वाराणसी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में रहने वाले लोगों को पीएम के स्वच्छता अभियान चलाए जाने के बाद जागरूक नागरिकों की श्रेणी में गिना जा रहा है, लेकिन यहां के लोगों में कचरा जलाने के दुष्परिणामों को लेकर जागरूकता की कमी साफ दिखाई देती है। विभिन्न इलाकों में यह जानते हुए कचरे की चिंगारी दिख जाती है कि ऐसा करना वातावरण और स्वास्थ्य के लिए हानिकारक सिद्ध होगा। कचरा जलाने पर एनजीटी और सुप्रीम कोर्ट की ओर से प्रतिबंध लगाया जा चुका है। इसके बावजूद कचरे के ढेर में आग की माचिस लगाने का सिलसिला जारी है। इस जमात में सफाई कर्मचारी भी शामिल हैं, जिनकी कवायद अक्सर देहात और नगर के जलते कूड़े के ढेर और खबरों के जरिये उजागर होती रहती है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि आखिर आदेश का क्या उचित पालन हो रहा है?
राजातालाब में पंचक्रोशी मार्ग पर गुरुवार को कूड़ा जलाए जाने का मामला सामने आने पर इन्द्रजीत सिंह पटेल, बलराम पटेल, डा. अशोक चौहान, राम चन्दर सिंह, जय प्रकाश वर्मा, राज नारायण यादव, आकाश पटेल आदि स्थानीय नागरिकों ने एतराज जताते हुए एडीओ पंचायत अंकित चौबे से इस पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है। दलित फ़ाउंडेशन से जुड़े सामाजिक कार्यकर्ता ने सभी से अपील की है कि किसी भी प्रकार के कूड़ा का निस्तारण तरीके से करें, कूड़े को जलाकर इसका निस्तारण न करें। क्षेत्र में वायु प्रदूषण की समस्या बढ़ रही है जो कि विभिन्न तरीके के रोगों को जन्म देती है। प्रदूषण पर सरकारो के साथ आमजन भी बढ़ते प्रदूषण को लेकर चिंतित हैं। कूड़ा, कचरा अथवा उसमें सार्वजनिक स्थान पर आग लगाने पर जुर्माने का प्रावधान है, लेकिन इसके प्रति जागरूकता का कम होना अथवा इसकी अनदेखी प्रदूषण को बढ़ाएगी।
खुले में कचरे जलाने वालों पर संबंधित अधिकारियों और कर्मचारियों को पैनी निगाह रखने के निर्देश दिए गए हैं। जागरूकता अभियानों के सहारे भी इस चुनौती पर काबू पाने की पहल की जाएगी। सफाई कर्मचारियों को भी सख्त आदेश है कि वह कूड़े का उचित तौर से निस्तारण करें।