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ग्राउंड रिपोर्ट

उत्तर प्रदेश : कासगंज हादसा प्रशासनिक लापरवाही का नतीजा

उत्तर प्रदेश के कासगंज हादसे का कारण अधिक स्पीड से गाड़ी चलाने की बातें भले ही सामने आ रही हो लेकिन पुलिस थोड़ी सी भी सतर्क रहती तो हादसे को टाला जा सकता था।

 एटा। उत्तर प्रदेश के कासगंज में शनिवार को एक ट्रैक्टर-ट्राली के तालाब में पलटने से 23 लोगों की मौत हो गई। मरने वालों में 9 बच्चे शामिल हैं। ट्राली में 54 लोग सवार थे। 10 लागों की  हालत गंभीर बनी  हुई है जिन्हें अलीगढ़ मेडिकल काॅलेज में भर्ती कराया गया है। 20 लोगों को इलाज के बाद छुट्टी दे दी गई । ये सभी लोग एक बच्चे के मुंडन संस्कार में जा रहे थे। जिस बच्चे का मुंडन होना था, उसकी भी मौत हो गई। ये सभी लोग एटा के जैथरा के रहने वाले हैं। स्थानीय लोगों की माने तो हादसा स्पीड के कारण हुआ। ड्राइवर के कन्ट्रोल खोने से ट्रैक्टर सड़क से उतरकर तालाब में जा गिरा। ये सभी लोग माघी पूर्णिमा पर कासगंज स्थित कादरगंज घाट पर गंगा स्नान करने जा रहे थे, तभी रियावगंज के पटियाली के पास हादसा हुआ।

अलीगढ़ रेंज के कमिश्नर शलभ माथुर ने बताया कि ट्रैक्टर -ट्राली पलट गई और 7-8 फुट गहरे तालाब में गिर गई । उन्होंने बताया कि ट्रैक्टर चालक दूसरे  वाहन से आगे निकलने की कोशिश कर रहा था इसी से हादसा हुआ । हादसे मे 9 बच्चों समेत कुल 23 लोगों की मौत हो गई है। लगभग 15-20 लोग घायल हुए हैं जिन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है । पोस्टमार्टम के बाद शव को उनके परिजनों को सौप दिया।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कासगंज में ट्रैक्टर -ट्राली के तालाब में गिरने से जान गंवाने वालों के प्रति दुख व्यक्त किया और उनके परिजनों को प्रधानमंत्री राहत कोष से दो लाख रूपए और घायलों को 50 हजार मुआवजे का एलान किया। यह जानकारी सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर दी गई ।

घटना की जानकारी होते ही प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मृतक के परिजनों को 2 लाख रूपए और घायलों को 50 हजार की आर्थिक सहायता देने की घोषणा कर दी।

दूसरी ओर 23 मृतकों के शव को लेकर जब परिजन गांव पहुंचे तो हाहाकार मच गया। सभी मृतकों का अंतिम संस्कार रविवार को गांव के खेतों में ही कर दिया गया।

ग्राम पंचायत खिरिया के ग्राम प्रधान गिरीश चंद्र (48) ने बताया, ‘अपनी इतनी उम्र में हमने ऐसा हादसा नहीं देखा। चारों तरफ शोक की लहर दौड़ गयी है।’ प्रधान ने बताया कि गांव में अपने-अपने खेतों में लोगों का अंतिम संस्कार किया गया।’

देखा जाय तो इस हादसे में खिरिया ग्राम पंचायत के नगला कसा के सर्वाधिक 18 लोगों की मौत हुई है। इसके बाद ग्राम सगोगर रोरी के तीन बच्‍चों और एक महिला की मौत हुई, जबकि ग्राम बनार की एक 10-साल की  लड़की की मौत हो गयी। प्रधान ने बताया कि गांव में बहुत ही दर्दनाक मंजर है।

प्रदेश सरकार के राज्यमंत्री संदीप सिंह ने घटना के बाद गांव का दौरा किया और प्रभावित लोगों को सांत्वना दी। इस दौरान पत्रकारों से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि लोग धार्मिक या अन्य कार्यक्रमों के दौरान जिस तरह टैªक्टर- ट्राली में भरकार जाते हैं उसे रोका जाना चाहिए क्योंकि इस तरह के हादसे असहनीय दुःख देकर जाते हैं।

 सड़कों पर देखा जाय तो आज भी बड़ी संख्या में गाड़ियों में क्षमता से अधिक सवारियां भरकर एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जायी जा रही हैं। पुलिस तमाशबीन बनी रहती है। सारा खेल पुलिस के इशारे पर होता है। इस हादसे में ही देखा जाय तो ट्राली में कुल 54 लोग सवार थे। क्या इन लोगों का सामना पुलिस से कहीं नहीं हुआ अगर हुआ तो पुलिस वालों ने इन लोगों के ऊपर तुरंत कार्रवाई क्यों नहीं की?

अब सबसे बड़ा सवाल यहां पर उठता है कि आखिर इस प्रकार के हादसों पर रोक कौन लगाएगा। प्रदेश सरकार के राज्यमंत्री संदीप सिंह एवं अनूप प्रधान ने प्रत्येक प्रभावित परिवार के घर जाकर सांत्वना दी। अंतिम दर्शन के बाद पत्रकारों से उन्होंने कहा कि लोग धार्मिक या अन्य कार्यक्रमों के दौरान जिस तरह ट्रैक्टर ट्रॉली मैं भरकर जाते हैं उसे रोका जाना चाहिए, क्योंकि इस तरह के हादसे असहनीय दु:ख देकर जाते हैं।

उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ऐसी दुघर्टनाओं से कब सबक लेगीं? क्या मृतकों के परिजनों को 2 लाख का चेक देकर सरकार अपने उत्तर दायित्व से मुक्त हो गई?

बहरहाल, जो भी  हो इतना तो कहा ही जा सकता है कि एक ट्रैक्टर की ट्राली में जब इतनी बड़ी संख्या में लोग जा रहे थे तो पुलिस को ऐसे लोगों पर फौरी तौर पर कार्रवाई करनी चाहिए थी। पुलिस की लापरवाही में सरकार की ‘धार्मिक कट्टरता’ का भी भय रहा होगा, इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता ।

गाँव के लोग
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