ट्र की भलाई के लिए है। पार्टी के विधायकों का समर्थन अजित पवार के साथ है। वहीं सुप्रिया सुले से मतभेद के सवाल पर उन्होंने कहा कि उनके विचार अलग हैं। मगर पार्टी में फैसला होता है, उसका पालन सभी करते हैं। अजित पवार को सम्मानजनक मंत्रालय मिलेगा। एनसीपी के मंत्रियों को शिंदे मंत्रिमंडल में सम्मान के साथ योगदान का मौका मिलेगा। प्रफुल्ल पटेल से यह पूछा गया कि एकनाथ शिंदे गुट के नेता लोकसभा चुनाव में 22 सीटों की मांग कर रहे हैं। ऐसे में एनसीपी को कितनी सीटें मिलेंगी? जवाब में प्रफुल्ल पटेल ने कहा कि इस पर फैसला चर्चा के बाद किया जाएगा। केंद्र में मंत्री बनने के सवाल पर प्रफुल्ल पटेल ने इनकार किया। उन्होंने कहा कि अभी तक इस विषय उनकी चर्चा गृहमंत्री या केंद्र के नेताओं से नहीं हुई है।
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देंवेंद्र फड़णवीस ने इस गठबंधन की भूमिका बनाई है। प्रफुल्ल पटेल ने दावा किया कि बीजेपी के साथ गठबंधन का फैसला बहुमत के आधार पर किया गया है। इसका फैसला अकेले अजित पवार ने नहीं किया है। उन्होंने इशारों में शरद पवार पर आरोप लगाया कि अभी तक जो फैसले लिए गए, उसमें पार्टी के बड़े नेताओं की राय नहीं ली गई।
एनसीपी के 40 विधायकों को लेकर शिंदे-फडनवीस सरकार में शामिल हुए अजित पवार और उनके आठ मंत्रियों को क्या विभाग मिलते हैं, यह आज पता लग सकता है। इस बीच, शिवसेना उद्धव गुट के मुखपत्र सामना में सनसनीखेज दावा किया गया है। मुखपत्र में कहा गया है कि पवार वहां उपमुख्यमंत्री पद के लिए नहीं गए हैं। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और शिवसेना के विद्रोही विधायकों को जल्द अयोग्य करार दिया जाएगा और पवार की ताजपोशी की जाएगी। ‘सामना’ के अनुसार, यह जो भी हुआ है, राज्य के लोगों को पसंद नहीं आएगा। इस मराठी दैनिक पत्र में दावा किया गया है कि अजित पवार का यह कदम असल में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के लिए खतरनाक है।
फिलहाल मुंबई की राजनीति का समन्दर अभी खामोश है लहरों की साजिश अन्दर ही अन्दर भविष्य का ताना-बाना बुन रही है।जानकार कहते हैं कि समन्दर की खामोशी का मतलब यह नहीं होता है कि तूफ़ान थम गया है, बल्कि कहा जाता है कि कई बार तूफ़ान आने से पहले समन्दर खामोशी की चादर ओढ़ लेटा है। महाराष्ट्र की राजनीति और समन्दर दोनों में अक्सर तेज लहरें उठती हैं। यह लहरें बहुत कुछ बाहर करती हैं और बहुत कुछ समेट लेती हैं। समंदर पर निर्भर रहने वाले लोग भी कई बार समन्दर को नहीं समझ पाते हैं। कुछ यही हाल इस समय महाराष्ट्र की राजनीति का है। समन्दर शांत रहेगा या अभी और भी तूफ़ान आएगा यह तो वक्त ही बताएगा।