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नशीले मुद्दों से अधिक इंसानी ज़िंदगियों के बारे में सोचने की जरूरत
युद्ध किसी समस्या का समाधान नहीं है। धर्म, जाति, राष्ट्रवाद जैसी नशीले मुद्दों से बाहर आकर उन इंसानी जिंदगियों के बारे में सोचने की जरूरत है, जो युद्ध का कोई पक्ष नहीं होते, लेकिन उन्हें जबरन इधर या उधर का पक्षधर बनाया जाता है, ताकि शासक वर्गों के स्वार्थ की भट्टी में उनकी बलि दी जा सके। इस युद्धरत समय में शांति की आवाज बुलंद करना ही राष्ट्रभक्ति है, चाहे इस समय यह आवाज कितनी ही कमजोर क्यों न हो। इस विश्व की और इस उपमहाद्वीप की सभ्यता को युद्ध नहीं, शांति ही आगे बढ़ाएगी।
Lok Sabha Election : पंजाब में भाजपा उम्मीदवारों का गाँव में प्रवेश को लेकर कई क्षेत्रों में किसानों ने किया प्रदर्शन
भाजपा ने किसान विरोधी नीतियों को ही तरजीह दी, इस वजह से किसान अच्छे-खासे नाराज हैं और अब जब लोकसभा चुनाव में प्रत्याशी गाँव पहुँच रहे हैं, तब ग्रामीण उनका विरोध कर उन्हें गाँव से भगा रहे हैं। गुरुदासपुर में हुई यह घटना कोई पहली घटना नहीं है, ऐसे अनेक मामले पूरे देश में सोशल मीडिया के माध्यम से सामने आ रहे हैं।
शहादत दिवस : अजीत सिंह, भगत सिंह और किसान आंदोलन की राजनीति
आज जब हम पंजाब के किसान आंदोलन की ओर देखते हैं तो पाते हैं कि उसमें एक ओर भगत सिंह के विचारों की अनुगूंज सुनाई पड़ती है तो दूसरी ओर समय-समय पर वे गांधी के जनांदोलन की रणनीति पर भी विचार करते हुए दिखाई देते हैं।
किसान आंदोलन में आए किसानों के घर पुलिस छापे मारकर महिलाओं-बच्चों को परेशान कर रही है
क्या सरकार किसानों को आतंकवादी मानती है जो अपने ही देश के शंभू बॉर्डर पर बैरिकेड लगाकर उन्हें दिल्ली जाने से रोक दिया है?गाँव...
केंद्र ने फिर की किसानों से बातचीत की पेशकश, ‘सकारात्मक’ प्रस्ताव चाहते हैं किसान
वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के अनुसार, दिल्ली पुलिस अतिरिक्त सतर्कता बरत रही है, हालांकि प्रदर्शनकारी किसानों को हरियाणा पुलिस ने अंबाला के पास पंजाब और हरियाणा के बीच शंभू सीमा पर रोक दिया है। दिल्ली के मध्य हिस्से में भी पुलिस ने संसद और अन्य संवेदनशील स्थानों की ओर जाने वाली कई सड़कों पर बैरिकेड्स लगा दिए हैं। एक अधिकारी ने बताया कि किसानों को रोकने के लिए दिल्ली पुलिस ने 30,000 से अधिक आंसू गैस के गोले के ऑर्डर दिए हैं।
किसान आंदोलन: आज हो सकती है तीसरे दौर की बातचीत, केंद्र की पेशकश
एसकेएम के घटकों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मामले में दखल देने और किसानों के खिलाफ बल प्रयोग बंद करने का अनुरोध किया है और एसकेएम-एनपी से अलग-अलग लड़ाई बंद करने और 16 फरवरी की ग्रामीण और औद्योगिक हड़ताल का समर्थन करने के लिए कहा है।
किसान आंदोलन: बवाना स्टेडियम को अस्थायी जेल में बदलने की केंद्र की कोशिश फेल
भाषा -
एमएसपी के लिए कानूनी गारंटी के अलावा, किसान स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने, किसानों और कृषि मजदूरों के लिए पेंशन, कृषि ऋण माफ करने, पुलिस में दर्ज मामलों को वापस लेने, लखीमपुरी खीरी हिंसा के पीड़ितों के लिए ‘‘न्याय’’, भूमि अधिग्रहण कानून 2013 बहाल करने और पिछले आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों के परिवारों के लिए मुआवजे की मांग कर रहे हैं।
सरकार के साथ किसानों की बातचीत नाकाम, आज दिल्ली में किसानों का मार्च
किसानों ने केंद्र सरकार के सामने कई मांगें रखी हैं। जिनमें दूध उत्पादों, फलों, सब्जियों और मांस पर आयात शुल्क कम करने के लिए भत्ता बढ़ाने, स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने और कीटनाशक, बीज और उर्वरक अधिनियम में बदलाव करके कपास सहित सभी फसलों के बीजों की गुणवत्ता में सुधार करने, न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर कानून बनाने, किसानों के द्वारा दिल्ली मोर्चा के दौरान केंद्र सरकार की ओर से जिन मांगों को पूरा करने का भरोसा दिया गया था उन्हें तुरंत पूरा करने की मांग की।
