लगता हैं काशीनाथ जी ठाकुर नहीं अहीर हैं तभी यादव जी से इतनी दोस्ती है!

गाँव के लोग

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प्रोफेसर चौथीराम यादव जब अपने जीवन के किस्से सुनाते हैं तो सुनते हुये भले ही हंसी आ जाती हो लेकिन उनके पीछे जो सच छिपा होता है वह बहुत भयावह होता है। मसलन जाति को लेकर ही। बीएचयू में उनकी नियुक्ति का इतना विरोध हुआ कि सवर्णों ने तत्कालीन विभागाध्यक्ष विजयपाल सिंह की कार के शीशे तोड़ डाले। ऐसे अनेक प्रसंग हैं जो विश्वविद्यालय में जड़ जमाये जातिवाद का खुलासा करते हैं। देखिये उनसे बातचीत का यह दूसरा भाग।

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