उर्वरक क्षेत्र की प्रमुख संस्था इफको द्वारा वर्ष 2022 का श्रीलाल शुक्ल स्मृति इफको साहित्य सम्मान वरिष्ठ कथाकार जयनंदन को प्रदान किया गया। उन्हें यह सम्मान दिनांक 31 जनवरी, 2023 को जमशेदपुर के रवींद्र भवन सभागार में आयोजित एक समारोह में साहित्यकार मनमोहन पाठक ने प्रदान किया।
जयनंदन का जन्म 26 फरवरी, 1956 में बिहार के नवादा जिले के मिलकी गांव में एक मध्यवर्गीय परिवार में हुआ। अब तक उनकी दो दर्जन से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं जिनमें- श्रम एव जयते, ऐसी नगरिया में केहि विधि रहना, सल्तनत को सुनो गांववालो, विघटन, चौधराहट, मिल्कियत की बागडोर, रहमतों की बारिश जैसे उपन्यास तथा सन्नाटा भंग, विश्व बाजार का ऊंट, एक अकेले गान्हीजी, कस्तूरी पहचानो वत्स, दाल नहीं गलेगी अब, घर फूंक तमाशा, सूखते स्रोत, गुहार, गांव की सिसकियां, भितरघात, मेरी प्रिय कथायें, मेरी प्रिय कहानियां, सेराज बैंड बाजा, संकलित कहानियां, चुनी हुई कहानियां, गोड़पोछना, चुनिंदा कहानियाँ आदि कहानी संग्रह प्रमुख हैं। इसके अलावा उन्होंने नाटक और निबंध भी लिखे हैं।
वरिष्ठ कथाकार चित्रा मुद्गल की अध्यक्षता वाली निर्णायक समिति ने जयनंदन का चयन खेती-किसानी, ग्रामीण जनजीवन और ग्रामीण यथार्थ पर केन्द्रित उनके व्यापक साहित्यिक अवदान को ध्यान में रखकर किया। निर्णायक मंडल में मधुसूदन आनंद, मुरली मनोहर प्रसाद सिंह, जय प्रकाश कर्दम, रवींद्र त्रिपाठी एवं डॉ. दिनेश कुमार शुक्ल शामिल थे।
मूर्धन्य कथाशिल्पी श्रीलाल शुक्ल की स्मृति में वर्ष 2011 में शुरू किया गया यह सम्मान प्रतिवर्ष किसी ऐसे रचनाकार को दिया जाता है जिसकी रचनाओं में ग्रामीण और कृषि जीवन से जुड़ी समस्याओं, आकांक्षाओं और संघर्षों को मुखरित किया गया हो। इससे पहले विद्यासागर नौटियाल, शेखर जोशी, संजीव, मिथिलेश्वर, अष्टभुजा शुक्ल, कमलाकान्त त्रिपाठी, रामदेव धुरंधर, रामधारी सिंह दिवाकर, महेश कटारे, रणेंद्र और शिवमूर्ति को यह पुरस्कार दिया जा चुका है। सम्मानित साहित्यकार को एक प्रतीक चिह्न, प्रशस्ति पत्र तथा ग्यारह लाख रुपये की राशि का चेक दिया जाता है।
अपने संदेश में इफको के प्रबंध निदेशक डॉ. उदय शंकर अवस्थी ने जयनंदन को बधाई देते हुए कहा कि जयनंदन गहरे सामाजिक सरोकारों के रचनाकार हैं। उन्होंने बिहार-झारखंड के आदिवासियों और कृषक समुदायों की सामाजिक-सांस्कृतिक परिस्थितियों और चुनौतियों को कुशलता के साथ अपनी लेखनी में उद्घाटित किया है। डॉ. अवस्थी ने जयनंदन की रचनाओं का जिक्र करते हुए कहा कि अपनी कहानियों में उन्होंने विकास और पिछड़ेपन के बीच झूलते गाँव की हक़ीक़त को पकड़ने की कोशिश की है।
इफको के संयुक्त प्रबंध निदेशक राकेश कपूर ने कहा कि श्रीलाल शुक्ल स्मृति इफको साहित्य सम्मान के माध्यम से हमारा प्रयास रहता है कि हम ऐसे रचनाकारों को सामने लाएँ और उन्हें सम्मानित करें जिन्होंने खेती-किसानी एवं गाँव के जीवन को अपनी रचनाओं का विषय बनाया है। उन्होंने जयनंदन को बधाई देते हुए कहा कि जयनंदन का रचनात्मक मन उनके गहरे सामाजिक बोध का प्रमाण है।
यह भी पढ़ें…
न्यूनतम मजदूरी भी नहीं पा रहीं पटखलपाड़ा की औरतें लेकिन आज़ादी का अर्थ समझती हैं
सम्मान चयन समिति की ओर से रवींद्र त्रिपाठी ने चयन प्रक्रिया के बारे में जानकारी दी। जयप्रकाश कर्दम ने प्रशस्ति पाठ किया और जयनंदन की रचनाधर्मिता पर अपनी बात रखी। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि साहित्यकार मनमोहन पाठक ने जयनंदन को सम्मानित करने पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए उनके लेखन को अत्यंत महत्त्वपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि किसानों के जीवन को मुखरित करने का जो काम जयनंदन ने किया है, वह अन्यत्र दुर्लभ है।
अपना उद्गार व्यक्त करते हुए कथाकार जयनंदन ने कहा कि इस सम्मान ने मेरे चालीस वर्षों की साहित्य-साधना को मान्यता और आगे लिखते रहने हेतु उर्वरक दे दिया है।
जमशेदपुर की नाट्य मंडली पथ के कलाकारों ने श्रीलाल शुक्ल एवं जयनंदन की रचनाओं पर आधारित नाटक का मंचन किया। संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार प्राप्त लोक गायिका चंदन तिवारी ने खेती-किसानी के गीतों की मोहक प्रस्तुति दी। इस अवसर पर हिन्दी कथा साहित्य में ग्रामीण और कृषि जीवन विषय पर परिचर्चा का भी आयोजन किया गया जिसमें कथा आलोचक राकेश बिहारी, लेखक डॉ. सी. भास्कर राव, आलोचक प्रो. रविभूषण और कहानीकार डॉ. राकेश कुमार मिश्र ने हिस्सा लिया। समारोह में किसान, शिक्षक, छात्र सहित बड़ी संख्या में साहित्यप्रेमी शामिल हुए।