हिन्दी के शीर्षस्थ आलोचकों में शुमार वीरेंद्र यादव निरंतर सक्रिय जन-बुद्धिजीवी के रूप में अपने समय के सभी ज्वलंत मुद्दों पर न केवल लिखते हैं बल्कि व्यावहारिक धरातल पर भी अपनी उपस्थिति बनाये रखते हैं। उनकी प्रसिद्ध और बहुचर्चित किताब ‘उपन्यास और वर्चस्व की सत्ता’ हाल के वर्षों में सर्वाधिक पढ़ी जानेवाली किताब के रूप में समादृत है। पिछले दिनों उनके लखनऊ स्थित आवास पर उनसे एक लंबी बातचीत रिकॉर्ड की गई। प्रस्तुत है उसका पहला भाग।
मेरी साहित्यिक और सामाजिक समझ बनाने में मेरे गाँव की बहुत बड़ी भूमिका है – वीरेंद्र यादव
हिन्दी के शीर्षस्थ आलोचकों में शुमार वीरेंद्र यादव निरंतर सक्रिय जन-बुद्धिजीवी के रूप में अपने समय के सभी ज्वलंत मुद्दों पर न केवल लिखते हैं बल्कि व्यावहारिक धरातल पर भी अपनी उपस्थिति बनाये रखते हैं। उनकी प्रसिद्ध और बहुचर्चित किताब ‘उपन्यास और वर्चस्व की सत्ता’ हाल के वर्षों में सर्वाधिक पढ़ी जानेवाली किताब के रूप […]