पूरे तीन साल दौड़ा ताकि राशन कार्ड बन जाये, नहीं बना। शौचालय के लिये आवेदन किया, नहीं मिला। उज्ज्वला गैस कनेक्शन के लिये आवेदन किया, नहीं मिला। आधार कार्ड न होने से बड़ी बेटी रेखा को गांव के उच्च प्राथमिक विद्यालय सोमरहा उपरहार में दाखिला नहीं मिला। अब सब लिये दौड़े चले आ रहे हैं। कल स्कूल की शिक्षिका आई बोली बच्ची को स्कूल भेजिये। अब खुद राशन कार्ड बना रहे हैं।
यह बयान है हाल ही में अपने जिगर का टुकड़ा खोने वाले बजरंगी यादव का।
इलाहाबाद के करछना तहसील के सोमरहा उपरहार गांव के एक कृषि मजदूर बजरंगी यादव और सविता यादव ने पिछले 3 साल में राशन कार्ड के लिए तीन बार आवेदन किया लेकिन उनका राशन कॉर्ड नहीं बना। जिसके चलते कृषि मजदूर दम्पति समेत 5 बच्चों के परिवार में खाने-पीने की बहुत दिक्कत रहती है। बीते सोमवार (1 अगस्त) को गांव में ही मंदिर पर सावन माह का भंडारा था। स्कूल से लौटने के बाद शुभम (10 वर्ष) भंडारा खाने के लिये चला गया। वहां एक बिजली खम्भे के सपोर्ट के लिये ज़मीन में गड़े तार में करंट आ रहा था। ग़लती से शुभम का पैर तार को छू गया जिससे वह करंट की चपेट में आ गया और अस्पताल पहुंचने से पहले ही उसकी मौत हो गई। इसके अगले दिन यानि मंगलवार को शुभम का शव पोस्टमार्टम के लिये स्वरूप रानी अस्पताल के मोर्चरी लाया गया और फिर पोस्टमार्टम के बाद एंबुलेंस न मिलने के चलते बजंरगी यादव अस्पताल से अपने गांव तक बेटे की लाश कंधे पर लादे 30-35 किलोमीटर का सफ़र पैदल तय किया। इस ग़म और पीड़ा से भरे सफ़र के दौरान वो एसआरएन अस्पताल से मेडिकल चौराहा, बैरहना चौराहा, नया यमुना पुल, नैनी के लेप्रोसी चौराहे से गुज़रा जहां लाल बत्ती पार करने वाले वाहनों के नंबर प्लेट पर दर्ज़ नंबर पढ़ने के लिये कैमरे लगे हैं। लेकिन अफ़सोस कि इंटीग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर के कैमरे से भी सरकार और प्रशासन पीड़ित पिता और उसके कंधे पर लदे बेटे की लाश नहीं देख पाये।
बजरंगी यादव ग़मगीन स्वर में बताते हैं कि ऐसा नहीं है कि उन्होंने निजी वाहन करने की कोशिश नहीं की। लेकिन वो 2200 रुपये मांग रहे थे। जोकि उस वक़्त मेरे पास नहीं थे। इसलिये मजबूर होकर मैं बेटे का शव कंधे पर लिये पैदल ही घर की ओर चल पड़ा।
गांव के ही एक बुजुर्ग कहते हैं सरकार के लिये ये शर्म की बात होनी चाहिये कि वो एक पिता को उसके बेटे की लाश घर तक छोड़ने के लिये एक अदद वाहन तक नहीं मुहैया करवा सकी। मोर्चरी से शव को पीड़ित परिवार के घर तक पहुंचाने की जिम्मेदारी सरकार को निभानी चाहिये और इसके लिये व्यवस्था करना चाहिये।
पीड़ित परिवार से मिलने उसके गांव पहुंचे एक दूसरे गांव के रोज़गार सेवक बीएन मिश्रा कहते हैं अंत्येष्टि के लिये ग्राम पंचायत की ओर से प्रधान द्वारा ग़रीब परिवारों को उनके मृत परिजनों की अंत्येष्टि के लिये कुछ आर्थिक मदद दी जाती है। जोकि पीड़ित परिवार को नहीं दी गई। बतादें कि निर्मला देवी विश्वकर्मा पत्नी शीतला प्रसाद सोमरहा उपरहार ग्रामसभा की ग्राम प्रधान है। बजरंगी यादव ने भी इस बात की पुष्टि की कि उन्हें बेटे की अंत्येष्टि के लिये ग्रामसभा द्वारा कोई आर्थिक मदद नहीं दी गई।
परिवार के सदस्य
बजरंगी यादव के परिवार में जीवन संगिनी सविता के अलावा चार बच्चे रेखा (12 वर्ष), ऋतु (8 वर्ष) प्रीति (6 वर्ष) और विपिन (3.5 वर्ष) है। जबकि एक बेटे शुभम (10 वर्ष) की करंट लगने से मौत हो चुकी है। बजरंगी भूमिहीन कृषि मज़दूर हैं और उनके पास सम्पत्ति के नाम पर 4 कमरों का एक पक्का मकान है। जोकि उनकी दिवंगत मां चिरौंजी देवी ने मिली कॉलोनी के पैसे और कुछ अपनी जमापूंजी मिलाकर बनवाया था। इसके अलावा उसके पास एक भैंस और एक पंड़िया है। बजरंगी दूसरे के खेतों में काम करके अपने परिवार का पेट पालते हैं। बेहद ग़रीब होने के बावजूद परिवार को किसी भी सरकारी योजना का लाभ नहीं मिलता है।
