Tuesday, July 1, 2025
Tuesday, July 1, 2025




Basic Horizontal Scrolling



पूर्वांचल का चेहरा - पूर्वांचल की आवाज़

होमशिक्षा

शिक्षा

छतीसगढ़ शिक्षा विभाग : सरकार की गति कुछ और भविष्य की दिशा कोई और

छत्तीसगढ़ में भाजपा शासन में 4077 विद्यालय बंद किए जा चुके हैं। सरकार शिक्षा के स्तर सुधारने और नई भर्ती करने की बजाए उसे बिगाड़ने का काम कर गाँव के बच्चों को पढ़ाई से वंचित करने की व्यवस्था बना रही है। सदैव से भाजपा की यही रणनीति रही है कि शिक्षा एक खास वर्ग ही हासिल कर पाए। भाजपाशासित प्रदेशों में शिक्षा और शिक्षा नीति में लगातार बदलाव कर तर्क सम्मत पाठ्यक्रमों को हटाकार धार्मिक विषयों को शामिल करने की होड़ लगी है।

देश के विश्वविद्यालयों में भर्ती प्रक्रिया प्रश्नों के घेरे में

असली जातिवाद देखना है तो विश्वविद्यालयों की वर्तमान स्थिति को देखा जा सकता है। जातिवाद  के सबसे क्रूर, घिनौने और घिनौने स्थान विश्वविद्यालय बन गए हैं। जहां गले तकभ्रष्टाचार खुले आम हो रहा है। विश्वविद्यालय के मुखिया से लेकर प्रोफेसरों की नियुक्ति अब आरएसएस और भाजपा के इशारे पर हो रही है।

शिक्षा : तमाम दिक्कतों के बावजूद शिक्षकों ने अपनी भूमिका को बेहतर निभाया है

एनुअल स्टेटस ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट (ASER) द्वारा किए गए सर्वे के आधार पर यह सामने आया कि प्राथमिक और पूर्व प्राथमिक विद्यालय के बच्चों की बुनियादी साक्षरता और गणितीय कौशल के स्तर मे सुधार के लिए किए जा रहे प्रयास के परिणाम सही दिशा में आते हुए दिखाई दे रहे हैं। हालांकि यह लक्ष्य बहुत सकारात्मक नहीं है लेकिन सुधार होता दिख रहा है। ‘निपुण भारत मिशन’ जिसकी शुरुआत 5 जुलाई 2021 को हुई थी, तय लक्ष्य पाने में अभी बहुत पीछे है लेकिन जो भी हासिल है उसका श्रेय शिक्षकों को दिया जाना चाहिए।

उत्तराखंड : पढ़ाने के इतर कामों से मुक्त हों सरकारी अध्यापक ताकि बच्चे पढ़ पाएं

विद्यालय में बच्चों की पढ़ाई में रुचि पैदा हो इसके लिए अध्यापकों का पूरा ध्यान दिया जाना जरूरी है। लेकिन होता यह है कि सरकारी विद्यालयों में अध्यापकों को पढ़ाने के अलावा अन्य प्रशासनिक कामों की ज़िम्मेदारी सौंप दी जाती है और उसे करने का दबाव बनाया जाता है, जिसकी वजह से अध्यापक काम पूरा करने के लिए बच्चों को दिये जाने वाले समय से कटौती करता है। सरकार को अन्य प्रशासनिक कामों से पूरी तरह मुक्त रखना होगा ताकि बच्चे बच्चे सीखने की उम्र में रुचि के साथ सीख सकें।

राजस्थान : शैक्षिक संसाधनों के नाम पर ग्रामीण इलाके पूरी तरह पिछड़े हुए हैं

ग्रामीण क्षेत्रों में शैक्षिक संसाधनों की कमी को पूरा करने के लिए एक ठोस रणनीति पर अमल करने की जरूरत है। जिसमें बुनियादी ढांचा और सुविधाएं उपलब्ध कराना अहम हैं। इनमें क्लास रूम की सुविधा उपलब्ध कराना, उचित स्वच्छता सुविधाओं को मुहैया कराना, शौचालय विशेष रूप से लड़कियों के लिए, साथ ही बिजली और पीने का साफ पानी मुख्य रूप से शामिल है।

दिल्ली विश्वविद्यालय में मनुवादियों की NFS लीला रुकेगी कब?

