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महाराष्ट्र में बड़ा राजनीतिक उलटफेर, पांच को पता चलेगा सियासी चाल का असली खेल

मुंबई। महाराष्ट्र की राजनीति में सत्ता की सियासत ने एक बार फिर से करवट बदल दी है। इस बार के ड्रामे में फिर से कुछ वैसा ही राजनीतिक दोहराव देखने को मिल रहा है जैसा 2019 में देखने को मिला था। एनसीपी नेता और शरद पवार के भतीजे अजित पवार ने एक बार फिर से […]

मुंबई। महाराष्ट्र की राजनीति में सत्ता की सियासत ने एक बार फिर से करवट बदल दी है। इस बार के ड्रामे में फिर से कुछ वैसा ही राजनीतिक दोहराव देखने को मिल रहा है जैसा 2019 में देखने को मिला था। एनसीपी नेता और शरद पवार के भतीजे अजित पवार ने एक बार फिर से गुपचुप तरीके से उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली है। अजित पवार बीच-बीच में अपनी पार्टी से विद्रोह का झंडा बुलंद करते रहे हैं पर शरद पवार हर बार उनका पंख काट कर वापस जमीन पर ला देते रहे हैं। इस बार अजित पवार ने ना सिर्फ बगावत की है बल्कि राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी पर कब्ज़ा करने का दम दिखाते हुए शरद पवार की सियासी जमीन पर अपना दावा पेश कर दिया है। अजित पवार ने दावा किया है कि राकांपा के 53 में से 40 विधायक उनके साथ हैं। अजीत पवार के साथ पार्टी के अन्य आठ विधायकों ने भी मंत्री पद की शपथ लेकर राजनीतिक गलियारे में वैसी ही हलचल पैदा कर दी जैसी एकनाथ शिंदे ने उद्धव ठाकरे से शिवसेना की कमान और मुख्यमंत्री पद की कुर्सी छीन कर पैदा की थी।

इस एक हलचल के पीछे किसकी स्क्रिप्ट है, यह राज जब तक पूरी तरह से साफ़ नहीं हो जाता है, तब तक यह समझना आसान नहीं होगा कि इस करवट का निहितार्थ क्या है? ऊपरी तौर पर देखा जाय तो यह भाजपा की वह सियासी चाल लगती है, जिसे आजकल भारत की राजनीति में ‘आपरेशन लोटस’ के नाम से जाना जाता है। रविवार तक यह पूरा ड्रामा इसी कहानी की ओर संकेत कर रह था कि जिस तरह से भाजपा ने उद्धव ठाकरे की शिवसेना में सेंध लगाकर एकनाथ शिंदे के माध्यम से शिवसेना पर कब्ज़ा कर लिया था वैसे ही इस बार शरद पवार की पार्टी एनसीपी के साथ हुआ है। पर महाराष्ट्र की राजनीति और खासतौर पर शरद पवार को जानने वाले लोग यह बात इतनी आसानी से नहीं मान सकते हैं कि अजीत पवार ने एक झटके में शरद पवार की सियासी जमीन हथिया ली है। शरद पवार को इस रूप में देखा जाता है कि उनका नेटवर्क इतना ताकतवर है कि घटना के घटित होने से पहले उन्हें पता चल जाता है कि क्या होने वाला है। ऐसे में यह मानना आसान नहीं है कि अजित पवार ने एक झटके में शरद पवार का पूरा नेटवर्क ध्वस्त कर दिया है। अगर अब तक के राजनीतिक इतिहास को देखें तो साफ दिखता है कि शरद पवार ने  सत्ता में रहने या सत्ता से बाहर रहने पर भी अपने होने के अर्थ को कम नहीं होने दिया है।

फिलहाल एनसीपी के चालीस विधायकों के समर्थन का दावा करते हुए अजित पवार, एकनाथ शिंदे सरकार में उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ले चुके हैं। उनके साथ अन्य आठ विधायक भी मंत्री पद की शपथ ले चुके हैं और एनसीपी सांसद प्रफुल्ल पटेल के बारे में माना जा रहा है कि जल्द ही वह मोदी के मंत्रिमंडल का हिस्सा बन सकते हैं।

इस पूरे घटनाक्रम को लेकर शरद पवार फिलहाल अभी किसी तनाव में नहीं दिख रहे हैं। आज उन्होंने सतारा में एक रैली को संबोधित करते हुए कहा कि ‘इस तरह की बातों से मैं कभी नहीं घबराता।’

सतारा में लोगों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा है कि आज महाराष्ट्र और देश में कुछ समूहों द्वारा जाति और धर्म के नाम पर समाज के बीच दरार पैदा की जा रही है। पवार ने आगे कहा कि हम उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में महाराष्ट्र की सेवा कर रहे थे, लेकिन कुछ लोगों ने हमारी सरकार गिरा दी। देश के कुछ अन्य हिस्सों में भी ऐसा ही हुआ। पूरे घटनाक्रम को लेकर शरद पवार ने 5 जुलाई को सभी नेताओं और पदाधिकारियों की बैठक बुलाई है। शरद पवार ने इस बैठक में शामिल नेताओं और पदाधिकारियों को अपने साथ एफिडेविट लेकर आना होगा।

अजित पवार फिलहाल देवेन्द्र फडणवीस के घर उनसे मिलने पंहुचे हैं। इसके पहले उन्होंने अपने समर्थक विधायकों के साथ बैठक भी की थी।

इस पूरे घटनाक्रम को शरद पवार की बेटी और एनसीपी अध्यक्ष सुप्रिया सुले ने दुर्भाग्यपूर्ण बताया है। इसको लेकर उन्होंने यह भी कहा है कि हम एक परिवार हैं। अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी इसलिए पांच जुलाई को होनी वाली बैठक तक इन्तजार करना चाहिए।

इस पूरी सियासी उठापटक के बीच शिवसेना (यूबीटी) नेता संजय राउत ने बड़ा दावा किया है। उन्होंने कहा है कि जल्द ही महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री बदलने जा रहा है। उन्होंने कहा है कि एकनाथ शिंदे को हटाया जाएगा और वह और उनके 16 विधायक अयोग्य हो जाएंगे।

फिलहाल इस पूरे सियासी माहौल में यह भी देखा जाना चाहिए कि कहीं यह पूरा खेल शरद पवार द्वारा स्क्रिप्टेड तो नहीं है। जिसके माध्यम से वह चुनाव से पूर्व ही अपनी बेटी सुप्रिया सुले की राह के कांटे निकालने और अजित पवार को किसी भी तरह जन सहानुभूति के केंद्र से बाहर रखने का खेल तो नहीं खेल रहे हैं। यदि शरद पवार का इस स्क्रिप्ट में कोई रोल नहीं होगा, तब भी ऐसा नहीं लगता कि वह अजित परिवार को मनाने का ख़ास प्रयास करेंगे क्योंकि यह बात वह भी जानते हैं कि अजित पवार की महत्वाकांक्षा सुप्रिया सुले की राजनीति के लिए हमेशा संकट का कारण बनी रहेगी।

शरद पवार जिस आत्मविश्वास से भरे नजर आ रहे हैं उसके मायने  पांच जुलाई को पार्टी के पदाधिकारियों के साथ होने वाली बैठक के बाद ही तय हो पायेगा। अजित परिवार पिछली बार भी इसी तरह से भाजपा के साथ जाकर उपमुख्यमंत्री बने थे पर शरद पवार ने 24 घंटे में ही उस सियासी पारी का खात्मा करवा दिया था।

कुमार विजय गाँव के लोग डॉट कॉम के एसोसिएट एडिटर हैं।

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