
आज जनसत्ता की मुख्य संपादकीय टिप्पणी इस बात को लेकर है कि मदरसों में राष्ट्रगान क्यों न गवाए जाएं। अखबार लिखता है कि राष्ट्रगान से बच्चों में देशभक्ति की भावना बढ़ेगी। गोया अबतक मदरसे में जो बच्चे पढ़ते रहे हैं, वे देशद्रोही हुए हों। जनसत्ता की यह संपादकीय टिप्पणी उत्तर प्रदेश सरकार के उस फैसले के समर्थन में है


मदरसों में अधिकांश बच्चे गरीब परिवारों के होते हैं। जातिगत पृष्ठभूमि की बात करूं तो अजलाफ और अरजाल समुदाय के बच्चे। अजलाफ और अरजाल को ऐसे समझिए कि ओबीसी और दलित वर्ग के बच्चे। अरजाल समुदाय मुसलमानों की वह जमात है जिसे छूना भी अशराफ यानी मुसलमानों की उच्च जातियां अपनी तौहीन समझते हैं। अजलाफों को भी वे हीन मानते हैं, लेकिन चूंकि सैयद, शेख और पठान आदि जातियां खुद को श्रेष्ठ मानती हैं

नवल किशोर कुमार फ़ॉरवर्ड प्रेस में संपादक हैं।
[…] मुल्क में जहर घोलता आरएसएस (डायरी 13 मई, 2… […]
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