Tuesday, July 1, 2025
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विचार

हिंदुत्ववादी राजनीति ने इतिहास के पाठ्यक्रम से गायब किया मुस्लिम शासन का पाठ

भारतीय शिक्षा प्रणाली पर हिंदू साम्प्रदायिक तत्वों के पहले भी आरएसएस के साम्प्रदायिक संस्करण के माध्यम से प्रतिभाओं, एकल संप्रदायों और शैक्षणिक संस्थानों को बढ़ावा दिया जा रहा था। एनसीईआरटी की इतिहास की किताब से कक्षा सात से मुगलकालीन शासकों का पाठ हटाकर कुम्भ मेला का पाठ शामिल किया गया।

पहलगाम त्रासदी : आतंकवाद के चलते क्या कभी कश्मीर में शान्ति संभव हो पाएगी

आतंकवाद का खात्मा कैसे हो सकता है? स्थानीय लोगों को राज्य के मामलों से दूर रखने का निरंकुश तरीका आतंकवाद से निपटने में सबसे बड़ी बाधा है। सुरक्षा में बार-बार विफल होना, पुलवामा और अब पहलगाम में सुरक्षा व्यवस्था का विफल होना गहरी चिंता का विषय है।

क्या नेहा सिंह राठौर पर एफआईआर से आतंकवाद की कमर टूट जाएगी

नेहा राठौर और लखनऊ विश्वविद्यालय की प्रोफेसर डॉ माद्री ककोटी उर्फ डॉ मेडुसा के ऊपर देशद्रोह का मुकदमा दर्ज कर लिया गया। गोदी मीडिया और भाजपा के ट्रोल ने उनके खिलाफ ज़हर उगलना शुरू कर दिया है।न तो नेहा राठौर और न ही माद्री ककोटी ने इस मामले में कोई खेद व्यक्त किया बल्कि नेहा लगातार आलोचना जारी रखे हुये हैं। एक वीडियों में उन्होंने गोदी मीडिया को देश का गद्दार और अपराधी भी कहा।

पहलगाम आतंकी हमला : कश्मीरी जनता का अमन छीननेवाले अपराधी कौन हैं

पहलगाम पर आतंकियों द्वारा किया गया हमला 100% सांप्रदायिक ध्रुवीकरण का जीता-जागता उदाहरण है। पिछले कुछ वर्षों में, सांप्रदायिक तत्वों ने देश में बड़े पैमाने पर सांप्रदायिक ध्रुवीकरण पैदा करने में सफलता प्राप्त की है। यह पहली बार नहीं हुआ है बल्कि इसके पहले पुलवामा अटैक भी सांप्रदायिक ध्रुवीकरण का एक बड़ा हिस्सा था। इसी तरह अगस्त 2016 में बुरहान वानी की हत्या के बाद हुए बंद के दौरान दो सप्ताह जम्मू-कश्मीर में रहकर वहाँ की स्थितियों पर लिए गए जायजे के अनुभव साझा कर रहे हैं सुरेश खैरनार।

आंबेडकर जयंती के दिन मंडेला के लोगों से प्रेरणा लें : भारत के वंचित समुदाय 

आज हम बाबा साहेब डॉ. आंबेडकर की 134 वीं  जयंती एक ऐसे समय में मना रहे हैं, जब आंबेडकरवादियों को उस हिन्दू राज का भय बुरी तरह सता रहा है, जिसके खतरे से बचने के लिए बाबा साहब वर्षों पहले आगाह कर गए थे। उन्होंने हिन्दू राज के खतरे से आगाह करते हुए कहा था, ’अगर हिन्दू राज हकीकत बनता है, तब वह इस मुल्क के लिए सबसे बड़ा अभिशाप होगा। हिन्दू कुछ भी कहें, हिन्दू धर्म स्वतंत्रता, समता और बंधुता के लिए खतरा है। इस पैमाने पर वह लोकतंत्र के साथ मेल नहीं खाता है। इसलिए हिन्दू राज को किसी भी कीमत पर रोका जाना चाहिए।’

जातिवाद के फांस से मुक्ति का प्रश्न

जैसे बाज़ार और बाज़ारवाद अलग- अलग चीज है, उसी तरह ब्राह्मण और ब्राह्मणवाद में भी फर्क है। कोई ब्राह्मण भी ब्राह्मणवाद का विरोधी हो...

क्या कविता का मतलब बाल की खाल निकालना है ?

सिर्फ प्रतिभा नहीं, कविता एक क्राफ्ट भी है जिसका ताल्लुक सीखने और अभ्यास से है और जिसके सहारे ही कविता आस्वाद से जुड़ती है।...

आम और आदमी या आम आदमी या फिर कोई और? (11 जुलाई, 2021 की डायरी)

दो शब्द हैं - आम आदमी। दोनों शब्दों के बीच कोई मेल नहीं। मतलब यह कि आम एक फल है और आदमी आदमी। लेकिन...

सामान्य और असामान्य की कौन-सी परिभाषा है आपके पास? (10 जुलाई, 2021 की डायरी )

घटना मध्य प्रदेश के इंदौर जिले की है। इस घटना को देखने और समझने के कई तरीके हो सकते हैं जो कि सामान्य तौर...

बीज, बाजार और किसान (9 जुलाई, 2021 की डायरी)

समाज कैसे बदलता है? यह एक सवाल हो सकता है। खासकर उनके लिए जो समाज के बदलने की प्रक्रिया से परिचित नहीं हैं। वैसे...

धर्म, साम्प्रदायिक राष्ट्रवाद और अन्तर्धार्मिक विवाह

कानपुर में एक हिन्दू महिला ने पुलिस में रपट दर्ज करवाकर अपने मुस्लिम पति पर जबरदस्ती उसका धर्मपरिवर्तन करवाने का आरोप लगाया. बाद में...
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