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बंगाल में हिंसा के प्रचारक मणिपुर पर क्यों नहीं चीखते!

 कोलकाता। करीब ढाई महीने से हिंसा की आग में जलते मणिपुर से एक शर्मनाक दिल दहला देने वाले वीडियो के वायरल हो जाने के बाद प्रधानमंत्री ने जबान तो खोली लेकिन वहां भी वे मणिपुर पर केन्द्रित रहने के बजाय गैर भाजपा शासित राज्यों राजस्थान और छत्तीसगढ़ का जिक्र कर भाजपा समर्थक को ट्रोल करने […]

 कोलकाता। करीब ढाई महीने से हिंसा की आग में जलते मणिपुर से एक शर्मनाक दिल दहला देने वाले वीडियो के वायरल हो जाने के बाद प्रधानमंत्री ने जबान तो खोली लेकिन वहां भी वे मणिपुर पर केन्द्रित रहने के बजाय गैर भाजपा शासित राज्यों राजस्थान और छत्तीसगढ़ का जिक्र कर भाजपा समर्थक को ट्रोल करने का मौका दे दिया। वहीं बीजेपी समर्थक इस बीच लगातार पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनावों के दौरान हिंसा को लेकर राजनीति करने में व्यस्त दिखे। जबकि बंगाल की घटनाओं पर कोलकाता उच्च न्यायालय में लगातार सुनवाई चल रही है। लेकिन इस बीच एक और एपिसोड तब जुड़ गया जब बंगाल से भाजपा सांसद लॉकेट चटर्जी पार्टी की प्रेस कांफ्रेंस करते हुए मणिपुर की घटना के साथ बंगाल में हुई घटना के साथ तुलना करते हुए रोती हुई दिखाई पड़ीं।

बीजेपी का आरोप है कि बंगाल में पंचायत चुनाव के दौरान हिंसा हुई और वहाँ भी महिलाएं सुरक्षित नहीं है। पंचायत चुनाव के दौरान वहां भी एक महिला को कथित रूप से निर्वस्त कर घुमाया गया।

शुक्रवार, को एक प्रेसवार्ता में बीजेपी सांसद लॉकेट चटर्जी ने सिसकी भरते हुए कहा कि, ‘हम लोग भी देश की बेटी हैं, मणिपुर में भी देश की बेटी है, उन्होंने कहा कि ये बहुत दुखद है कि बंगाल में ऐसी घटना हो रही है और कुछ नहीं किया जा रहा है। लॉकेट चटर्जी ने कहा, ‘इस पंचायत चुनाव में 8 जुलाई (चुनाव के दिन) को ग्रामसभा की एक महिला कैंडिडेट को बूथ के अंदर ले जाकर निर्वस्त्र करके उसके प्राइवेट पार्ट को टच करते हुए ये सब बदतमीजी की गई।  11 जून को मतगणना के दिन तृणमूल की एक महिला कैंडिडेट के साथ काउंटिंग रूम में अत्याचार किया गया।’

लेकिन 8 जुलाई की जिस घटना को लेकर बीजेपी और उसके समर्थक सोशल मीडिया पर लगातार दुष्प्रचार करने में लगे हुए हैं, पश्चिम बंगाल के डीजीपी ने ऐसी किसी भी टना के होने की बात को नकार दिया है। 21 जुलाई को पश्चिम बंगाल के डीजी और आइजीपी ने प्रेसवार्ता कर बताया कि, ’13 जुलाई को एसपी हावड़ा ग्रामीण को बीजेपी की ओर से ईमेल से शिकायत मिली कि 8 जुलाई को हावड़ा के पंचला में एक महिला को मतदान केंद्र से जबरन बाहर निकाला गया और उसके कपड़े फाड़ दिए गए। इस शिकायत पर पुलिस को एफआईआर दर्ज कर आगे की जांच करने का निर्देश दिया गया। जांच के दौरान सबूतों से पता चला कि ऐसी कोई घटना नहीं हुई। मतदान केंद्र पर पुलिस और केंद्रीय बल मौजूद थे, आगे की जांच जारी है।’

