(रिपोर्ट ऑफ द इंडियन सेन्ट्रल कमेटी, पेज 129)
डिप्रेस्ड शब्द को अपहृत करने की क्यों आवश्यकता हुई? कारण साफ है - डा. अम्बेडकर चाहते थे कि डिप्रेस्ड शब्द, जिसका अर्थ होता है - दबाया हुआ, कुचला हुआ के अन्तर्गत आने वाले शेष शूद्रों (हिन्दू पिछड़ी जातियों के लोग, जो बहुसंख्यक हैं) की पहचान डिप्रेस्ड के रूप में न रहे। जिससे अल्पसंख्यक डिप्रेस्ड (अस्पृश्यों) के रूप में मिलने वाले आरक्षण पर आंच न आ सके। इसलिए डा.अम्बेडकर ने अंग्रेजों की मिलीभगत से साजिशन, अस्पृश्यों का डिप्रेस्ड शब्द से नामकरण करा लिया।और डा. अम्बेडकर (जो लोथियन कमेटी में सदस्य थे) की दलील है कि बाबू रामचरन निषाद अस्पृश्य नहीं हैं इसलिए वे डिप्रेस्ड नहीं हैं। केवल अस्पृश्यों को ही डिप्रेस्ड माना जाय- को लोथियन कमेटी ने मान लिया तथा अस्पृश्यों के मतदाता बनने की शैक्षिक एवं सम्पत्ति की योग्यता में भारी छूट दे दिया जबकि उनसे अधिक योग्यता रखने वाले शूद्र (हिन्दू पिछड़ी जाति) मतदाता बनने से वंचित कर दिये गये।
जब लखनऊ की रैली में मुलायम सिंह ने कहा- आज निषाद जो मांगेंगे, हमें देना ही होगा
(सं.सभा वाद वि. पु.सं. 1, 20 जन. 1947, पेज 1, 2)
खिलौना रंगने वाली औरत की साठ रुपये रोज पर कैसे गुजर होती होगी?
(सं. सभा वाद वि. पु.सं.2, पृ.सं. 9-11, दि. 27 अग. 1947)
चौ. लौटनराम निषाद सामाजिक न्याय चिन्तक,भारतीय ओबीसी महासभा के राष्ट्रीय प्रवक्ता व समाजवादी पार्टी पिछड़ा वर्ग प्रकोष्ठ के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष हैं।
[…] डिप्रेस्ड’ शब्द का अपहरण […]
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