उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली आबकारी नीति घोटाले से जुड़े धन शोधन मामले में आम आदमी पार्टी के नेता और राज्यसभा सदस्य संजय सिंह को जमानत मिल चुकी है।
दिलचस्प बात यह है कि प्रवर्तन निदेशालय ने जमानत का विरोध नहीं किया।
जमानत अर्केजी पर सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि आप नेता अपनी राजनीतिक गतिविधियां जारी रख सकते हैं लेकिन इस मामले के संबंध में कोई बयान नहीं दे सकते।
संजय सिंह की रिहाई ऐसे समय में हो रही है जब आम आदमी पार्टी के सामने लोकसभा चुनाव में नेतृत्व का संकट है।
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और पूर्व उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया इस मामले में पहले ही तिहाड़ जेल में बंद हैं।
पीठ ने कहा कि सिंह पूरे मुकदमे के दौरान जमानत पर बाहर रहेंगे और उनकी जमानत की शर्तें विशेष अदालत तय करेगी और सिंह को दी गई जमानत को ‘मिसाल’ के तौर पर नहीं लिया जाएगा।
सुल्तानपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने की चर्चा
वहीं दूसरी ओर राजनीतिक गलियारों में सुल्तानपुर लोकसभा सीट से संजय सिंह के चुनाव लड़ने की चर्चा तेज हो गई है। राजनितिक जानकार कह रहे हैं कि संजय सिंह ‘आप’, सपा और कांग्रेस यानी इण्डिया गठबंधन के प्रत्याशी हो सकते हैं।
वरिष्ठ पत्रकार ममता त्रिपाठी अपने सोशल मीडिया एक्स पर लिखती हैं, ‘यूपी की सियासत में आने वाले कुछ दिनों में बड़ी हलचल देखने को मिल सकती है। सपा में लोकसभा के टिकट बदले जा रहे हैं और हर रोज़ सियासी समीकरण भी बदल रहे हैं। सुल्तानपुर से भाजपा ने मेनका गांधी को मैदान में उतारा है जो पिछली बार महज 13 हज़ार वोटों से जीती थीं।’
यूपी की सियासत में आने वाले कुछ दिनों में बड़ी हलचल देखने को मिल सकती है। सपा में लोकसभा के टिकट बदले जा रहे हैं और हर रोज़ सियासी समीकरण भी बदल रहे हैं। #सुल्तानपुर से #भाजपा ने मेनका गांधी को मैदान में उतारा है जो पिछली बार महज 13 हज़ार वोटों से जीती थीं । #सपा ने भीम निषाद… pic.twitter.com/1fspKEDJGK
— Mamta Tripathi (@MamtaTripathi80) April 2, 2024
वे आगे लिखती हैं, ‘सपा ने भीम निषाद को फ़िलहाल टिकट दिया है जिनके बारे में चर्चा है कि वो पैराशूट उम्मीदवार हैं। आप नेता संजय सिंह ज़मानत पर बाहर आ चुके हैं। सम्भावना जताई जा रही है कि सपा+कांग्रेस+आप=इंडिया गठबंधन के उम्मीदवार के तौर पर संजय सिंह को चुनाव मैदान में उतारा जा सकता है। अगर ऐसा होता है तो दिलचस्प मुक़ाबला देखने को मिल सकता है।’
सुल्तानपुर लोकसभा सीट से समाजवादी पार्टी भीम निषाद को प्रत्याशी बनाने की घोषणा कर चुकी है हालाँकि यह माना जा रहा है कि भीम निषाद पैराशूट प्रत्याशी हैं।
सुल्तानपुर लोकसभा सीट से मेनका गाँधी लगातार दूसरी बार भाजपा की ओर से मैदान में हैं। पिछले चुनाव में मेनका गांधी ने समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के गठबंधन प्रत्याशी चन्द्रभद्र सिंह उर्फ़ सोनू को 13,859 मतों से चुनाव हराया था।
जबकि 2014 में वरुण गांधी ने सुल्तानपुर लोकसभा सीट से आसान जीत हासिल की थी।
यदि इण्डिया गठबंधन अपना प्रत्याशी आप नेता संजय सिंह को बनाता है तो भीम निषाद का टिकट काटना पड़ सकता है। सुल्तानपुर लोकसभा सीट ब्राह्मण बाहुल्य है इसके आलावा भीम निषाद निषादों के नेता के तौर पर जाने भी नहीं जाते हैं। जबकि पिछले दो आम चुनावों से निषाद भाजपा के साथ हैं।
क्या संजय सिंह मेनका को मात दे पाएंगे?