याद हो कि बीते साल यानी 25 मार्च 2022 को बीरभूम में हुई हिंसा पर बोलते हुए बीजेपी सांसद रूपा गांगुली संसद में रो पड़ी थीं। वह पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन की मांग कर रही थीं।

हिंसा कहीं भी हो, वह निंदनीय है। लेकिन बीजेपी की किसी भी महिला सांसद, मंत्री या सदस्य को मणिपुर की घटना पर रोते हुए किसी ने नहीं देखा, जबकि वहां बीते करीब  ढाई महीने से हिंसा जारी है और अब तक करीब 150 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है, जिनमें महिलाएं, बुजुर्ग, युवा और बच्चे शामिल हैं। लेकिन उन दिनों प्रधानमंत्री  विदेश यात्रायें करते रहे थे। और अब जो वीडियो सामने आया है उसे देख कर तो किसी को भी रोना और क्रोध आ जाये। लेकिन इस पर भी प्रधानमंत्री चुप्पी साधे रहे। इसके विपरीत देश के बाहर मणिपुर की घटना पर यूरोपीय संसद में चर्चा हुई। मणिपुर में सैकड़ों चर्च जला दिए गये, 50 हजार से अधिक लोग विस्थापित हो गये। अब तक करीब 15 हजार से अधिक लोग राज्य छोड़ कर चले गये हैं। लेकिन इन घटनाओं पर बीजेपी या उसके सहयोगी दल के किसी भी पुरुष या महिला सदस्य को रोना नहीं आया। न ही किसी तरह का बयान दिया।

इसी तरह से महिला पहलवानों के मुद्दे पर भी इनमें से किसी ने न कोई सवाल उठाया, न रोया और न ही कुछ कहा। जबकि वे पहलवान संसद से सिर्फ कुछ ही दूरी पर धरना दे रही थीं, जहां उन पर पुलिस ने लाठियाँ चलाकर उन्हें अपमानित भी किया। बीजेपी सांसद मीनाक्षी लेखी तो इस मुद्दे पर मीडिया के सवालों से भागती नज़र आयीं।

दरअसल बीजेपी का पूरा जोर बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगवाने का है। बंगाल में चुनावों के दौरान हिंसा होती रही है। लेकिन सवाल यह है कि हिंसा क्या केवल बंगाल में होती है? उत्तर प्रदेश निकाय चुनावों के दौरान हिंसा नहीं हुई क्या? क्या भाजपा शासित राज्यों में हिंसा नहीं होती?

72 दिन की चुप्पी के बाद प्रधानमंत्री ने मणिपुर हिंसा पर बोलते हुए कांग्रेस शासित दो राज्यों का जिक्र तो किया लेकिन वे उत्तर प्रदेश में महिलाओं पर हो रही हिंसा पर बोलना भूल गये। खुद मणिपुर के मुख्यमंत्री बीरेन सिंह ने कहा कि ऐसी अनेक घटनाएँ हुई हैं।  इस बात पर किसी भी बीजेपी महिला सांसद को रोना नहीं आया?

गौरतलब है कि बंगाल में पंचायत चुनाव के दौरान जो हिंसा हुई, उसमें सबसे अधिक सत्ताधारी टीएमसी के सदस्यों की मौत हुई है। टीएमसी के 14 सदस्य मारे गये है, जबकि विपक्षी दल बीजेपी के 3 और कांग्रेस के 3 और पांच अन्य की मौत हुई है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सभी मृतकों के परिजनों के लिए आर्थिक मुआवजा और नौकरी का ऐलान किया है, साथ ही पुलिस को हिंसा की जांच का आदेश भी दिया है।

नित्यानंद गायेन गाँव के लोग डॉट कॉम के संवाददाता हैं।

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