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ग्राउंड रिपोर्ट

दिल्ली और पश्चिम बंगाल की तरह उत्तर प्रदेश में भी कॉन्ग्रेस का खाता न खुले,क्या भाजपा इस अभियान में लगी है ?

निषाद समाज की रैली में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, ने आवाहन किया था की उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस अपना खाता भी नहीं खोल पाए? क्या यह संभव है कि कॉन्ग्रेस दिल्ली और पश्चिम बंगाल की तरह उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में एक भी सीट नहीं जीत पाए ? इसे समझने के लिए दिल्ली […]

निषाद समाज की रैली में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, ने आवाहन किया था की उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस अपना खाता भी नहीं खोल पाए?

क्या यह संभव है कि कॉन्ग्रेस दिल्ली और पश्चिम बंगाल की तरह उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में एक भी सीट नहीं जीत पाए ? इसे समझने के लिए दिल्ली और पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव की तरफ रुख करना पड़ेगा, और समझना होगा कि दिल्ली और पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव मैं कांग्रेस को एक भी सीट क्यों नहीं मिली?

क्या भाजपा की रणनीति कांग्रेस को राज्यों से अलग करने की है, भले ही राज्यों में भाजपा की सरकार नहीं बने लेकिन राज्यों में कांग्रेस का सफाया हो?

दिल्ली में लगातार डेढ़ दशक तक राज करने वाली कॉन्ग्रेस ऐसे सफाया हो जाएगा कि उसे एक भी सीट नहीं मिली ऐसा ही पश्चिम बंगाल में हुआ जहां कांग्रेस एक भी सीट नहीं जीत पाई। दिल्ली में आम आदमी पार्टी और पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस की लगातार सरकार बनी। क्या उत्तर प्रदेश में भी समाजवादी पार्टी की सरकार बनेगी? और क्या उत्तर प्रदेश में भी कांग्रेस का सफाया होगा? दिल्ली और पश्चिम बंगाल में भाजपा ने अपना धुँआधार प्रचार किया था और भाजपा की टक्कर आम आदमी पार्टी और तृणमूल कांग्रेस से बताई गई थी।

नतीजा यह आया कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी और पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस की सरकार बनी।

उत्तर प्रदेश को लेकर भी राजनीतिक गलियारों और मीडिया के भीतर भाजपा और समाजवादी पार्टी के बीच टक्कर बताई जा रही है, जबकि उत्तर प्रदेश में कांग्रेस पहले से ज्यादा बेहतर करती हुई दिखाई दे रही है। कांग्रेस की राष्ट्रीय महामंत्री उत्तर प्रदेश प्रभारी श्रीमती प्रियंका गांधी, उत्तर प्रदेश चुनाव में महिला शक्ति विधान को अपना विजन बनाकर, चुनाव मैदान में उत्तरी है।  प्रियंका गांधी का महिला शक्ति संवाद, सारे प्रदेश में फेल कर, महिलाओं के अंदर लोकप्रिय होता हुआ दिखाई देने लगा है। लड़की हूं लड़ सकती हूं का नारा उत्तर प्रदेश में गूंजता हुआ सुनाई देने लगा है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी प्रयागराज से अपना महिला शक्ति विजन का शुभारंभ कर दिया है।

क्या उत्तर प्रदेश चुनाव में, महिला शक्ति निर्णायक भूमिका में रहेंगी? और क्या भाजपा प्रियंका गांधी के महिला शक्ति संवाद को लेकर चिंतित हैं, और उस चिंता के कारण ही भाजपा ने विजन शक्ति के नाम से अपना महिलाओं के लिए चुनाव में अभियान शुरू किया है? उत्तर प्रदेश में भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी महिलाओं के लिए अनेक सौगातें दे रहे हैं लेकिन सवाल यह बड़ा है कि क्या भाजपा भी कांग्रेस की तर्ज पर उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में 40% महिलाओं को अपनी पार्टी से उम्मीदवार बनाएगी? क्योंकि उत्तर प्रदेश में सभी राजनीतिक दलों को कांग्रेस ने सबसे बड़ी चुनौती 40% महिलाओं को पार्टी का टिकट देने की घोषणा करके दी है। सवाल यह है कि क्या भाजपा उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को एक भी सीट नहीं मिले इस योजना पर कार्य कर रही है यदि ऐसा है तो दिल्ली और पश्चिम बंगाल की तरह उत्तर प्रदेश में भी गैर भाजपा लेकिन कांग्रेस मुक्त किसी अन्य दल की सरकार बनेगी और क्या वह दल समाजवादी पार्टी होगा? लेकिन प्रियंका गांधी के विजन उत्तर प्रदेश को देखने से लगता नहीं है कि कॉन्ग्रेस का हाल दिल्ली और पश्चिम बंगाल की तरह होगा?

बल्कि प्रियंका गांधी और कांग्रेस के जोश को देखकर लगता है कि उत्तर प्रदेश चुनाव में कांग्रेस राजनीतिक पंडित और मीडिया को चौंका भी सकती है?

 देवेंद्र यादव कोटा स्थित वरिष्ठ पत्रकार हैं। 

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