पीठ ने अपने आदेश में कहा कि मौजूदा मामले में मूल्यांकन अधिकारी ने मूल्यांकन आदेश में याचिकाकर्ता के खिलाफ कई ठोस निष्कर्ष दिए हैं। असल में, मूल्यांकन अधिकारी ने कई प्रासंगिक तथ्यों का विश्लेषण करने के बाद पाया कि याचिकाकर्ता और विदेशी संस्थाओं के बीच लेनदेन ‘रिवर्स इंजीनियरिंग’ पर आधारित था। अदालत ने यह आदेश 29 नवंबर को पारित किया था और यह सोमवार रात को उसकी वेबसाइट पर उपलब्ध हुआ। उच्च न्यायालय ने कहा कि याचिकाकर्ता की बैलेंस-शीट के आधार पर वित्तीय अभाव की याचिका भी ‘अविश्वास’ को प्रेरित करती है और मूल्यांकन अधिकारी के अनुसार, खातों को ठीक से बनाए नहीं रखा गया है।
पीठ ने कहा कि लिहाज़ा रिट याचिका खारिज की जाती है। यह अदालत साफ करती है कि इस अदालत द्वारा दिए गए निष्कर्ष सिर्फ मौजूदा रिट कार्यवाही के संदर्भ में हैं और अपीलीय कार्यवाही के चरण में किसी भी पक्ष को प्रभावित नहीं करेंगे। ‘न्यूजक्लिक’ ने उच्च न्यायालय का रुख कर आयकर विभाग की ओर से पारित तीन नवंबर 2023 और 20 फरवरी 2023 के आदेशों को चुनौती दी थी।
इन आदेशों के आधार पर, आयकर विभाग ने 30 दिसंबर 2022 के मूल्यांकन आदेश के खिलाफ अपील के लंबित रहने तक कर मांग पर रोक की ‘न्यूज़क्लिक’ की याचिका को खारिज कर दिया था। पोर्टल ने आयकर आयुक्त (अपील) के समक्ष अपील के लंबित रहने तक मांग पर रोकने लगाने का भी आग्रह किया था।
उल्लेखनीय है कि न्यूजक्लिक के खिलाफ विदेशी फंडिंग का मामला दर्ज हुआ था। स्पेशल सेल से पहले ईडी भी छापेमारी की कार्रवाई कर चुकी है। ईडी ने जानकारी दी थी कि न्यूजक्लिक को विदेशों से लगभग 38 करोड़ रुपये की फंडिंग हुई थी। जिसके बाद भाजपा ने आरोप लगाया था कि साल 2005 से 2014 के बीच कांग्रेस को भी चीन से बहुत सारा पैसा मिला। भाजपा ने यह भी आरोप लगाया था कि यह पोर्टल चीन का साथ देकर भारत में माहौल खराब कर रहा है। इतना ही नहीं द न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट में भी बताया गया था कि यह पैसा कुछ जर्नलिस्टों में शेयर हुआ था।
इस मीडिया पोर्टल के खिलाफ कार्रवाई करते हुए होईकोर्ट ने 7 जुलाई, 2021 को एक आदेश पारित कर कहा था कि प्रबीर पुरकायस्थ को गिरफ्तार नहीं किया जाएगा। हालांकि, यह भी कहा था कि जांच अधिकारी द्वारा आवश्यकता पड़ने पर उन्हें जांच में सहयोग करना होगा। जस्टिस सौरभ बनर्जी की बेंच ने मामले में पुरकायस्थ से जवाब मांगा था।
नई दिल्ली (भाषा)। दिल्ली उच्च न्यायालय ने समाचार पोर्टल न्यूजक्लिक की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें आयकर आयुक्त (अपील) के समक्ष अपील के लंबित रहने के दौरान आयकर मांग पर रोक लगाने का आग्रह किया गया था। 29 नवंबर को पारित एक आदेश में, कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति मिनी पुष्करणा की खंडपीठ ने कहा कि जब बात उसके वित्तीय लेनदेन की आती है तो न्यूज़क्लिक के पास जवाब देने के लिए बहुत कुछ है, जैसा कि मूल्यांकन अधिकारी द्वारा पारित आदेश में उजागर किया गया है।