सुल्तानपुर में छठे चरण में 25 मई को मतदान होना है। सुल्तानपुर लोकसभा सीट पर गांधी परिवार का दबदबा लम्बे समय से बरकरार है। पिछले दो बार से मेनका गाँधी और उनके बेटे वरुण गाँधी भाजपा के टिकट पर चुनाव जीत रहे हैं। उससे पहले राहुल गाँधी के करीबी माने जाने वाले अमेठी के राजा संजय सिंह ने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव में जीत दर्ज की थी।
सवाल यह है कि यदि मेनका भाजपा के टिकट पर मैदान में हैं जो कि पिछले पांच सालों में भाजपा में विरोधी खेमे के बतौर देखी जाती रही हैं। वरुण गाँधी लगातार बागी तेवर अपनाये हुए हैं जिसके चलते इस बार पीलीभीत से इनका टिकट काट कर जितिन प्रसाद को दे दिया है।
वहीं समय-समय पर वरुण गाँधी और अखिलेश यादव के करीबी होने की खबर भी आती रहती है। तो ऐसे में क्या वरुण की मां मेनका गाँधी के खिलाफ संजय सिंह को अखिलेश यादव समर्थन देंगे?
संजय सिंह का गृह जिला सुल्तानपुर है लेकिन उनका राजनीतिक जीवन आम आदमी पार्टी के साथ दिल्ली में शुरू होता है। लेकिन जबसे कथित शराब घोटाले में संजय को गिरफ्तार जेल भेजा गया तबसे संजय सिंह को प्रमुख विपक्षी नेता के तौर पर देखा जा रहा है।
राजनितिक लोग कहते हैं कि इसमें कोई दो राय नहीं है कि यदि संजय सिंह इण्डिया गठबंधन के प्रत्याशी सुल्तानपुर से होते हैं तो सपा प्रत्याशी भीम निषाद से बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं।
उत्तर प्रदेश की राजनीति पर नजर रखने वाले शिवम यादव मानते हैं कि संजय सिंह भाजपा के खिलाफ मजबूत आवाज साबित हो सकते हैं।
शिवम कहते हैं, जो जनता भाजपा से नाराज है वो कांग्रेस की ओर देख रही है ऐसे में यदि संजय सिंह आप की बजाय कांग्रेस के सिम्बल पर चुनाव लड़ें तो ज्यादा प्रभाव डाल सकते हैं। इतना ही नहीं संजय सिंह के चुनाव लड़ने से एंटी मेनका माहौल तो अच्छा बनेगा ही साथ ही एंटी भाजपा ज्यादा माहौल बनेगा क्योंकि पिछले दिनों में संजय सिंह विपक्ष की मजबूत आवाज बने हैं।
वे आगे कहते हैं, बाकी काफी देर हो चुकी है। यदि ऐसे चेहरे जिनकी चर्चा पहले से क्षेत्र में नहीं रहती है उन्हें थोडा पहले से मैदान में उतरना होता है. आज की तारीख में मेनका सुल्तानपुर से बेहतर प्रदर्शन करती नजर आ रही हैं।
संजय सिंह को बेल मिलने के बाद राजनीतिक गलियारों से लेकर सोशल मीडिया तक में भले ही सुल्तानपुर से मेनका गाँधी के खिलाफ चुनाव लड़ने की चर्चा हो लेकिन अभी तक किसी भी दल ने इसकी आधिकारिक घोषणा नहीं की है।