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एनडीए में शामिल होने के आठ महीने बाद प्रफुल्ल पटेल को सीबीआई से मिली राहत

एयर इंडिया के लिए विमान पट्टे पर देने में अनियमितता के आरोपों की जांच के लिए 2017 में मामला दर्ज किया गया था।

लोकसभा चुनाव के ठीक पहले राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के राज्यसभा सदस्य प्रफुल्ल पटेल को बड़ी राहत मिली है। सीबीआई ने प्रफुल्ल पटेल पर 2017 से चल रहे भ्रष्टाचार के मामले को बंद कर दिया है।

सीबीआई ने एअर इंडिया के विमान पट्टे पर लेने से जुड़े 840 करोड़ रुपये के कथित घोटाले के मामले में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल कर दी है।

कथित घोटाले में पटेल की भूमिका संदिग्ध थी, जिसे लेकर सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने उनसे पूछताछ की थी।

यह घटनाक्रम इसलिए भी अहम है क्योंकि जुलाई, 2023 में अजित पवार और प्रफुल्ल पटेल समेत कई अन्य नेताओं ने सत्ताधारी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) से हाथ मिलाया।

एनडीए में शामिल होने के आठ महीने बाद सीबीआई ने प्रफुल्ल पटेल को क्लीन चिट दे दी है। अधिकारियों ने कहा कि मामले में कोई गड़बड़ी होने के सबूत नहीं मिले हैं, जिस कारण क्लोजर रिपोर्ट दाखिल कर दी गई है।

सीबीआई  ने 29 मई 2017 को मामले में एफआईआर दर्ज की जिसमें आरोप लगाया गया था कि एयर इंडिया ने निजी पार्टियों को फायदा पहुंचाने के लिए 2006 में 5 साल की अवधि के लिए चार बोइंग 777 को पट्टे पर लिया था। वहीं जुलाई 2007 में उसे अपने खुद के विमान की डिलीवरी मिली थी।

इसका परिणाम यह हुआ कि 2007 से 2009 के दौरान इस अवधि में इन बोइंग का इस्तेमाल नहीं हुआ, जिस कारण सरकारी खजाने को 840 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ।

सीबीआई ने 19 मार्च को राउज एवेन्यू कोर्ट के विशेष न्यायाधीश (सीबीआई) प्रशांत कुमार की अदालत में क्लोजर रिपोर्ट दायर किया है। एजेंसी की रिपोर्ट पर विचार करने के लिए कोर्ट ने 15 अप्रैल की तारीख दी है।

इस मामले में मई 2017 में खुद सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सीबीआई ने एयर इंडिया के लिए विमान पट्टे पर देने में अनियमितता के आरोपों की जांच के लिए एफआईआर दर्ज किया था। जिसमें नागरिक उड्डयन मंत्रालय और एअर इंडिया के कई अधिकारियों को जांच के दायरे में रखा गया था।

एअर इंडिया के विमान पट्टे में हुए कथित घोटाले के समय प्रफुल्ल पटेल केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री थे। उनकी भूमिका उस समय संदिग्ध मानी गई, जिसे लेकर सीबीआई और ईडी ने उनसे पूछताछ भी की थी।

पिछले साल 2023 की जून में, एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार के साथ प्रफुल्ल पटेल ने पटना में विपक्षी गठबंधन इंडिया की बैठक में हिस्सा लिया था।

हालांकि, इसके बाद अगले महीने जुलाई में प्रफुल्ल पटेल ने अजित पवार, छगन भुजबल समेत पार्टी के छह अन्य नेताओं के साथ एनसीपी का दामन छोड़ दिया था और भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए गठबंधन में शामिल हो गए थे।

यह कोई नई बात नहीं है कि विपक्षी नेताओं से जुड़े मामले में राज्य और केंद्रीय एजेंसियां एक ही तरीका अपनाती हैं। जब किसी नेता पर आरोप लगता है, तो उनके सत्ता दल भाजपा में शामिल होने पर उसके खिलाफ चल रही जांचें रोक दी जाती है।

अजित पवार गुट अब महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे सरकार का हिस्सा है। वहीं अजित पवार उप-मुख्यमंत्री हैं। जुलाई 2023 में अजित पवार सहित एनसीपी के नौ विधायक एनडीए में शामिल होने के साथ ही शिंदे गुट की सरकार में भी शामिल हुए। यहां इस बात पर गौर करने की जरूरत है कि इन सभी नेताओं पर खुद भाजपा ने भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे।

अजित पवार, प्रफुल्ल पटेल, छगन भुजबल, हसन मुश्रीफ, अदिति तटकरे, धनंजय मुंडे, प्रताप सरनाईक, यामिनी जाधव और भावना गवली इन सभी पर भ्रष्टाचार के आरोप हैं और जांच एजेंसी इनसे पूछताछ कर रही थी।

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