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ग्राउंड रिपोर्ट

Lok Sabha Election : क्या ‘मोदी की गारंटी’ से खुद नरेंद्र मोदी का भरोसा उठ गया है ? महंगाई और बेरोजगारी का समाधान मंगलसूत्र और हिंदू-मुसलमान में ढूंढ रहे पीएम मोदी

भाजपा के लिए भाजपा का संकल्प पत्र (घोषणापत्र ) आखिर कब काम आएगा ? क्या मोदी की गारंटी में इतना दम नहीं है कि उसके नाम पर वोट मांगे जा सकें? क्या नरेंद्र मोदी के 10 साल के कामों में इतना दम नहीं है कि उस काम के नाम पर वोट मांगे जा सकें?

लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण के प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राजस्थान के बांसबाड़ा में 21 अप्रैल को एक चुनावी रैली को संबोधित किया। इस दौरान पीएम मोदी ने कांग्रेस के घोषणापत्र का हवाला देते हुए कांग्रेस पर हमला किया। उन्होंने कहा, ‘कांग्रेस का मेनिफेस्टो कह रहा है, माताओं-बहनों के सोने का हिसाब करेंगे, उसकी जब्ती करेंगे, जानकारी लेंगे और फिर उस संपत्ति को बांट देंगे, और उनको बाटेंगे जिनको मनमोहन सिंह जी की सरकार ने कहा था कि संपत्ति पर पहला अधिकार मुसलमानों का है। ये अर्बन नक्सल की सोच, माताओं-बहनों, ये आपका मंगलसूत्र भी बचने नहीं देंगे।’ 

इसके बाद 22 अप्रैल को अलीगढ़ में चुनावी रैली में पीएम मोदी ने फिर से कहा, ‘कांग्रेस और इंडिया गठबंधन की नजर अब आपकी कमाई पर है, आपकी संपत्ति पर है, माताओं-बहनों के मंगलसूत्र पर उनकी नजर है, माताओं-बहनों का सोना चुराने का इरादा है।’

23 अप्रैल को राजस्थान के टोंक में और 24 अप्रैल को छत्तीसगढ़ के सरगुजा में पीएम मोदी ने फिर से इन बातों को दोहराया। पीएम मोदी के अनुसार कांग्रेस की नजर जनता की संपत्ति और महिलाओं के मंगलसूत्र पर है। सत्ता में आने पर कांग्रेस इसे छीन लेगी और देश के मुसलमानों में बांट देगी। 

पीएम मोदी द्वारा किए गए मिथ्या प्रचार पर इंडिया गठबंधन ने किया पलटवार

24 अप्रैल को राहुल गांधी ने महाराष्ट्र में एक रैली को संबोधित करते हुए कहा, ‘नरेंद्र मोदी हार के डर से कांप रहे हैं। इसीलिए वो लगातार एक के बाद एक, झूठ बोल रहे हैं। वो जानते हैं कि हिंदुस्तान की जनता समझ गयी है कि नरेंद्र मोदी अरबपतियों के नेता हैं, गरीबों के नहीं, वो जानते हैं कि हिंदुस्तान की जनता संविधान की रक्षा के लिए खड़ी हो गयी है। वो जानते हैं कि इलेक्शन उनके हाथ से निकल गया है।

प्रियंका गांधी ने बेंगलुरु में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए पीएम मोदी पर पलटवार किया। उन्होंने कहा, ‘कैसी-कैसी बहकी-बहकी बातें, पिछले दो दिनों में, अब ये शुरू हुआ है कि कांग्रेस पार्टी चाहती है कि आपके मंगलसूत्र और आपका सोना आपसे छीन लें। 70 सालों से ये देश स्वतंत्र है, 55 सालों के लिए कांग्रेस की सरकार रही है, किसी ने आपसे सोना छीना, आपके मंगलसूत्र छीने, इंदिरा गांधी ने जब जंग हुई थी तब अपना सोना देश को दिया। मेरी मां का मंगलसूत्र इस देश को कुर्बान हुआ है। अगर मोदी जी मंगल सूत्र का महत्व समझते तो ऐसी अनैतिक बातें नहीं करते।’

 

विपक्ष के नेताओं ने मांग लिया मोदी काल में छिन गए मंगलसूत्रों का हिसाब

कांग्रेस की प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने प्रेस कांफ्रेंस कर पीएम मोदी पर पलटवार करते हुए कहा, ‘इस देश के प्रधानमंत्री ने न तो दाम्पत्य के सूत्र की गरिमा रखी न मंगलसूत्र का महत्व रखा, जब उन्होंने कहा कि आपका मंगलसूत्र लेंगे।’ उन्होंने तंज किया, ‘मोदी जी आप भले ही 2 चुटकी सिंदूर और मंगलसूत्र की कीमत मत जानिए लेकिन इस देश के लोग जानते हैं।’

