शनिवार को कॉमरेड महेश्वर के स्मृति दिवस के अवसर पर प्राक परीक्षा प्रशिक्षण केंद्र, दरभंगा पर जनसंस्कृति मंच दरभंगा के तत्वावधान में कार्यक्रम का आयोजन जसम जिलाध्यक्ष डॉ. रामबाबू आर्य की अध्यक्षता में किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत जसम के साथी रूपक कुमार द्वारा महेश्वर जी की कविताओं के पाठ से हुई।
इस अवसर पर जसम राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य कॉमरेड सुरेंद्र सुमन ने कहा कि नक्सलबाड़ी चेतना के प्रखर एवं अद्वितीय इंक़लाबी कवि-कथाकार, सिद्धांतकार के साथ ही जनसांस्कृतिक योद्धा थे कॉमरेड महेश्वर। जिस समय बिहार के खेतों-खलिहानों एवं गांवों में नक्सलबाड़ी की चिंगारी धधक रही थी और कतिपय इंक़लाबी योद्धा शहादत की कतारें सजा रहे थे उस समय कॉमरेड महेश्वर उसका जनसांस्कृतिक आख्यान रच रहे थे। उनके निधन के मौके पर भाकपा माले के तत्कालीन राष्ट्रीय महासचिव कॉमरेड विनोद मिश्र ने उन्हें अश्रुपूरित विदाई देते हुए कहा था- ‘आज नक्सलबाड़ी चेतना का प्रखर एवं अप्रतिम सांस्कृतिक मस्तिष्क ने सोचना बंद कर दिया।’ उनके निधन के बाद पहली बार ऐसा अहसास हुआ था कि जनसांस्कृतिक गति का पहिया थम-सा गया है। कॉमरेड महेश्वर हमारे जनसांस्कृतिक आंदोलन के प्रेरणास्रोत हैं। आज के घुप्प अँधेरे में भी हमारे लिए टॉर्च का काम कर रहे हैं। उनकी स्मृति को मैं अपनी ओर से और जनसंस्कृति मंच, बिहार तथा राष्ट्रीय कार्यकारिणी की तरफ से शतधा लाल सलाम पेश करता हूँ।
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कॉमरेड महेश्वर का स्मरण करते हुए भाकपा माले के वरिष्ठ नेता कॉमरेड कल्याण भारती ने कहा- ‘कॉमरेड महेश्वर पटना में एक कम्युनिस्ट शिक्षक के रूप में कार्यरत थे। उन्होंने अपने करियर को दाव पर रखकर जनसंस्कृति मंच की स्थापना से लेकर मरते दम तक प्रगतिशील जनसंस्कृति की धारा को मजबूत किया, जिसे भुलाया नहीं जा सकता। हमने उन्हीं के पदचिन्हों पर चलकर जसम को राष्ट्रीय स्तर तक विकसित किया है और भाकपा-माले की छोटी-बड़ी कई पत्रिकाओं के प्रकाशन में उनकी सराहनीय भूमिका से प्रेरणा ग्रहण की है। ऐसे बहुत कम बुद्धिजीवी होते हैं जो अपनी जान को हथेली पर रखकर सर्वहारा वर्ग की वास्तविक मुक्ति के लिए काम करते हैं।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए जसम जिलाध्यक्ष डॉ. रामबाबू आर्य ने कहा कि कॉमरेड महेश्वर बिहार में हिरावल और जनसंस्कृति मंच के संस्थापक थे। उनके लिखे कई गीत आज भी जनांदोलन के दौर में समरगान के बतौर प्रस्तुत किए जाते हैं। कॉमरेड महेश्वर हमारे सांस्कृतिक आंदोलन के पथप्रदर्शक दुर्धर्ष योद्धा रहे हैं।
कार्यक्रम को संचालित करते हुए जसम जिलासचिव समीर ने कहा कि कॉमरेड महेश्वर ने जो जनसांस्कृतिक मशाल जलाई थी वह आज हम जैसे नई पीढ़ी के संस्कृतिकर्मियों के लिए अंधेरे को चीरते हुए अपना परचम लहरा देने की प्रेरणा देती है।
कार्यक्रम के अंत में असम के जानेमाने गीतकार, बाल लेखक, शिक्षाविद और नाट्य व्यक्तित्व कॉमरेड हरेंद्रनाथ बारठाकुर जो सादौ आसोम जनसंस्कृति मंच के अध्यक्ष और भाकपा-माले के वरिष्ठ साथी थे, उनके निधन पर और बिहार जसम के राज्य उपाध्यक्ष एवं लोकगायक कॉमरेड निर्मोहीजी के पोते रवि कुमार के असामयिक निधन पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए दो मिनट का मौन धारण कर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की गई। इस अवसर पर एसएस ठाकुर, डॉ. आरएन कुशवाहा, दिलीप कुमार, राजीव कुमार, सियाराम मुखिया, मंजू कुमार सोरेन एवं अन्य कतिपय संस्कृतिकर्मी उपस्थित थे।
कॉमरेड सुरेंद्र सुमन जसम राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य और मधेपुरा में रहते हैं।
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