ब्रह्मेश्वर, तुम्हारी हत्या की दसवीं वर्षगांठ के मौके पर (डायरी 1 जून, 2022)
नवल किशोर कुमार
ब्रह्मेश्वर मुखिया को इन गुंडों का सरगना माना गया और वह खुद को भी मानता भी था। उसे राबड़ी देवी हुकूमत ने पकड़कर जेल में डाल दिया था। लेकिन नीतीश कुमार ने सत्ता में आते ही दो काम किये। पहला तो यह कि उन्होंने जस्टिस अमीरदास आयोग को उस वक्त भंग कर दिया जब आयोग अपनी रपट तैयार कर चुका था। यदि यह रपट सामने आ गयी होती तो रणवीर सेना के सारे संरक्षकों का काला चिट्ठा सबके सामने होता।
मुखिया की हत्या के संबंध में मैंने एक आलेख फारवर्ड प्रेस के लिए लिखा था – ‘किसकी जादुई गोलियों ने ली बिहार के कसाई की जान?’
अगर इस बात को सच मान भी लिया जाय तो सवाल यही उठता है कि आखिर गोलियां गई कहां? जो गोलियाँ शरीर के अंदर से होकर बाहर जाती हैं, उनमें कोई गति नहीं रहती और वे आमतौर पर घटनास्थल पर ही मिल जाती हैं। क्या जिन गोलियों ने मुखिया की जान ली, वे ‘जादुर्ई’ गोलियां थीं, जो बंदूक से निकलने के बाद मुखिया कि हत्या करने के बाद गायब हो गईं?

नवल किशोर कुमार फ़ॉरवर्ड प्रेस में संपादक हैं।