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वाराणसी : ग्राउंड रिपोर्ट का असर, बंजर होने से बच गई उपजाऊ जमीन

गाँव के लोग पर खबर प्रकाशित होने के बाद प्रभावित किसानों को अपने संघर्ष को आगे बढ़ाने की हिम्मत मिली। उन्होंने न्यायिक व्यवस्था में सरकार के प्रयास पर मजबूती से आपत्ति जताई और परिणाम यह हुआ कि किसानों की जमीन को जबरन अधिग्रहित करने की  इस खबर के असर ने वाराणसी के पूर्वी छोर पर स्थित जाल्हूपुर परगना के चार गाँवों तोफापुर, मिल्कोपुर, कोची और सरइयाँ की जमीन को बंजर होने से बचा लिया है।

वाराणसी। गाँव के लोग पर 25 अगस्त को दशकों पहले मृत व्यक्ति के नाम नोटिस और वर्तमान किसानों की ज़मीन को बंजर बताकर हड़पने की साज़िश और 9 सितंबर 2023 को मृतक छेदी सिंह हाज़िर हों वरना उनकी ज़मीनें बंजर कर दी जाएँगी शीर्षक से दो खबरें प्रकाशित हुई थी। ये दोनों खबरें गाँव के लोग की कार्यकारी संपादक अपर्णा ने की थी। उन्होंने ग्राउंड पर जाकर इस खबर के तथ्य जुटाये थे और ज़िम्मेदारी के साथ यह बात उठाई थी कि सरकार साजिश के तहत किसानों की 109 एकड़ जमीन को बंजर घोषित करते हुये जबरन अधिग्रहित करना चाहती है। 

गाँव के लोग पर खबर प्रकाशित होने के बाद प्रभावित किसानों को अपने संघर्ष को आगे बढ़ाने की हिम्मत मिली। उन्होंने न्यायिक व्यवस्था में सरकार के प्रयास पर मजबूती से आपत्ति जताई और परिणाम यह हुआ कि किसानों की जमीन को जबरन अधिग्रहित करने की  इस खबर के असर ने वाराणसी के पूर्वी छोर पर स्थित जाल्हूपुर परगना के चार गाँवों तोफापुर, मिल्कोपुर, कोची और सरइयाँ की जमीन को बंजर होने से बचा लिया है।

ज्ञात हो कि 15 सितंबर को एसडीएम सदर ने उपरोक्त चारों गांवो की 109 एकड़ ज़मीन को बंजर घोषित करने और कब्जे में लेने का एक फरमान निकाला था। इस फरमान के आते ही प्रभावित होने वाले भू स्वामी किसानों में हड़कंप मच गया था। इस प्रकरण को लेकर किसान पूरे प्रकरण को लेकर न्यायालय तक गए।   

अपर्णा ने अपनी खबर के दौरान दीवानी मामलों के जानकार अधिवक्ताओं से बात करने के आधार पर लिखा था कि जिन गाँवों में चकबंदी हो चुकी है, वहाँ बंजर, नाली अथवा सड़क का मामला पहले से हल हो चुका होता है। पट्टीदारों का आपसी झगड़ा भले चल रहा हो, लेकिन बंजर नहीं निकल सकता, क्योकि चकबंदी का बंदोबस्त अधिकारी ऐसे सभी मामलों को निपटाकर ही आगे बढ़ता है। लेकिन इन चारों गाँवों में एक सौ नौ एकड़ का रकबा बंजर निकल जाना कोई मामूली बात नहीं है। इस बात से किसान के अन्दर उम्मीद जगी थी कि इस लड़ाई में वह अकेले नहीं है बल्कि सच की सापेक्षता करने वाले और लोग भी उनकी आवाज उठाने के लिए साथ खड़े हैं। फिलहाल अब न्यायालय द्वारा 11 अक्तूबर को एसडीएम के फरमान के खिलाद स्थगन आदेश आ गया है।

अन्तरिम स्थगन आदेश की प्रति

एसडीएम के फरमान के खिलाफ न्यायालय में योजित वाद संख्या 17137 वर्ष 2023 सरकार (रिपोर्ट तहसीलदार सदर) बनाम छेदी, विमल अश्विनी आदि में पारित आदेश  दिनांक 15-07- 2023, मृत व्यक्तियों को पक्षकार  बनाकर आदेश पारित किया गया था। जिसमें निगरानीकर्ता पक्ष के वकील ने न्यायालय के समक्ष पक्षकारों की मृत्यु का दस्तावेज़ सौपते हुये दलील दी थी कि  उक्त पक्षकारों की मृत्यु वाद योजित किए जाने से 20-25 वर्ष पूर्व हो चुकी है। इसके साथ न्यायालय के समक्ष वादग्रस्त भूमि की खतौनी भी प्रस्तुत की जिसमें मृत पक्षकारों के विधिक वारिसानों का वरासतन दर्ज हो चुका है इसी के आधार पर न्यायालय से एसडीएम सदर के आदेश के विरुद्ध स्थगन का अनुरोध किया गया था। जिस पर न्यायालय द्वारा फिलहाल अन्तरिम आदेश पारित कर दिया गया है।  

अपर्णा
अपर्णा
अपर्णा गाँव के लोग की संस्थापक और कार्यकारी संपादक हैं।

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