बीएचयू के सर सुन्दर लाल चिकित्सालय (बीएचयू) में हृदय रोग विभाग में बिस्तर(बेड) और अधीक्षक डॉ केके गुप्ता के खिलाफ भ्रष्टाचार को लेकर प्रो. डॉ. ओमशंकर आमरण अनशन पर पिछले 11 मई से बैठे हैं। यह आमरण अनशन हृदय रोग विभाग के लिए आवंटित बेड को ओको सर्जरी (सर्जिकल ओंकोलॉजी, कैंसर के सर्जिकल उपचार केंद्र) विभाग को दे देने के खिलाफ है। जिसके लिए बनारस में पहले से ही महामना कैंसर संस्थान और रेलवे स्थित कैंसर संस्थान मौजूद हैं। दो दिन से यह अनशन उनके अपने चैम्बर में ही चल रहा
अधीक्षक डॉ के के गुप्ता संस्थान के निदेशक की बात नहीं मान रहे
अधीक्षक डॉ के के गुप्ता संस्थान के निदेशक के आदेश को न केवल मानने से इंकार कर दिया बल्कि उन्होंने समिति की संस्तुतियों के आधार पर निदेशक द्वारा हृदय विभाग के लिए आवंटित बेड को ओंको सर्जरी विभाग को दे दिया, जिसके लिए बनारस में पहले से ही महामना कैंसर संस्थान और रेलवे स्थित कैंसर संस्थान मौजूद हैं।
सर सुन्दर लाल चिकित्सालय में जनता की मूलभूत सुविधाओं के लिए अपने ही डिपार्टमेंट के खिलाफ आमरण अनशन पर बैठे प्रो डॉ. ओम शंकर ने भष्टाचारी चिकित्सक अधीक्षक डा के के गुप्ता को निलंबित करने की मांग लगातार करते आ रहे है।
यह लड़ाई डॉ ओमशंकर की लड़ाई मात्र नही है। असल लड़ाई जनता की व्यवस्था की है, स्वास्थ्य के अधिकार की है। मरीज इलाज के जब बीएचयू में आता है, उसे बेड नही मिलता है, अनेक लोग बिना इलाज के खत्म हो जाते हैं। लोगों को आसानी से बेड मिल सके। ये व्यक्तिगत लड़ाई से कहीं ऊपर की बात है और जनहित की बात है। इस बात को सभी को समझना चाहिए।
डॉ ओमशंकर ने प्रधानमंत्री मोदी को खुला पत्र भी लिखा।

भाजपा के दस वर्षों के शासनकाल में वाराणसी को नहीं मिला एम्स
डॉ ओमशंकर ने वर्ष 2019 वाराणसी में एम्स और स्वास्थ्य को मौलिक अधिकार में शामिल करने को लेकर भी आमरण अनशन किया था
आज दस साल बीत गए लेकिन काशीवासियों को न तो एम्स मिला और न ही देशवासियों को स्वास्थ्य के मौलिक अधिकार। मोदी सरकार के विकास की परिभाषा ‘ट्रिलियन इकोनॉमी’ और कुछ गिने चुने पूंजीपतियों के विकास तक हीं सीमित दिखती है, जबकि इसे इस देश के सभी नागरिकों के प्रति व्यक्ति सालाना में बढ़ोतरी द्वारा नापा जाना चाहिए।
सरकार को अपने असंतुलित विकास के संकुचित पूंजीवादी विकास मॉडल को त्यागकर, शिक्षा और स्वास्थ्य के मौलिक अधिकार वाले सर्वांगीण विकास के मॉडल को अपनाना चाहिए। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय की स्थापना का मूल मकसद शिक्षा द्वारा गरीबी मिटाने को मिटाना था। सरकार के विकास मॉडल में दो और बड़ी खामियां देखने को मिली- पहला है देश, संस्थान और अधिकारियों में बेतहाशा बढ़ता भ्रष्टाचार और दूसरा है देश, संस्थान और अधिकारियों में बढ़ता प्रशासनिक अराजकता जिससे यह लोकतंत्र रोज कमजोर होता जा रहा है।
इसका सबसे बड़ा उदाहरण प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र स्थित काशी हिंदू विश्वविद्यालय में देखने को मिल रहा है, जहां कुलपति तानाशाही रवैया अपनाए हुए हैं। वे किसी भी अधिकारी, छात्र और कर्मचारियों से नहीं मिलते हैं। कुलपति का तीन वर्षों का कार्यकाल लगभग समाप्ति पर है लेकिन विश्वविद्यालय चलाने के लिए सबसे जरूरी समिति ‘एक्जीक्यूटिव काउंसिल’ तक का गठन नहीं कर पाए हैं।

अपने अबतक के कार्यकाल के दौरान कुलपति जी लगातार महामना के आदर्शों को मिटाने और विश्व विद्यालय के एनआईवी को कमजोर करने में लगे हैं। वे रोज पंडित मदन मोहन मालवीय जी के लगाए गए कीमती पेड़ों को कटवाकर बेच रहे हैं। सर सुंदर अस्पताल में मरीजों को कम खर्च पर मिलनेवाली जांच केंद्र को अधीक्षक डॉ के के गुप्ता संग मिलकर एक निजी कंपनी प्वाइंट-ऑफ-केयर परीक्षण( POCT )के हाथों बेच दिया है जिसमें टेंडरिंग नॉर्म्स की धज्जियां उड़ाई गई। इस कंपनी द्वारा न सिर्फ गुणवत्ता पूर्ण जांचे नहीं की जा रही है बल्कि उसके लिए आम जनता को निजी जांच केंद्रों के समकक्ष पैसे देने पड़ रहे हैं।
सरकार द्वारा अस्पताल में मरीजों की सुविधाएं बढ़ाने के लिए जो धन मुहैया करवाए गया, कुलपति और चिकित्सा अधीक्षक द्वारा अपने व्यक्तिगत लाभ के लिए पत्थरों के ऊपर ग्रेनाइट लगाने के लिए किया गया।
पूरे बीएचयू अस्पताल में भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचारियों का आज बोल बाला है। कुलपति जी के संरक्षण में चिकित्सा अधीक्षक डॉ के के गुप्ता संस्थान प्रमुख द्वारा हृदय रोग विभाग को सुपर स्पेशियलिटी भवन में आवंटित बेड नहीं दे रहे हैं। जिससे पिछले दो सालों में 35000 से ज्यादा मरीजों को बिस्तर खाली रहते हुए बेड नहीं मिला। ऐसे में हजारों ऐसे लोगों की जानें चली गई जिनकी जानें बचाई जा सकती थी।
ऐसे में देश के प्रधानमंत्री का ध्यान इस ओर दिलाना चाहूँगा कि जब आप मालवीय जी की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उनका आशीर्वाद प्राप्त करने आएं, उससे पहले आपको उनकी बगिया में रोज उनके मूल्यों की हत्या करने वाले कुलपति और चिकित्सा अधीक्षक को पद से हटाकर हृदय रोगियों को बिस्तर उपलब्ध करवाने का कार्य करें जिसके लिए समाज आपका ऋणी रहेगा।