मंगलवार को किसानों का विरोध प्रदर्शन पूरी तरह से संघर्ष में बदल गया। इसी बीच केंद्र ने एक बार फिर स्पष्ट कर दिया कि किसानों की प्रमुख मांग, गारंटीकृत न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की घोषणा करना संभव नहीं होगा। सरकार इस मुद्दे को बातचीत से ही सुलझाना चाहती है और किसान समूहों के नेताओं के साथ तीसरे दौर की बातचीत की पेशकश की।
केंद्र और किसानों की तनातनी के बीच में विपक्ष भी मैदान में कूद पड़ा है। कांग्रेस ने कहा कि अगर वह सत्ता में आई तो गारंटीशुदा एमएसपी लागू करेगी।
इस बीच, मूल एसकेएम के घटकों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मामले में दखल देने और किसानों के खिलाफ बल प्रयोग बंद करने का अनुरोध किया है और एसकेएम-एनपी से अलग-अलग लड़ाई बंद करने और 16 फरवरी की ग्रामीण और औद्योगिक हड़ताल का समर्थन करने के लिए कहा है।
केंद्रीय कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा और सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने किसानों से अपने आंदोलन में “विघटनकारी तत्वों” से सावधान रहने को कहा है। श्री मुंडा ने मीडिया से कहा कि एमएसपी की गारंटी वाले कानून पर केंद्र को इसके सभी पक्षों को देखना होगा। श्री ठाकुर ने कहा कि प्रदर्शनकारियों को यह समझने की जरूरत है कि चर्चा में लगातार नए मुद्दे जोड़ने से तुरंत कोई हल नहीं निकाला जा सकता है।
एमएसपी पर सरकार की ओर से किसानों को बातचीत के एक और दौर के लिए आमंत्रित किया गया है। ऐसी संभावना है कि ये बातचीत बुधवार को होगी। इससे पहले श्री मुंडा और मंत्री पीयूष गोयल के नेतृत्व में दो दौर की बातचीत नाकाम रही थी।
एसकेएम-एनपी के वरिष्ठ नेता के.वी. बीजू ने कहा “हम बातचीत के खिलाफ नहीं हैं। हम नतीजे का इंतजार करेंगे और अगर यह विफल रहा, तो किसान नाकाबंदी तोड़ देंगे और दिल्ली की ओर मार्च करना शुरू कर देंगे।”
उन्होंने कहा कि पुलिस की लाठीचार्ज और रबर की गोलियां और आंसू गैस के गोले छोड़ने से 60 से अधिक किसान घायल हो गए हैं।
भारी बैरिकेडिंग की गई
इस बीच मार्च को देखते हुए दिल्ली की सीमाओं पर भारी बैरिकेडिंग की गई। राष्ट्रीय राजधानी पूरी तरह से सुरक्षा घेरे में रही। हरियाणा के कुंडली में भी सिंघू सीमा पर सात किमी के बीच कंटीले तारों के साथ 100 से अधिक बैरिकेड लगाए गए थे। सभी महत्वपूर्ण बिंदुओं पर दिल्ली पुलिस और सीएपीएफ, आरएपीएफ की टीमें दंगा-रोधी उपकरणों के साथ तैनात थीं।
संसद सहित महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों के पास चुनिंदा मेट्रो स्टेशनों के गेट बंद कर दिए गए थे। बाद में इन्हें मंगलवार रात तक खोल दिया गया।
उत्तर प्रदेश से लगी दिल्ली की सीमाओं पर भी भारी पुलिस बल तैनाती थी। दिल्ली-नोएडा डायरेक्ट फ्लाईअवे, गाज़ीपुर बॉर्डर और कई प्रमुख जगहों पर चेकिंग चल रही थी। जिस कारण एम्बुलेंस और आपातकालीन गाड़ियों का आना-जाना भी मुश्किल हो गया।
सुरक्षा कारणों को देखते हुए लाल किला परिसर को भी बंद रखा गया। इससे पहले 26 जनवरी, 2021 को कई प्रदर्शनकारी किसान दिल्ली के मध्य भाग में प्रवेश कर गए थे।
पुलिस से हाथापाई
पंजाब सीमा पर कई जगहों पर किसानों की हरियाणा पुलिस के साथ झड़प हुई और पुलिस ने पंजाब से आंदोलनकारियों को तितर-बितर करने के लिए ड्रोन और पानी की बौछारों के जरिए आंसू गैस छोड़े। किसान मल्टी-लेयर बैरिकेड्स को तोड़कर सैकड़ों ‘ट्रैक्टर-ट्रॉली’ के काफिले में आए थे। वे खाना, दवा, कपड़े सहित जरुरी चीजें ले रहे थे।
कई किसानों ने जबरन बैरिकेड हटाने की कोशिश की और पुलिस कर्मियों पर पथराव भी किया। गुस्साए किसानों ने शंभू सीमा पर फ्लाईओवर सुरक्षा बाधाओं को भी तोड़ दिया। पुलिस के मुताबिक प्रदर्शन के दौरान पथराव में 24 पुलिसकर्मी घायल हो गए हैं जिन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है। कुछ प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया गया और बाद में रिहा कर दिया गया।
मनीषा चौधरी, एआईजी, (प्रशासन) और हरियाणा पुलिस की प्रवक्ता ने कहा कि किसी को भी उपद्रव करने की इजाजत नहीं है, ऐसा करने वालों से सख्ती से निपटा जाएगा। स्थिति पूरी तरह से काबू में है।”
उधर, केएमएम समन्वयक सरवन सिंह पंधेर ने दिल्ली की ओर मार्च कर रहे किसानों और खेत मजदूरों पर हमला करने के लिए केंद्र पर हमला बोला। उन्होंने कहा कि किसानों ने बल का जवाब गोले से दिया।
(‘द हिंदू’ में प्रकाशित खबर पर आधारित।)