कांग्रेस के राज्य सभा सांसद रणदीप सुरजेवाला ने किसान आंदोलन की याद दिलाकर मोदी पर पलटवार किया। उन्होंने कहा, ‘मंगलसूत्र तो 700 किसानों की बिधवाओं के छीने गए थे, जब वो दिल्ली के बॉर्डर पर मर गए थे, शहीद हो गए थे, क्या मोदी जी ने तब मंगलसूत्रों की खबर ली ? नोटबंदी में जब हमारी माताओं-बहनों को अपना मंगलसूत्र गिरवी रखकर बेटी की शादी करनी पड़ती थी तब मोदी जी ने मंगलसूत्र की परवाह की ?’

पटना के एयरपोर्ट पर मीडिया से बात करते हुए तेजस्वी यादव ने भी मोदी पर पलटवार किया है। उन्होंने कहा, ‘सवाल यह है कि माताओं-बहनों का मंगलसूत्र किसने छीना? मोदी की महंगाई ने यह मंगलसूत्र छीना है।’ 

उन्नाव में 24 अप्रैल को डिंपल यादव ने एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए पूछा, ‘आज जो मंगलसूत्र की बात करते हैं, जब पुलवामा में हमारे जवान शहीद हुए थे और उनकी पत्नियों के मंगलसूत्र छिन गए थे, तो ये लोग बताए, कौन थे वो लोग, जिनकी वजह से पुलवामा की घटना हुई, और सरकार ने क्या किया ? गवर्नर के कहने के बाद भी सरकार ने क्यों हमारे जवानों को एरोप्लेन उपलब्ध नहीं कराए ?’ 

असदुद्दीन ओवैसी ने भी मोदी के बयान पर पलटवार किया। उन्होंने कोरोना काल का हवाला देते हुए कहा, ‘नदियों में कोविड-19 से मरे लोगों की लाशें बह रही थीं, जो हमारी बहनें बेबा हो गईं, उनका क्या होगा ? उनके बारे में बताइएं। कब तक नफरत करेंगे देश के प्रधानमंत्री ? 

क्या कांग्रेस की सरकार बनने पर मंगलसूत्र और संपत्ति छीनकर बांट दी जाएगी?

जवाब है नहीं। पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा सार्वजनिक मंचों से फैलाए गए इस झूठ का जवाब कांग्रेस के घोषणापत्र में ही है। कांग्रेस पार्टी महिलाओं से सोना या मंगलसूत्र छीनेगी नहीं बल्कि सभी जरूरतमंद महिलाओं को सालाना 1 लाख रूपए की आर्थिक सहायता प्रदान करेगी। इन सभी जरूरतमंद महिलाओं के खाते में हर महीना 8500 रूपए डाले जाएंगे। इसके अलावा महिला आरक्षण विधेयक को तत्काल लागू कराने की घोषणा की गई है। कांग्रेस के घोषणापत्र में 2025 से केंद्र सरकार की आधी नौकरियां महिलाओं के लिए आरक्षित करने की घोषणा की गई है। आशा, आंगनवाड़ी, मिड-डे मील, रसोईया वर्कर का मानदेय दोगुना करने की घोषणा की गई गई। कांग्रेस के घोषणा पत्र में भारतीय महिला बैंक की स्थापना करने की बात कही गई है। सभी तरह के लैंगिक भेदभाव को समाप्त करने और महिलाओं को कानूनी रूप से सशक्त करने की बात कही गई है। छात्राओं और कामकाजी महिलाओं के लिए छात्रावास का नेटवर्क बनाने की बात कही गई है। कांग्रेस के घोषणापत्र में कहीं भी महिलाओं से मंगलसूत्र, सोना या संपत्ति लेने की बात नहीं कही गई है। बल्कि कांग्रेस पार्टी के घोषणापत्र में महिलाओं के लिए ऐसी घोषणाएं की गई हैं जो यदि लागू हो जाती हैं तो महिलाएं और ज्यादा मात्रा में सोना खरीद पाएंगी, आत्मसम्मान और गरिमापूर्ण जीवन जी पाएंगी।

काम के नाम पर वोट मांगने के बजाय झूठे मुद्दे बनाकर वोट क्यों मांग रही भाजपा ?