प्राचीन समय से मनुवादियों ने समाज के दलित-वंचित समुदाय को शिक्षा लेने से वंचित रखने के लिए मनुस्मृति का सहारा ले उन्हें भरमाया। जब-जब वे पढ़ना चाहे, तब-तब पढ़ने से रोकने के लिए उन्हें अपमानित कर अपना पुश्तैनी काम करने के लिए कहा। देश में संविधान -लागू होने के बाद सभी को समान अधिकार प्राप्त हुआ, उसके बाद, जब ओबीसी,एससी और एसटी वर्ग के लोग शिक्षित हो बेहतर योग्यता से सामने आने लगे तब उनकी बेचैनी सामने आने लगी। इस वजह से उन्हें दिये गए आरक्षण को किसी भी तरह से रोकने के लिए शातिर तरीके अपना रहे हैं। अभी लगातार अनेक विश्वविद्यालयों से आरक्षित पदों के उम्मीदवारों को NFS करने की सूचना आ रही है। सवाल यह उठता है कि क्या सभी योग्यता सवर्णों में और सारी अयोग्यता ओबीसी, एससी और एसटी वर्ग में है।

वाराणसी : बेसिक शिक्षा विभाग के अध्यापकों ने डिजिटल उपस्थिति के साथ अन्य मांगों के लिए किया विरोध प्रदर्शन

अध्यापकों की नियुक्ति पढ़ाने के लिए की जाती है लेकिन सरकार द्वारा सौंपे गए अनेक कामों के बाद बच्चों पर पर्याप्त ध्यान ही नहीं दे पाते। यह बात शिक्षक ने बताई। इधर सरकार द्वारा बेसिक शिक्षा विभाग के अध्यापक पर डिजिटल उपस्थिति दर्ज करने का नियम लागू किया गया है। लेकिन अध्यापक लगातार विरोध कर रहे हैं। अध्यापक इसके अलावा भी अपनी मांगों को लेकर ज्ञापन सौंप चुके हैं। उनका कहना है जब तक सरकार हमसे बात नहीं करती यह विरोध-प्रदर्शन बंद नहीं होगा.

ग्रामीण क्षेत्रों के सरकारी विद्यालयों में शिक्षकों की कमी के चलते बच्चों की शिक्षा का स्तर लगातार गिर रहा है

सरकार शिक्षा के स्तर को बढ़ाने के लिए गाँव-गाँव में प्राथमिक विद्यालय खोलने पर ज़ोर दे रही है। लेकिन केवल स्कूल खोल लेने से शिक्षा का स्तर नहीं बढ़ सकता बल्कि शिक्षकों की पर्याप्त नियुक्ति भी जरूरी है। राजस्थान में कक्षा एक से आठ तक के 25 हजार 369 पद खाली पड़े हैं। इनके खाली रहने से पढ़ाई का सबसे ज्यादा असर ग्रामीण बच्चों पर पड़ता है। न उनकी नींव मजबूत हो पाती है न सही से अक्षर ज्ञान ही हो पाता है। इस वजह से स्कूल छोड़ने वाले बच्चों की संख्या में लगातार बढ़ोत्तरी होती है।

उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा विभाग : डिजिटल हाजिरी के विरोध में काली पट्टी बांधकर शिक्षकों ने काम किया

डिजिटल उपस्थिति के पहले ही दिन आजमगढ़ के एक गाँव में भारी बारिश में स्कूल जाते हुए अध्यापिकाओं का रिक्शा पलट गया। डिजिटल उपस्थिति का फरमान जारी हो गया और 8 जुलाई से लागू कर दिया गया है। लेकिन अध्यापक इस बात से खासे परेशान है कि जिस गाँव में डिजिटल उपस्थिति की सुविधा नहीं है वहाँ क्या किया जाएगा?

नीट पेपरलीक व्यावसायिक शिक्षा का सबसे बड़ा घोटाला है

4 जून को जब से नीट परीक्षा के नतीजे आए हैं, तब से नीट परीक्षा को लेकर चल रहे विवाद और आंदोलन खत्म होने का नाम नहीं ले रहे। स्वाभाविक है क्योंकि यह मेहनती और गरीब छात्रों के भविष्य का सवाल है। सुप्रीम कोर्ट ने दुबारा परीक्षा लेने से इंकार कर दिया, यह एक तरह से उन लोगों के पक्ष में खड़े होने की बात है, जिन्होंने पेपर खरीदने के लिए लाखों रुपए खर्च किए और उन अभ्यथियों का चयन हो गया है। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट, सरकार और परीक्षा लेने वाली एजेंसी एनटीए पर सवाल उठना ही चाहिए।

बेसिक शिक्षा विभाग में अध्यापकों की ऑनलाइन उपस्थिति क्यों अव्यावहारिक है?

विद्यालय का नया सत्र खुलते ही शासन ने बेसिक शिक्षा परिषद के अध्यापकों के लिए कुछ ऐसे नियम लागू कर दिये हैं, जिसके चलते उन्हें व्यावहारिक दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। यदि शासन किसी नियम की नकल करती है तो उसे वहाँ की स्थिति से परिचित होना चाहिए ताकि समस्याओं से भी परिचित हो सके।
Bollywood Lifestyle and Entertainment