मैं यह मानता हूं कि जब यह सब देश में हो रहा था तो वह स्वर्णिम युग था। इंदिरा गांधी एक के बाद एक सारी अवधारणाएं तोड़ रही थीं। वह भी उस देश में जो कि पुरूष प्रधान है। महिलाओं को दोयम दर्जे की नागरिकता हासिल है। फिर ऐसा क्या हुआ कि जयप्रकाश नारायण जैसे परिपक्व और गांधीवादी ने उनका विरोध किया? उन्हें इंदिरा गांधी के किस वाद से चोट पहुंची, यह बात मुझे आजतक समझ में नहीं आयी है। जहां तक मैंने पढ़ा है संपूर्ण क्रांति के बारे में, उससे मुझे तो यही लगता है कि यह तमाम पुरूषों का एक महिला के खिलाफ आंदोलन था।
अलहदा इसलिए कि वहां खुद को मिडिल क्लास समझने वालों में दलित और पिछड़े वर्ग के लोग भी हैं। पहले इसमें अधिक भागीदारी सवर्णों की थी। बनिया वर्ग भी इसका बड़ा हिस्सेदार रहा है। आज पटना शहर की हालत यह है कि रोज हत्याएं होती हैं और शहर के लोग चुप्पी साधे रहते हैं। कल की ही बात है कि पटना सिटी के मंगल तालाब के पास 55 साल के एक विकलांग मो. ईदू की गोली मारकर हत्या कर दी गयी। मृतक विकलांग होने के बावजूद स्वाभिमानी था और दर्जी का काम करता था। एक और हत्या को कल ही पटना में अंजाम दिया गया। अपराधियों ने सोनी नामक एक किन्नर को मार डाला। इसको लेकर किन्नरों ने विरोध प्रदर्शन किया और पुलिस के साथ नोंक-झोंक भी हुई। लेकिन पटना के मिडिल क्लास ने उफ्फ तक नहीं किया।

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