भाजपा ने पहले चरण के प्रचार के दौरान राम मंदिर के नाम पर वोट मांगा। दूसरे चरण के प्रचार में कांग्रेस के घोषणापत्र के नाम पर झूठे मुद्दे तैयार कर लोगों से वोट मांगे जा रहे हैं। भाजपा के लिए भाजपा का संकल्प पत्र (घोषणापत्र) आखिर कब काम आएगा ? क्या ‘मोदी की गारंटी’ में इतना दम नहीं है कि उसके नाम पर वोट मांगे जा सकें? क्या नरेंद्र मोदी के 10 साल के कामों में इतना दम नहीं है कि उस काम के नाम पर वोट मांगे जा सकें?

चुनाव से पूर्व कराए गए विभिन्न सर्वे के मुताबिक जनता ने देश में बेरोजगाई, महंगाई और विकास को सबसे बड़े चुनावी मुद्दों के रूप में चुना है। CSDS-लोकनीति प्री पोल सर्वे के मुताबिक महंगाई, बेरोजगाई और विकास सबसे बड़े चुनावी मुद्दे हैं। ABP सी वोटर के सर्वे के मुताबिक भी महंगाई, बेरोजगारी और विकास ही चुनाव के सबसे बड़े मुद्दे हैं।

अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) और मानव विकास संस्थान (आईएचडी) द्वारा 26 मार्च को जारी की गई रिपोर्ट के अनुसार भारत के बेरोजगारों में लगभग 83 प्रतिशत युवा हैं। देश के कुल बेरोजगार युवाओं में पढ़े-लिखे बेरोजगारों की संख्या साल 2000 के मुकाबले अब दोगुनी हो चुकी है। 

भारत में खाद्य महंगाई दर 8% से भी ऊपर पहुंच चुकी है। मार्च में खाद्य महंगाई दर 8.52 प्रतिशत रही है। आम जनता की रसोई का बजट बिगड़ा हुआ है। 

मानव विकास रिपोर्ट 2023-24 के अनुसार वैश्विक मानव विकास सूचकांक में भारत 134 वें पायदान पर है।

विश्व प्रसन्नता रिपोर्ट (World Happiness Report) 2024 के अनुसार खुशहाल देशों की सूची में भारत 126 वें पायदान पर है। 

पिछले 2 दशकों के दौरान भारत में आर्थिक असमानता तेजी बढ़ी है, देश के 1 फीसदी सबसे अमीर लोगों के पास देश की 40 फीसदी संपत्ति है। ऑक्सफैम की रिपोर्ट के अनुसार देश की 10% अमीर आबादी के पास देश की संपत्ति का 77% हिस्सा है। 

वायदा किये जाने के बाद भी देश के किसानों को एमएसपी की गारंटी नहीं दी गई, खेती में लगातार बढ़ती लागत, घाटे  और आर्थिक संकट से जूझ रहे किसानों की आत्महत्या का सिलसिला लगातार जारी है।

भारत के प्रधानमंत्री अपनी चुनावी रैलियों में इन गंभीर समस्याओं और मुद्दों पर बात नहीं कर रहे हैं। वे नहीं बता रहे हैं कि कि आने वाले 5 सालों में महंगाई और बेरोजगारी की समस्या से देश को निजात कैसे दिलाएंगे। वे नहीं बता रहे हैं कि भारत में लगातार बढ़ रही आर्थिक असमानता को कैसे नियंत्रित करेंगे। वे नहीं बता रहे हैं कि देश के आम आदमी की आय कैसे बढ़ाएंगे। वे नहीं बता रहे हैं कि वास्तव में किसानों की आय दोगुनी कब होगी? वे नहीं बता रहे हैं कि किसानों को एमएसपी की गारंटी कब मिलेगी? वे नहीं बता रहे हैं कि भारत में सतत एवं समतापूर्ण विकास को कैसे सुनिश्चित करेंगे?

इन समस्याओं के समाधान के लिए जनता को आश्वस्त करने के बजाय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विपक्षी पार्टी कांग्रेस के बारे में मिथ्या प्रचार, देश के मुस्लिम समुदाय के प्रति नफरत की अभिव्यक्ति, हेट स्पीच एवं सांप्रदायिक राजनीति के मार्ग पर चल रहे हैं। यह प्रश्न विचारणीय है कि प्रधानमंत्री मोदी की झूठ एवं भय पर आधारित इस सांप्रदायिक राजनीति से देश की जनता को क्या लाभ मिलेगा, आम आदमी और हाशिए के समाज के जीवन स्तर में क्या सुधार होगा ?

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