आखिर बिहार सरकार के फांस में छोटे अधिकारी ही क्यों होते हैं। जबकि बड़ी मछलियों को जिंदा छोड़ दिया जाता है। बड़ी मछलियां मतलब बड़े नेता ओर बड़े अधिकारी। यह तो विश्वास करने योग्य बात ही नहीं है कि यदि किसी विभाग का कनिष्ठ लिपिक भ्रष्टाचारी है तो उसके सीनियर ईमानदार होंगे। दरअसल, यह शिखर से जड़ की तरफ चलनेवाला मामला है। मतलब यह कि यदि सही तरीके से जांच हो तो समझ आएगा कि बड़ी मछलियां कौन हैं और कौन है।
अन्य लोग जो बिहार की सामाजिक, और सांस्कृतिक और आर्थिक परिवेशों से वाकिफ हैं, वे यह जानते हैं कि बिहार सबसे अधिक कुशासित प्रदेश है। अभी हाल ही में नीति आयोग की रपट में इसका खुलासा भी हुआ है कि 52 फीसदी बिहारी गरीब हैं। जिन्हें गरीब की संज्ञा दी गई है, वे दरअसल दलित और पिछड़े वर्ग के लोग हैं। इनके पास रोजगार के साधन नहीं हैं।

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