बजरंगी के सिर पर पट्टी बंधी है। कैसे लगी चोट? पूछने पर गांव के लोग बताते हैं कि अस्पताल में जब डॉक्टर ने बताया कि बेटे शुभम की मौत हो चुकी है तो अपार पीड़ा और दुःख से भरे पिता ने वहीं सड़क पर अपना सिर पटक लिया था जिससे उनके सिर में गिट्टी धँस गई थी। इसके बाद स्वरूप रानी अस्पताल में पोस्टमार्टम के दौरान पिता ने बेटे को खोने के ग़म में अपना सिर ज़मीन पर पटक लिया था जिससे सिर फट गया।
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बेटे की जान की क़ीमत पर सरकारी सुविधाएं
मरहूम शुभम की मां सविता बेटे के ग़म में बिलखते हुये कहती हैं कि कितना महंगा सौदा है। बेटे की जान के क़ीमत पर हमें राशन कार्ड, उज्ज्वला गैस सिलेंडर, शौचालय दिया जा रहा है। बेटी का स्कूल में दाख़िला दिलाने की बात हो रही है। पीड़ित बजरंगी बताते हैं कि पिछले 3 साल में 3 बार राशन कार्ड के लिये आवेदन कर चुका हूं लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हुई। दो साल पहले गांव में ही कैम्प लगाकर ऑनलाइन फॉर्म (Online Form) भरवाया गया था। लेकिन नहीं बना। इसके बाद उन्होंने डीहा गांव स्थित एक सहज जन सेवा केंद्र से दोबारा आवेदन किया था फिर भी राशन कार्ड नहीं बना। अभी हाल ही में पिछले महीने तीसरी बार उन्होंने राशन कार्ड के लिये ऑनलाइन आवेदन किया है। यही हाल उज्ज्वला गैस योजना में हुआ। 2 साल पहले बजरंगी की मां चिरौंजी देवी का नाम उज्ज्वला गैस योजना में आया था लेकिन आधार कार्ड और सूची में नाम में अंतर होने के चलते वापिस हो गया। बजरंगी ने दोबारा आवेदन किया लेकिन फिर नहीं मिला। इसी तरह शौचालय के लिये कई बार आवेदन किया लेकिन नहीं मिला।
इंस्पेक्टर और मुख्य अभियंता पर निलंबन की कार्रवाई
करंट से बेटे की मौत के बाद भी 4 दिनों तक पुलिस ने पीड़ित परिवार की एफआईआर नहीं दर्ज़ की। गौरतलब है कि बजरंगी यादव ने जेई व लाइनमैन के ख़िलाफ़ लापरवाही बरतने के लिये एफआईआर दर्ज़ करवाने के लिये तहरीर दिया था।
वहीं, पिता बजरंगी द्वारा बेटे की लाश कंधे पर लेकर घर तक जाने के मामले में जांच रिपोर्ट आ गई है। डीएम द्वारा मोती लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य तथा एसडीएम करछना की कमेटी ने शुक्रवार को जांच रिपोर्ट डीएम को सौंपी। जांच रिपोर्ट में पहले से निलंबित इंस्पेक्टर व सिपाही पर कार्रवाई की संस्तुति की है। डीएम संजय खत्री ने कहा है कि मामले में इंस्पेक्टर टीकाराम वर्मा और सिपाही विजय भारद्वाज की लापरवाही सामने आई है। बच्चे की मौत के बाद ही ग्रामीणों और परिजनों ने विरोध दर्ज कराया था लेकिन इंस्पेक्टर ने ठीक से पर्यवेक्षण नहीं किया। वहीं, सिपाही पोस्टमार्टम के बाद शव छोड़कर चला गया।
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दूसरी तरफ, पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के प्रबंध निदेशक विद्याभूषण ने लापरवाही का दोषी पाते हुये मुख्य अभियंता विनोद कुमार गंगवार और अधीक्षण अभियंता प्रशांत सिंह को चार्जशीट ज़ारी की है। जबकि अधिशासी अभियंता अभिषेक कुमार, एसडीओ अमित गुप्ता और अवर अभियंता आशीष को निलंबित करने का आदेश दिया है।
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