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लोकसभा चुनाव : वाराणसी में इस बार ‘स्थानीय बनाम बाहरी’ के मुद्दे पर लड़ेंगे चुनाव, बोले अजय राय

वाराणसी संसदीय क्षेत्र में एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष अजय राय आमने-सामने हैं। मोदी से लगातार दो बार परास्त होने के बाद अजय राय इस बार जिन मुद्दों पर चुनाव लड़ रहे हैं, क्या ये मुद्दे उन्हें संसद तक पहुंचा पाएंगे?

लोकसभा चुनाव 2024 में वाराणसी से एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उत्तर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय आमने-सामने हैं। वाराणसी लोकसभा सीट पर फिर से उम्मीदवार बनाए जाने के बाद अजय राय ने कहा है कि इस बार वाराणसी में इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इंक्लूसिव अलायंस (इंडिया) और भाजपा नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के बीच सीधा मुकाबला है।

कांग्रेस ने शनिवार को उत्तर प्रदेश में अपने उम्मीदवारों की पहली सूची जारी की। पार्टी ने अजय राय को दो बार सांसद रहे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मुकाबले के लिए वाराणसी से टिकट दिया है।

अजय राय और मोदी के साथ तीसरी बार मुक़ाबला कर रहे हैं। इसके पहले वर्ष 2014 और 2019 में भी एक-दूसरे के प्रतिद्वंदी रहे हैं। लेकिन दोनों ही बार अजय राय ने हार का सामना किया है।

मुद्दा होगा स्थानीय बनाम बाहरी

अजय राय ने कहा कि इस बार ‘स्थानीय बनाम बाहरी’ को ही चुनाव लड़ने का मुद्दा बनाएँगे। लड़ाई के वन-टू-वन हो जाने से बनारस के चुनावी समीकरण बदल चुके हैं।

उनका कहना है कि जनता बेरोजगारी, महंगाई, भ्रष्टाचार और भाजपा के विकास के झूठे दावों से त्रस्त है और वह इस बार बदलाव का मन बना चुकी है। इस दफा लोकसभा चुनाव सीधे तौर पर ‘इंडिया’ और एनडीए के बीच होगा। इससे समीकरण बदल गए हैं और चुनावी माहौल भी बिल्कुल परिवर्तित हो चुका है। इस चुनाव में बेरोजगारी और महंगाई के साथ-साथ भ्रष्टाचार का मुद्दा भी प्रमुखता से उठाया जाएगा।

चुनावी बांड मामले को लेकर हुए खुलासों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि इससे भाजपा की असलियत जनता के सामने खुल चुकी है। इसका भी चुनावी माहौल पर व्यापक असर नजर आएगा। भाजपा खुद को गौ रक्षक होने का दावा करती है, उसने बीफ का कारोबार करने वाली कंपनियों तक से चुनावी बांड के तौर पर चंदा लिया।

बेरोजगारी की समस्या पर भी उठाया सवाल 

पिछले दो बार से प्रधानमंत्री इस सीट से सांसद रहे हैं। इनका संसदीय निर्वाचन क्षेत्र होने के बावजूद पिछले 10 सालों में वाराणसी की बुनियादी समस्याएं जस की तस बनी हुई हैं। विकास के नाम पर जो भी काम हुए हैं उनमें ‘गुजरात लॉबी’ को ही फायदा पहुंचाने की कोशिश की गई है। वाराणसी में जो भी स्थाई नौकरियां पैदा हुईं हैं उन पर गुजरात के लोगों को ही नियुक्त किया गया। इससे आम जनता के मन में यह धारणा बैठ चुकी है कि उन्हें उन्हीं के घर में रोजगार से वंचित किया जा रहा है। स्थानीय लोग खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं। वाराणसी के स्थानीय लोग इस बात पर एक राय हो रहे हैं कि कोई भी बाहरी उम्मीदवार उनके दुख-दर्द को नहीं समझ सकता, लिहाजा अब वे परिवर्तन का मन बना चुके हैं।

अजय राय का राजनैतिक सफर

वाराणसी की पाँच विधानसभा सीटों में से एक कोलासला सीट से तीन बार और पिंडरा सीट से एक दफा अजय राय विधायक रह चुके हैं।

वर्ष 2009, 2014 और 2019 में वाराणसी लोकसभा सीट से चुनाव लड़ चुके हैं। हालांकि तीनों ही बार उन्हें पराजय का सामना करना पड़ा। वर्ष 2009 में उन्होंने सपा के टिकट पर चुनाव लड़े थे जबकि 2014 और 2019 में कांग्रेस के टिकट पर वाराणसी से चुनाव लड़ा था। साल 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में राय 1,52,548 वोट पाकर तीसरे स्थान पर रहे थे।

बाहुबली राजनेता की छवि रखने वाले अजय राय ने कहा कि वह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से पिछले 10 वर्षों से मोर्चा ले रहे हैं। मोदी से टक्कर लेने वाले कई लोग या तो क्षेत्र छोड़कर भाग गए, कोई जेल चला गया, तो कोई भाजपा में शामिल हो गया लेकिन वह आज भी संघर्ष कर रहे हैं।

उनका कहना है कि पिछले कई चुनावों में ऐसा देखने को मिला था कि भाजपा और मुख्य विपक्षी पार्टी के साथ-साथ कोई तीसरा मजबूत उम्मीदवार भी खड़ा हो जाता था, जिसकी वजह से वोट कई जगह बंट जाता था। मगर इस बार इंडिया और एनडीए के बीच सीधा मुकाबला है और इस बार चुनाव में हमारा इंडिया गठबंधन जीतेगा।

इसके पहले भी वर्ष 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में भी अंजय राय ने नरेंद्र मोदी के प्रतिद्वंदी के तौर पर  ‘स्थानीय बनाम बाहरी’ का मुद्दा उठाया था लेकिन दोनों बार उन्हें शिकस्त का सामना करना पड़ा था। इस मुद्दे का प्रभाव आने वाले चुनाव पर जनता पर पड़ेगा या नहीं यह तो 4 जून को ही सामने आएगा।

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