किसान आंदोलन: हरियाणा के 7 जिलों में इंटरनेट सेवा पर रोक
किसानों को रोकने के लिए आज घघर नदी में पानी का स्तर बढ़ा हुआ है। अन्य दिनों में समान्य तौर पानी का स्तर बहुत कम होता है। लेकिन आज संभवत: किसानों के रास्ते में बाधायें पैदा करने के लिए ऐसा किया गया है ताकी किसान पैदल घघर नदी को पार न कर पायें।
13 फरवरी को दिल्ली में किसानों का मार्च, कूच करने की तैयारी में जुटे किसान
भारतीय किसान यूनियन (एकता सिधूपुर) के अध्यक्ष और एसकेएम-एनपी के वरिष्ठ नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने चंडीगढ़ से फोन पर द हिंदू को बताया कि जिन नेताओं को चर्चा में शामिल होना चाहिए उन्हें गिरफ्तार करके केंद्र सरकार माहौल खराब कर रही है। उन्होंने कहा कि “एक तरफ, सरकार कह रही है कि वह चर्चा के लिए तैयार है। दूसरी तरफ, उन्होंने हमारे सैकड़ों नेताओं और समर्थकों को गिरफ्तार कर लिया है।
पंजाब में किन्नू की बंपर पैदावार के चलते लागत भी नहीं निकाल पा रहे किसान
चंडीगढ़ (भाषा)। बंपर पैदावार के बीच किन्नू की कीमतों में अप्रत्याशित गिरावट के कारण पंजाब में किसान काफी परेशान हैं। कीमतों में गिरावट की वजह...
मोहाली-चंडीगढ़ सीमा के पास एकत्र हुए किसान, पुलिस ने रोका
चंडीगढ़ (भाषा)। किसान गेहूं की फसल के मुआवजे को बढ़ाने सहित मंडल स्तरीय रोपाई और बिजली कटों का विरोध कर रहे हैं। वहीं सुबह...
धन शोधन मामले में संजय सिंह की न्यायिक हिरासत 24 नवंबर तक बढ़ी
नई दिल्ली(भाषा)। दिल्ली सरकार की कथित आबकारी नीति घोटाले से संबंधित धन शोधन मामले में गिरफ्तार आम आदमी पार्टी (आप) नेता संजय सिंह की न्यायिक...
भारत में भूजल स्तर लगातार खतरे की तरफ बढ़ रहा है
जैसे ही गर्मी का मौसम आता है, वैसे ही शहरों और गांवों में पानी के लिए हाहाकार होने लगता है। जल स्रोत सूखने लगते...
पंजाब, तेलंगाना और महाराष्ट्र के छात्र विदेशों में उच्च शिक्षा लेने में सबसे आगे
नई दिल्ली (भाषा)। पंजाब, तेलंगाना और महाराष्ट्र देश के उन शीर्ष राज्यों में शुमार हैं, जहां से सबसे अधिक छात्र उच्च शिक्षा के लिए...
पंजाब के फगवाड़ा में ‘बकाया’ को लेकर किसानों का धरना, कृषि मंत्री ने दिया आश्वासन
फगवाड़ा, चंडीगढ़ (भाषा)। पंजाब के फगवाड़ा में एक चीनी मिल द्वारा गन्ना किसानों का लगभग 42 करोड़ रुपये का बकाया न चुकाने के विरोध...
अच्छे शासक लोगों से प्यार करते हैं, डरते नहीं हैं (डायरी 6 जनवरी, 2022)
अक्सर एक विचार आता है कि अपने गृहप्रदेश बिहार पर नाज करूं। जब यह विचार आता है तो मेरा मन खुद ही अनेकानेक सवाल...
बेअदबी और ईशनिंदा की आड़ में दलितों के खिलाफ जातिगत पूर्वाग्रहों को छिपाने की गंदी कोशिश
मूलतः पाकिस्तान में दलितों में चूड़ा समुदाय से सम्बंधित है जो सफाई पेशे से जुड़े हुए है और सामंती जातिवादी समाज के अपमान का शिकार है। उन्होंने पाकिस्तान में ईसाई धर्म अपनाया था ताकि जाति के अपमान से बच सके और भारत में इसी कारणवश आर्य समाज के प्रचारक अमीचंद शर्मा द्वारा १९२५ स्वच्छता और हाथ से मैला ढोने में लगे समुदायों के लिए 'बाल्मीकि' नाम लगा दिया गया था ताकेि उन्हें ईसाई होने से बचाया जा सके।
मंदिर प्रवेश मत करो दोस्तों (डायरी 21 अक्टूबर, 2021)
कल पूरे दिन एक सवाल मेरी जेहन में बना रहा। देर रात तक उस सवाल ने मेरा पीछा नहीं छोड़ा। सवाल बीते 15 अक्टूबर,...
द्विराष्ट्र के सिद्धांत के जनक कौन- जिन्ना या सावरकर
पहला हिस्सा
पिछले तीन चार वर्ष से श्री वी डी सावरकर को प्रखर राष्ट्रवादी सिद्ध करने का एक अघोषित अभियान कतिपय इतिहासकारों द्वारा अकादमिक स्तर...

