आरएसएस और अम्बेडकर की विचारधाराएं भारतीय राजनीति के दो विपरीत ध्रुव हैं। जहाँ अम्बेडकर जाति के विनाश, प्रजातान्त्रिक मूल्यों की स्थापना और सामाजिक न्याय...
भागवत यदि अपनी बात के प्रति संजीदा हैं, तो कायदे से उन्हें मनुस्मृति सहित उन सारे ग्रंथों की निंदा और भर्त्सना करना चाहिये, जिनके नाम पर, जिनके लिखे के आधार पर सदियों तक इस जम्बूद्वीपे भारतखंडे की जनता के 90 फीसद हिस्से को सताया गया। देश, उसकी सभ्यता, उसकी मनुष्यता को बेड़ियों में बांधकर कर करीब डेढ़ हजार वर्ष तक उसकी प्रगति को अवरुद्ध करके रखा।
मुसलमानों के खिलाफ गौरक्षा और गौमांस के बहाने जो हिंसा हो रही है, लव जिहाद के नाम पर उन्हें जिस तरह से डराया-धमकाया जा रहा है, उसका उनमें व्याप्त श्रेष्ठताभाव से कोई लेना-देना नहीं है। यह केवल हिन्दू बहुसंख्यकवादियों द्वारा बोई गई नफरत के बीज की फसल है।