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बिहार में नकारात्मकता और सुशासन के हवा-हवाई दावे (डायरी 30 अक्टूबर, 2021)

आदर्श राज्य की परिभाषा को लेकर मन में हमेशा सवाल रहा है। हालांकि इस मामले में मैं खुद को अल्पज्ञ मानता हूं। वजह यह कि समाजशास्त्र का मेरा अध्ययन अत्यंत ही सीमित रहा है। ले-देकर समाजवाद से संबंधित कुछ किताबें और कम्युनिस्ट मैनिफिस्टो। बाकी जाे जानकारियां मेरे पास है और समाजशास्त्र को लेकर जो मेरी […]

आदर्श राज्य की परिभाषा को लेकर मन में हमेशा सवाल रहा है। हालांकि इस मामले में मैं खुद को अल्पज्ञ मानता हूं। वजह यह कि समाजशास्त्र का मेरा अध्ययन अत्यंत ही सीमित रहा है। ले-देकर समाजवाद से संबंधित कुछ किताबें और कम्युनिस्ट मैनिफिस्टो। बाकी जाे जानकारियां मेरे पास है और समाजशास्त्र को लेकर जो मेरी समझ बनी है, उसके आधार पर केवल इतना कह सकता हूं कि आदर्श राज्य का मतलब वह राज्य जो अपने नागरिकों को उच्च गुणवत्ता वाला जीवन जीने के लिए माहौल बनाए और कायम रखे। इस बात का विशेष उल्लेख इसलिए कि आज करीब चार महीने बाद पटना अपने घर पर हूं और मेरा साबका एक दुखद खबर से हुआ है। घर में एक हिंदी का अखबार आता है। नाम है– दैनिक भास्कर। हालांकि व्यक्तिगत तौर पर इस अखबार का कलेवर मुझे पसंद नहीं आता।

पटना से प्रकाशित दैनिक भास्कर के तीसरे पन्ने पर ही खबर है कि मुजफ्फपुर के सरैया में जहरीली शराब से 6 लोगों की मौत हो गई है। तीन अंधे हो गए और चार अन्य गंभीर हालत में इलाजरत हैं। खबर की पुष्टि मुजफ्फरपुर के एसएसपी ने की है और उन्होंने यह भी कहा है कि घटना की वजह जहरीली शराब ही है।

पटना के एक पत्रकार साथी ने फोन पर सूचना दी है कि पिछले एक साल में जहरीली शराब से 67 लोगों की मौत हो चुकी है। यह सूचना सरकार के फैसले और दावे पर सवाल उठाती है कि बिहार में पूर्ण शराबबंदी है।

दरअसल, मुझे लगता है कि सरकार को अब यह मान लेना चाहिए कि शराब पर प्रतिबंध विवेकपूर्ण फैसला नहीं है। मैं तो दिल्ली की बात करता हूं जहां शराब पर प्रतिबंध नहीं है। लोग स्वेच्छा से शराब खरीदते हैं। वहां कम से कम यह तो है कि जो शराब वे खरीद रहे हैं, उसमें जहर नहीं है और उनकी जान नहीं जाएगी।

अभी पांच-छह महीने पहले पटना में ही अपने एक रिश्तेदार की शादी में शरीक हुआ था। बारात में शामिल लोग शराब के नशे में चूर थे। मेरी नाराजगी इस वजह से रही कि लोग अपनी जान की परवाह किए बगैर ऐसी शराब का सेवन करते हैं, जिसकी गुणवत्ता सत्यापित नहीं है।

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असल में आदर्श राज्य की परिकल्पना का मूल आधार यही है कि वह अपने लोगों को आजादी दे। जनता को हमेशा मूर्ख मानने वाला राज्य सबसे बड़ा मूर्ख होता है।

एक दूसरी खबर पटना के राजीव नगर के नेपाली नगर नामक मुहल्ले की है। खबर है कि रिश्ते में मामा ने अपनी ही नाबालिग भांजी के साथ बलात्कार किया और अपनी ही बहन व बहनोई को धमकी दी कि यदि उन्होंने इस मामले की रपट दर्ज करवायी तो वह उनकी हत्या कर देगा। पीड़िता की मां ने पुलिस को बताया है कि पहले वह लोकलाज की डर से पुलिस में रपट दर्ज नहीं कराना चाहती थी। परंतु अब उसका भाई उसे प्रताड़ित कर रहा है।

बहरहाल, मैंने तय कर लिया है कि बिहार में एकाध सप्ताह का मेहमान रहने के दौरान बिहार की खबरों से परहेज करूंगा। यहां का माहौल बहुत नकारात्मक है। अखबारों में शासक के हवा-हवाई दावे हैं और हालात बद से बदतर।

खैर, इस एक सप्ताह में कुछ विशेष काम करने हैं। अपने गांव के इतिहास पर कुछ और काम करना है। उम्मीद है कि इस बार कुछ और नयी जानकारियां मेरे पास होंगी और इसे मैं एक किताब का स्वरूप दे सकूंगा।

 नवल किशोर कुमार फॉरवर्ड प्रेस में संपादक हैं ।

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